अफगानिस्तान: तालिबान के एलान के बाद अफगानिस्तान में फिर से शरिया कानून होगा। इसके बाद अब अपराधियों को शरिया कानून के तहत सजा दी जाएगी। इसमें पत्थरबाजी, कोड़े मारना, चौराहे पर फांसी पर लटकाना और चोरों के हाथ-पैर काटने की सजा दी जाएगी। तालिबानी सरकार ने सभी जजों को शरिया कानून के तहत अपराधियों को सजा सुनाने को कहा है। उन्होंने सभी जजों से साफ कहा है कि वो इस्लामिक कानून को पूरी तरह से लागू करें।
आपको बता दें कि अफगानिस्तान से 15 अगस्त 2021 को अमेरिकी सेना की वापसी के बाद देश की सत्ता पर तालिबान का काबिज हो गया था। तालिबानियों के कब्जे के बाद राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग गए थे। तभी से तालिबानी सरकार वहां की जनता पर लगातार कई तरह के प्रतिबंध लगाती जा रही है। उसने हाल ही में महिलाओं की पार्क और जिम में एंट्री बंद कर दी गई है।
दरअसल, दो दिन पहले तालिबान ने देश के सभी जजों के साथ मीटिंग की। इस मीटिंग में तालिबान का सर्वोच्च नेता हैबतुल्लाह अखुंदजादा भी शामिल था। तालिबान के प्रवक्ता मुजाहिद ने बताया कि मीटिंग में अखुंदजादा ने जजों को शरिया कानून के तहत सजा देने का आदेश दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, तालिबान सरकार ने सभी चोरों, किडनैपर्स और देशद्रोहियों की केस फाइल को अच्छे से देखने को कहा है।
क्या है शरिया कानून?
शरिया कानून इस्लाम की कानूनी व्यवस्था है। शरिया कानून में अपराध को तीन श्रेणियों में बांटा गया है। ‘हुदुद, ‘किसस’ और ‘ताजीर‘। हुदुद में गंभीर अपराध आते हैं। हुदुद‘ की श्रेणी में व्यभिचार (एडल्ट्री), किसी पर झूठा इल्जाम लगाना, डकैती करना,अपहरण करना, शराब पीना, चोरी करना, मजहब त्यागना या विद्रोह जैसे अपराध शामिल हैं। इसमें अपराधी को सजा मिलना जरूरी है।
“किसस” में बदले की भावना जैसा है, जिसे अक्सर आंख के बदले आंख भी कहा जाता है। ‘किसस’ की श्रेणी में मर्डर और किसी को जानबूझकर चोट पहुंचाना जैसे अपराध शामिल हैं। इसमें अपराधी के साथ वैसा ही किया जाता है, जैसा वो करता है। जबकि, ‘ताजीर‘ में उन अपराधों को शामिल किया गया है, जिसमें किसी तरह की सजा का जिक्र नहीं है। ऐसे मामलों में जजों के विवेक पर सजा तय होती है।