उत्तर प्रदेश: शाहजहांपुर के तिलहर में अंधविश्वास के चलते बहादुरगंज में स्थित एक मकान में परिवार के नौ लोग बंद मिले। इनमें पांच बच्चों समेत सात बेहोशी की हालत में थे। ये सभी कई दिन से बिना कुछ खाए थे। इनकी भूख के चलते हालत बिगड़ गई थी। वहीं पड़ोसियों ने अगर सतर्कता न दिखाई होती तो परिवार के साथ कोई बड़ा हादसा हो सकता था। डॉक्टर के मुताबिक, बच्चे भूख-प्यास से बेहोश थे। एक-दो दिन और बीत जाते तो उनकी जान बचाना मुश्किल होता।
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दरअसल, तिलहर में शीतल के पति विशाल की मौत के बाद उसकी मनोस्थिति बदल गई थी। वह घर में पूजा-पाठ करने के साथ ही कई किलोमीटर नंगे पैर चलकर मंदिर जाती थी। शीतल की मां संतो को भी यकीन था कि उसपर भूत-प्रेत का साया है। जिसके चलते शीतल का पूजा-पाठ का सिलसिला नवरात्र से शुरू हो गया था। रामनवमी के दिन उसने चौकी स्थापित कर पूजा पाठ शुरू किया था। मोहल्ले में चर्चा है कि अनुष्ठान के दौरान शीतल अपने छोटे भाई की बलि देना चाहती थी। जब मां और बहनों ने विरोध किया तो अंदर से कमरा बंद कर ताला डाल दिया। तब से परिवार के सभी सदस्य भूखे थे। पुलिस समय से मौके पर पहुंच गई, अन्यथा बड़ी घटना हो सकती थी।
दरअसल, मंगलवार सुबह करीब नौ बजे संतो के पड़ोसी ने पूर्व सभासद शैलेंद्र शर्मा उर्फ मंटू को जानकारी दी थी। पूर्व सभासद शैलेंद्र शर्मा मौके पर पहुंचे तो दरवाजा अंदर से बंद था। मोहल्ले के दो युवकों को दीवार फांदकर अंदर भेजा तो मुख्य गेट पर ताला लगा था। बरामदे के अंदर का कमरा भी अंदर से बंद था। अनहोनी की आशंका के बीच तुरंत पुलिस को सूचना दी गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने दरवाजा खुलवाने का काफी प्रयास किया। लेकिन अंदर से जय बाला जी, मां दुर्गा आदि आवाजें आ रहीं थीं।
अविलंब पुलिस ने दरवाजा तोड़ दिया।अंदर शीतल और उसकी मां चौकी पर पूजा-पाठ कर रहीं थीं। वहीं पर संतो के परिवार के अन्य सदस्य बेहोशी की हालत में पड़े थे।
उसकी दोनों आंखें सूजी हुईं हैं। चेहरे पर भी कई जगह चोट के निशान थे। पुलिस को कमरे के बाहर फल, तंत्र-मंत्र वाले कपड़े आदि भी रखे मिले हैं। प्रतीत हो रहा था कि शीतल और संतो ने पिछले कई दिनों से दरवाजा नहीं खोला था। इसलिए कमरे के अंदर ही बच्चों ने पेशाब की थी। पुलिस ने जब दरवाजा खोला तो पेशाब की बदबू हर तरफ फैली हुई थी। चर्चा है कि पुलिस समय से मौके पर पहुंच गई, अन्यथा बड़ी घटना हो सकती थी।
जिस तरह की घटना है, उससे पीड़ित मानसिक बीमारी सिजोफ्रेनिया की चपेट में लग रहे हैं। इस बीमारी का काउंसलिंग और दवाओं के जरिये इलाज है। भूत-प्रेत के चक्कर में पड़ने से पीड़ित के साथ परिवार को भी नुकसान उठाना पड़ सकता है। डॉ. रोहिताश क्लीनिकल मनोवैज्ञानिक, राजकीय मेडिकल कॉलेज