मेरठ शहर के सपा विधायक रफीक अंसारी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। लखनऊ से मेरठ लौटते वक्त बाराबंकी में उनकी गिरफ्तारी हुई। एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह ने बताया कि शाम तक पुलिस रफीक अंसारी को लेकर मेरठ पहुंचेगी।
रफीक अंसारी 7 दिनों से अंडरग्राउंड थे। पुलिस की 3 टीमें उनकी तलाश में लगातार छापेमारी कर रही थी। अंसारी के खिलाफ कोर्ट से 100 NBW (गैर जमानती वारंट) जारी हुए, बावजूद इसके वह कोर्ट में पेश नहीं हुए। हाईकोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी का आदेश दिए था।
29 साल पुराने केस में कोर्ट में नहीं हुए पेश
1995 में शहर में जाम लगाने और तोड़फोड़ के एक मामले में रफीक समेत 40 लोगों पर केस दर्ज हुआ था। इसमें रफीक समेत 22 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल हुई थी। 1997 में कोर्ट ने इस मामले में रफीक के अलावा सभी को बरी कर दिया। अंसारी कोर्ट में पेश नहीं हुए।
बरी न होने के बाद रफीक इलाहाबाद हाईकोर्ट चले गए। कोर्ट में कहा कि जिस मामले में सभी बरी हो चुके हैं, उसमें रफीक अंसारी को भी बरी किया जाए। हालांकि, कोर्ट के बाद-बार नोटिस जारी करने के बाद भी रफीक अंसारी कोर्ट में पेश नहीं हुए। कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किए।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डीजीपी को सपा विधायक को गिरफ्तार करके कोर्ट में पेश किए जाने के आदेश दिए थे।
पार्षद का चुनाव से की थी राजनीति में शुरुआत
रफीक अंसारी ने पार्षद के तौर पर अपने पॉलिटिकल करियर की शुरुआत की थी। सपा के पुराने नेताओं में शामिल हैं। सपा के टिकट पर ही लगातार तीन बार पार्षद चुने गए। 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा के टिकट पर मेरठ सीट से विधायक का चुनाव लड़ा, लेकिन भाजपा के लक्ष्मीकांत वाजपेयी से हार गए।
चुनाव हारने के बाद भी रफीक को सपा सरकार में हथकरघा एवं पर्यटन विभाग में दर्जा प्राप्त मंत्री बनाया गया। 2017 और 2022 का चुनाव जीतकर वह लगातार दो बार विधायक बने हैं।