रविवार को गुजरात में मोरबी शहर की मच्छू नदी पर बना सस्पेंशन ब्रिज टूटने से अभी तक 134 लोगों की मौत हो गई और 70 से ज्यादा लोगों के घायल हुए है। इस भयानक हादसे ने मोरबी के लोगों को फिर से 11 अगस्त 1979 को हुए दर्दनाक घटना की याद दिला दी थी। यह हादसा मच्छू नदी के डैम टूटने से हुआ था। उस हादसे में 1439 लोगों और 12,849 हजार से ज्यादा पशुओं की मौत हुई थी। (सभी मौतें सरकारी आंकड़ों के अनुसार)
दरअसल अगस्त 1979 में लगातार बारिश और स्थानीय नदियों में बाढ़ के चलते मच्छु डैम ओवरफ्लो हो गया था। 11 अगस्त 1979 को दोपहर सवा तीन बजे डैम टूट गया और 15 मिनट में ही डैम के पानी ने पूरे शहर को अपनी चपेट में ले लिया था। देखते ही देखते मकान और इमारतें गिर गईं थी। बाढ़ का पानी उतरने के लोगों ने भयानक मंजर देखा। इंसानों से लेकर जानवरों के शव खंभों तक पर लटके हुए थे। हादसे में पूरा शहर मलबे में तब्दील हो चुका था और चारों ओर सिर्फ लाशें नजर आ रही थीं।
उस समय इस भयानक हादसे में 1439 लोगों और 12,849 हजार से ज्यादा पशुओं की मौत हुई थी। इंसानों और पशुओं की लाशें सड़ चुकी थीं। उस समय मोरबी का दौरा करने वाले नेता और राहत एवं बचाव कार्य में लगे लोग भी बीमारी का शिकार हो गए थे। इस भीषण हादसे के कुछ दिन बाद इंदिरा गांधी ने मोरबी का दौरा किया था, तो लाशों की दुर्गंध इतनी ज्यादा थी कि उनको नाक में रुमाल रखनी पड़ी थी।