New Delhi: आम आदमी के लिए एक राहत भरी खबर सामने आ रही है। खबर यह है कि अगले कुछ महीनो में सीएनजी और पीएनजी गैस के दाम कम हो सकते हैं। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि किरीट पारेख कमेटी ने सरकार को गैस मूल्य निर्धारण फार्मूले पर अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।
इस रिपोर्ट में प्राकृतिक गैस को जीएसटी के दायरे में लाने की सिफारिश की गई है। मोदी सरकार अगर कमेटी की रिपोर्ट पर फैसला लेती है तो जल्द ही सीएनजी एवं अन्य गैस के दामों में कमी हो सकती है।
आपको बता दें कि पारेख समिति ने प्राकृतिक गैस को जीएसटी के दायरे में लाने का सुझाव देते हुए कहा है कि अन्य सभी वस्तुओं को जीएसटी के दायरे में लाया गया है इसलिए प्राकृतिक गैस को भी जीएसटी के दायरे में लाना जरूरी है। कमेटी ने यह भी सुझाव दिया है कि केंद्र सरकार 5 साल तक राज्यों के नुकसान की भरपाई भी कर सकती है।
बता दें कि सरकार ने किरीट पारेख समिति को भारत में गैस आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए बाजार उन्मुख पारदर्शिता और भरोसेमंद मूल्य निर्धारण व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए सुझाव देने का कार्य सौंपा गया है। इस कमेटी को यह भी तय करना है कि अंतिम उपभोक्ता को उचित दाम पर गैस कैसे उपलब्ध हो।
जानें समिति ने सरकार को क्या दिया सुझाव
इस पैनल ने गैस प्राइस पर लगाये जाने वाली सीमा को अगले 3 साल के लिए खत्म किए जाने का भी सुझाव दिया है. साथ ही कमिटी ने देश में पुराने गैस फील्ड से उत्पादन होने वाले प्राकृतिक गैस के प्राइस बैंड को 4 से 6.5 डॉलर प्रति यूनिट (mmBtu) तय करने की सिफारिश की है. इन क्षेत्रों में लंबे समय से लागत वसूली जा चुकी है. इससे यह सुनिश्चित होगा कि कीमतें उत्पादन लागत से नीचे नहीं गिरेंगी, जैसा कि पिछले साल हुआ था. या मौजूदा दरों की तरह रिकॉर्ड ऊंचाई तक भी नहीं बढ़ेंगी. समिति ने सरकार से गैस प्राइस के दामों को कच्चे तेल के दामों के साथ जोड़ने का भी सुझाव दिया है.
किरिट पारिख समिति ने पुराने गैस फील्ड से उत्पादन होने वाले प्राकृतिक गैस के दामों में हर वर्ष बढ़ोतरी करने का सुझाव दिया है. साथ ही पैनल ने एक जनवरी 2027 से गैस के दाम बाजार की कीमतों के आधार पर तय करने की सिफारिश की है.
घरेलू गैस की कीमतों की समीक्षा का सौंपा था जिम्मा
बता दें कि सरकार ने सितंबर 2022 में देश में उत्पादन होने वाले घरेलू गैस की कीमतों की समीक्षा करने के लिए योजना आयोग के पूर्व सदस्य और एनर्जी सेक्टर के जानकार किरिट पारिख की अध्यक्षता में पैनल का गठन किया था. इस कमिटी में फर्टिलाइजर मिनिस्ट्री से लेकर गैस उत्पादक और खरीदारों के प्रतिनिधि शामिल थे. आम लोगों को सस्ते गैस उपलब्ध कराने के साथ ही किरिट पारिख पैनल पर ये जिम्मेदारी थी कि वो ऐसी पॉलिसी तैयार कर सरकार को सुझाव दे जो पारदर्शी से लेकर भरोसेमंद प्राइसिंग रिजिम हो और लंबी अवधि में भारत को गैस बेस्ड इकॉनमी बनाने में मदद करे.