हुसैन की सदाओं से गूंजी फिज़ा, जार-जार रोए सोगवार

आँखों देखी
2 Min Read

कैराना। हजरत इमाम हुसैन व करबला के 72 जानिसारों की याद में शिया सोगवारों ने यौम-ए-आशूरा के मौके पर ताजिया जुलूस निकाला गया। इस दौरान सोगवारों ने जमकर सीनाजनी करते हुए खूनी मातम किया। जुलूस में या हुसैन की सदाओं से फिजा गूंज उठी। सुरक्षा के दृष्टिगत पुलिस बल तैनात रहा। वहीं, नगर पालिका परिषद कैराना द्वारा प्रशासन द्वारा नगर में निकाले गए ताजियों के मार्ग पर साफ-सफाई के साथ ही पानी का छिड़काव भी किया गया।

बुधवार को दस मोहर्रम (यौम-ए-आशूरा) के मौके पर हजरत इमाम हुसैन व करबला के 72 शहीदों की याद में नगर के मोहल्ला अंसारियान स्थित छोटे इमामबाड़े से ताजिया एवं मातमी जुलूस निकाला गया, जो नोहाख्वानी व मातमदारों के साथ बड़े पर पहुंचा। जहां या हुसैन की गगनभेदी सदाओं के साथ सोगवारों ने जमकर सीनाजनी करते हुए धारदार छूरियों, ब्लैड व जंजीरों आदि से खुद को लहुलूहान किया। इस दौरान नोहाखानी की तथा मर्सिया पढ़ी। जुलूस में एक दर्जन से अधिक अलम को अलमदार लिये हुए थे तथा बड़ी संख्या में लोगों ने जुलजनाह दर्शन किए।
वहीं, सायं मोहल्ला आलकलां स्थित रजा अली खां के अजाखाने से ताजिये, अलम व जुलजनाह का दूसरा जुलूस बरामद हुआ। जुलूस में हजरत अब्बास के अलम के साथ एक दर्जन से अधिक अलम चल रहे थे। मातमदारों का यह जुलूस शामली रोड पर स्थित पूर्व जगदीश प्रसाद महाविद्यालय परिसर में करबला में संपन्न हुआ। इससे पूर्व मौलाना इमरान गदीरी ने इमामबाड़े में मजलिस को संबोधित करते हुए कहा कि दस मोहर्रम के दिन हजरत इमाम हुसैन व उनके परिवार पर मुसीबत का पहाड़ टूटा, लेकिन अंत में सच्चाई के पथ पर चलते हुए विजय उन्हीं के नाम लिखी गई। उन्होंने कहा कि छह माह के अली असगर के सीने पर जब दुश्मनों का तीर लगा, तो जमीन व आसमान कांप उठे। मौलाना ने कहा कि हर वो इंसान जिसके अंदर मानवता है, वो करबला से सबक लें। मौलाना ने हजरत इमाम हुसैन के जीवन चरित्र से प्रेरणा लेने का आह्वान किया।

Share This Article