आपको बता दें कि सांप के डसने के तुरंत बाद पीड़ित को किसी सपेरे या झाड़ फूंक करने की जगह सरकारी अस्पताल या नजदीकी सीएचसी केंद्र ले जाकर एंटी स्नेक वेनम (एएसवी) इंजेक्शन लगवा लें तो सर्पदंश से पीड़ित की जान बचाने के चांस ज्यादा हो जाते हैं।
उत्तर प्रदेश: मुरादाबाद में छात्र को सांप के काटे जाने के बाद पुनर्जीवित होने की आस में सपेरे के कहने पर 12 दिन तक बच्चे के शव को गड्ढे में दबाए रखा, लेकिन मासूम की जान फिर भी नही बच सकी। 12वें दिन गढ्ढा खोदा तो शव से दुर्गंध आने लगी, शव भी गलना शुरू हो गया था। सपेरे ने परिवार को गुमराह करके बच्चे को जिंदा करने के दावा किया लेकिन अब उसने फोन उठाना ही बंद कर दिया। अंधविश्वास के चलते और सपेरे के कहने के कारण ही बच्चे के शव की ऐसी दुर्गति हुई है।
दरअसल गांव ऊंचाकानी निवासी बबलू ठाकुर के 14 वर्षीय पुत्र वरुण को नौ नवंबर की रात में सोते समय सांप ने डस लिया था। परिजनों ने उसको एंटी स्नैक वैनम इंजेक्शन ना लगवाकर छात्र को लेकर झाड़-फूंक करने वालों के पास पहुंच गए, लेकिन कोई फायदा नही हुआ। उसके बाद परिजन छात्र को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे थे, लेकिन डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया था। इसके बाद परिजन छात्र को जीवित करने की आस में कई सपेरों के पास लेकर गए।
इस दौरान अलीगढ़ के एक सपेरे से संपर्क हुआ तो सपेरे ने छात्र के शव को घर में ही गड्ढा खुदवाकर दबवा दिया और तीन दिन तक बच्चे को जीवित करने के लिए कुछ तंत्र विद्या की, लेकिन छात्र की कोई हरकत नहीं हुई। इसके बाद सपेरे ने कहा कि वह 19 नवंबर को आएगा और उसी दिन छात्र को गढ्ढे से जीवित निकलेगा, लेकिन 19 तारीख को सपेरा नहीं आया। इसके बावजूद छात्र के परिजनों ने सपेरे का दो दिन और इंतजार किया, लेकिन वह नहीं आया और न ही उसने फोन उठाया।
परिजनों ने मंगलवार को गड्ढा खोला तो उसमें से तेज दुर्गंध आने लगी। जिसके बाद शव को गड्ढे से बाहर निकाला गया तो शव का मांस भी गलने लगा था। परिजनों ने आनन फानन में बच्चे के शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया। इस दौरान परिजन गमजदा थे और वह किसी से बात भी नहीं कर रह थे। वहीं ग्रामीणों के बीच सपेरे की दगाबाजी को लेकर चर्चाएं होती रही। छात्र के परिजनों को गुमराह करने वाले सपेरे पर जागरूक लोगों में गुस्सा है जिनका कहना था कि ऐसे सपेरे पर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। सपेरा छात्र को जीवित करने का झूठ बोलता रहा और पीड़ित परिवार उसकी बातों पर विश्वास करता रहा।
बताया गया कि सर्पदंश से मृत घोषित छात्र वरुण को घर में ही गड्ढे में दबाने के मामले में पुलिस ने भी संज्ञान लिया था। पुलिस ने छात्र के परिजनों से बात की और छात्र को गड्ढे से बाहर निकालने को कहा था, लेकिन परिजन ने गड्ढे से बाहर निकालने से मना कर दिया था। जिसके बाद पुलिस ने बैरंग लौट आई थी। पीड़ित परिवार को सपेरे पर विश्वास हो गया था कि वह गड्ढे से उनके बेटे को जीवित कर सकता है। इसलिए सपेरे के बताए अनुसार 12 दिन तक छात्र के शरीर को गड्ढे में रखे रहे। इस अंधविश्वास के कारण ही गड्ढे में दबे छात्र के शव की दुर्दशा हुई।