मुलायम सिंह यादव का वो फैसला‚ जिसके बाद भारतीय सेना को मिल सका पूरा सम्मान

आँखों देखी
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रवि चौहानǃ Mulayam Singh Yadav: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता मुलायम सिंह यादव का 82 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने आज सुबह करीब सवा आठ बजे अंतिम सांस ली। मुलायम सिंह के निधन पर उनके जीवन से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातें आज हम आपको बताने जा रहे हैं।

मुलायम सिंह यादव नही रहे

मुलायम सिंह का जन्म 22 नवंबर साल 1939 को यूपी के सैफई गांव में हुआ था। उनके पिताजी सुघर सिंह यादव क्षेत्र के नामी पहलवान थे। राजनीति में जाने से पहले मुलायम सिंह यादव भी पहलवान हुआ करते थे। इसके अलावा वह एक अच्छे अध्यापक भी रहे। उन्होने मैनपुरी के जैन इंटर कॉलेज में काफी समय तक बच्चों को शिक्षा दी। पांच भाई-बहनों में दूसरे नंबर के मुलायम सिंह यादव ने दो शादियां की थी। उनकी पहली पत्नी मालती देवी का देहांत साल 2003 में हुआ था। अखिलेश यादव मालती देवी के ही बेटे हैं। मुलायम सिंह ने दूसरी शादी साधना गुप्ता से की थी। साधना गुप्ता का भी तीन महीने पहले ही निधन हो चुका है।

राजनीतिक सफर की बात करें तो मुलायम सिंह ने साल 1967 में पहली बार इटावा की जसवंतनगर सीट से चुनाव लड़ा था। चुनाव जीतने के बाद जब वो पहली बार विधायक बने तो उस समय उनकी आयु महज 25 वर्ष थी। इसके बाद से वो लगातार 8 बार विधायक रहे। साल 1996 में मुलायम सिंह यादव लोकसभा के लिए चुने गए‚ और 4 बार सांसद रहे। 1977 में वह पहली बार यूपी में राज्य मंत्री बनाए गए।

मुलायम सिंह यादव तीन बार यूपी के मुख्यमंत्री बने‚ लेकिन हैरानी की बात यह है कि तीनों बार ही समय से पहले उन्हे सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी। पहली बार साल 1989 में वो यूपी के मुख्यमंत्री बने‚ लेकिन केवल दो साल बाद ही उन्हे कुर्सी छोड़नी पड़ी। साल 1993 में दूसरी बार मुलायम सिंह यूपी के मुख्यमंत्री बने‚ लेकिन उनका दूसरा कार्याकाल भी लगभग दो वर्ष का ही रहा। तीसरी बार साल 2003 में उन्हे फिर मुख्यमंत्री बनाया गया। लेकिन उनका तीसरा कार्यकाल भी केवल चार वर्ष तक ही रहा।

एक वक्त ऐसा भी आया जब वह प्रधानमंत्री बनते-बनते रह गए. यह बात साल 1996 की है. लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की हार हुई थी और संयुक्त मोर्चा सरकार बनाने की तैयारी कर रहा था. ऐसा माना जा रहा था कि गठबंधन का नेतृत्व मुलायम सिंह यादव ही करेंगे. प्रधानमंत्री पद के लिए उनका नाम लगभग तय हो गया था. लेकिन, ऐन वक्त पर उस समय बिहार के ताकतवर नेता और वर्तमान में उनके समधी लालू प्रसाद यादव ने विरोध कर दिया। जिसके चलते मुलायम सिंह पीएम बनते-बनते रह गए।

सांकेतिक चित्र

साल 1996 में मुलायम सिंह यादव देश के रक्षामंत्री बने। रक्षामंत्री रहते हुए भी उन्होने एक बड़ा अहम फैसला किया। दरअसल उस समय देश के लिए शहीद होने वाले जवान का शव उसके घर नही भेजा जाता था। मुलायम सिंह यादव ने ही पहली बार शहीद होने वाले जवानों के शवों को सम्मान सहित उनके घर तक पहुंचाने का फैसला किया। इसके बाद से शहीद हुए जवानों के शवों को सम्मानपूर्वक उनके घर भेजे जाने की शुरूआत की गई। इससे पहले शहीद जवान की टोपी ही उसके घर भेजी जाती थी। रक्षा मंत्री रहते हुए मुलायम सिंह के इस फैसले का पूरे देशभर ने स्वागत किया।

इसके अलावा सेना की वर्दी और खाने की गुणवत्ता पर भी मुलायम सिंह ने कई बदलाव किए‚ जिसके चलते भारतीय सेना में काफी बदलाव आया। भले ही मुलायम सिंह आज इस दुनिया में नही हैं‚ लेकिन उनके द्वारा लिए गए सभी अहम फैसले हमेशा याद किए जाएंगे।

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