प्रांजल पांडे
उत्तर प्रदेश: मेरठ में रिश्वतखोर कर्मचारियों पर संबंधित विभाग ने कड़ा शिकंजा कसते हुए उन पर करवाई की है। जिससे भ्रष्ट कर्मचारियों में हड़कंप मच गया है। मेरठ एसएसपी रोहित सिंह सजवान ने रिश्वत के मामले में नामजद हेड कांस्टेबल को बर्खास्त कर दिया और इंस्पेक्टर की रिपोर्ट शासन को भेज दी है। उधर, बसों में टिकट चेकिंग के नाम पर चालक-परिचालकों से रिश्वत मांगने के आरोप में दो सहायक यातायात निरीक्षकों (एटीआई) पर भी निलंबन की कार्रर्वाई की गई है।
दरअसल, सितंबर 2021 में सदर बाजार थाने में तत्कालीन इंस्पेक्टर बिजेंद्र सिंह राणा और हेड कांस्टेबल मनमोहन सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज हुआ था। इन्होंने बीमे का क्लेम लेने के लिए गाजियाबाद निवासी इमरान ने सेटिंग करके ट्रक चोरी का मुकदमा दर्ज कराया था। इसकी शिकायत मिलने पर तत्कालीन एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने जांच कराई थी। पुलिस ने इमरान और खतौली निवासी उनके एक रिश्तेदार वकार को थाने से छोड़ने के लिए इंस्पेक्टर और हेड कांस्टेबल ने रिश्वत ली। हेड कांस्टेबल से रिश्वत के 30 हजार रुपये बरामद हुए थे। जिसके बाद उसको पुलिस ने जेल भेजा था।
एसएसपी रोहित सिंह सजवाण ने बताया कि हेड कांस्टेबल के खिलाफ रिश्वत लेने के पुख्ता सुबूत मिले हैं। इंस्पेक्टर बिजेंद्र राणा के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने की शासन से अनुमति मांगी है। इंस्पेक्टर ने हाईकोर्ट से स्टे लिया हुआ है। इस मामले की जांच एसपी ट्रैफिक जितेंद्र कुमार श्रीवास्तव कर रहे हैं।
वहीं मेरठ के भैसाली डिपो की बस में सहायक यातायात निरीक्षण भीमसेन और राजेंद्र ने बस के चालक-परिचालक से बिना टिकट सवारी मिलने पर रिश्वत की मांग की थी। जिसका किसी ने इसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। वीडियो वायरल होने के बाद आरएम केके शर्मा ने इस मामले की जांच के बाद दोनों एटीआई को निलंबित कर दिया है। भैसाली डिपो एआरएम अरविंद यादव ने बताया कि जांच में दोषी जाए जाने के बाद दोनों एटीआई पर कार्रवाई की गई है। वहीं छावनी परिषद सीईओ ज्योति कुमार ने रंगे हाथों रिश्वत लेते पकड़े गए सैनिटरी सुपरवाइजर को निलंबित कर दिया है। उसको सीबीआई ने रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था।