कैराना।इस्लामिक मशहूर आलम-ए-दीन हजरत मौलाना इदरीश साहब का बीमारी के चलते इतवार को इंतकाल हो गया। हजारों लोग उनकी आखिरी जियारत के लिए पहुंचे पैतृक गांव तीतरवाडा स्थित कब्रिस्तान के मैदान में नमाज-ए-जनाजा में शरीक हुए। हर कोई हजरत के जनाजे को कंधा देने के लिए परेशान था। जमीयत-उलेमा-ए -हिंद के पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सदर मौलाना आकिल साहब,सहित कहीं इस्लामिक और राजनैतिक हस्तियां शरीक हुईं।
63 वर्षीय मौलाना इदरीश साहब का इतवार की सुबह 2 बजे शामली के एक नर्सिंग होम में इंतकाल हुआ। यह खबर जैसे ही गांव कस्बे में पहुंची तो मातम छा गया। गांव गुहांड के लोग अपने अपने प्रतिष्ठान, दुकानें बंद करके उनके घर पहुंचना शुरू हो गए। सुबह तकरीबन 8:00 बजे उनका जनाजा तीतरवाड़ा स्थित उनके निवास पर पहुंचा जहां उनकी जियारत करने के लिए लोगों की भीड़ इक्ट्ठा होनी शुरू हो गई। भारी भीड़ को देखते हुए दोपहर में जौहर की नमाज अदा करने के बाद मौलाना इदरीश साहब के जनाजे की नमाज हजरत मौलाना आकिल साहब ने अदा कराई।
नमाज अदा करने के बाद मुताबजहाँ पर हजारों लोगों ने नम आंखों से उनके जनाजे को सुपुर्द ए खाक किया। जिस वक्त मौलाना के जनाजे को सुपुर्द ए खाक करने के लिए कब्र में रखा गया तो वहां पर कब्र से निकली मिट्टी गायब थी। जिसको लोगों ने कब्र बनाते समय ही अकीदत के तौर पर लेकर चले गए थे। बाद में यह मिट्टी लोगों ने वापस कब्र में डाल दी।
इल्म के दरिया, कौम के रहनुमा थे मौलाना
मौलाना इदरीश साहब कैराना के गांव तीतरवाडा के एक जमींदार परिवार में पैदा हुए थे।
मौलाना साहब की बचपन से ही दीनी तालीम में दिलचस्पी थी। उन्होंने जामिया मिफता हुल उलूम से मौलाना की उपाधि हासिल की थी। उसके बाद उन्होंने गांव टपराना की जामा मस्जिद में 40 साल तक इमामत की। इसी दौरान बीमारी के चलते दुनिया को अलविदा कह गए।
सलीम फारूकी- संवाददाता