What is ChatGTP– बीते साल दिसंबर में चैटजीपीटी लॉन्च हुआ। इंटरनेट सर्च की दुनिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित यह प्लेटफॉर्म अब यूजर्स में तहलका मचा है। आइए जानें क्या है यह चैटजीपीटी और इसमें क्या है भविष्य की तकनीक..
अपनी लॉन्च के एक हफ्ते के अंदर ही चैटजीपीटी यानी (चैट जेनरेटिव प्री-ट्रेन्ड ट्रांसफॉर्मर) के दस लाख यूजर दुनिया भर में हो गए थे। माना जा रहा है कि जल्द ही यह गूगल सर्च और भविष्य में इनसानी कर्मचारियों की जगह ले लेने वाला है। चैटजीपीटी साइबर स्पेस में सनसनी बन चुका है।
क्या है चैटजीपीटी
यह एक संवाद आधारित चैटबॉट है। चैटबॉट यानी ऐसा कंप्यूटर प्रोग्राम, जिसे इनसानों से संवाद के लिए फीड किया गया हो। यहां हम बात कर रहे हैं नए चैटजीपीटी की। इसे ओपनए आई नामक एक स्वतंत्र अनुसंधान निकाय ने बनाया है। 2015 में शुरू हुए इस संगठन के सह-संस्थापकों में एलॉन मस्क भी थे। यह संवादी चैटबॉट किसी भी आदेश पर तुरंत और विस्तार से प्रतिक्रिया देने के लिए प्रशिक्षित है। उपयोगकर्ता आसानी से अपनी क्वेरी दर्ज कर सकते हैं और चैटबॉट उनका जवाब देगा।
यह भी पढ़ें- मार्केट में आने वाला है सबसे महंगा और एयरबैग वाला हेलमेंट
लेकिन फिर यह भी सवाल आता है कि अन्य आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) चैटबॉट्स से यह कैसे अलग है ? इसे बनाने वालों के अनुसार चैटजीपीटी, अन्य एआई चैटबॉट्स के विपरीत, एक सवाल के जवाब से पैदा हुए अन्य सवालों का उत्तर भी दे सकता है, अपनी गलतियों को स्वीकार कर सकता है, गलत संदर्भों पर प्रश्न कर सकता है और अनुचित दरख्वास्तों/सवालों को अस्वीकार कर सकता है।
कैसे काम करता है
ओपनएआई वेबसाइट (chat.openai.com) पर जाकर इस प्लेटफॉर्म का उपयोग शुरू किया जा सकता है। इसके लिए ट्राई चैटजीपीटी बटन पर क्लिक करना होगा। चैटजीपीटी का उपयोग शुरू करने के लिए आप या तो साइन अप कर सकते हैं या अपने ओपनएआई खाते का उपयोग कर सकते हैं। कंपनी ने समझाने के लिए वेब पेज पर एक सैंपल भी दिया है।
क्या हैं सीमाएं
सरल शब्दों में कहें तो यह ऑटो टेक्स्ट जनरेट करने वाली आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भी का नवीनतम टूल है। लेकिन, यह त्रुटियों या सीमाओं से मुक्त नहीं है। ओपनएआई ने अपनी वेबसाइट पर यह स्वीकार किया है कि यह संवादी चैटबॉट कभी-कभी सही आभास देने वाले, लेकिन निरर्थक उत्तर लिखता है। साथ ही, मॉडल अक्सर जुमलों आदि का प्रयोग कुछ ज्यादा करता है। साथ ही, यह भी हो सकता है कि कोई प्रश्न यह एक निश्चित तरीके से लिखे जाने पर ही उत्तर दे पाए, यदि थोड़ा अलग वाक्यांश दिया जाता है तो यह उत्तर नहीं दे पाता है।
एक डर यह भी जाहिर किया जा रहा है कि यह गूगल सर्च ही नहीं, इनसानों की जगह भी ले सकता है। पर, इसका उत्तर यही है कि कम से कम अभी तो यह संभव नहीं दिखता।