ज्ञानवापी मामले में जिला कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने हिंदू पक्ष को व्यास तहखाने में पूजा करने की इजाजत दे दी है. व्यासजी का तहखाना 1993 से बंद था।
वहीं, बुधवार को ही जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्ववेश की अदालत ने ज्ञानवापी परिसर की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की सर्वेक्षण रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी थी. रिपोर्ट के मुताबिक ज्ञानवापी में एक मंदिर का ढांचा मिला है.
पहले विवाद जानिए
ज्ञानवापी विवाद को लेकर हिंदू पक्ष का दावा है कि इसके नीचे 100 फीट ऊंचा आदि विश्वेश्वर का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग है. काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण करीब 2050 साल पहले महाराजा विक्रमादित्य ने कराया था, लेकिन औरंगजेब ने साल 1664 में मंदिर को ध्वस्त कर दिया था। दावे में कहा गया है कि मंदिर को तोड़कर उसकी जमीन पर मस्जिद का निर्माण किया गया था, जिसे अब ज्ञानवापी मस्जिद के नाम से जाना जाता है।
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याचिकाकर्ताओं ने मांग की थी कि ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराया जाना चाहिए ताकि यह पता लगाया जा सके कि भूमिगत हिस्सा मंदिर के अवशेष हैं या नहीं। साथ ही विवादित ढांचे के फर्श को तोड़कर यह भी पता लगाना चाहिए कि वहां 100 फीट ऊंचा ज्योतिर्लिंग स्वयंभू विश्वेश्वरनाथ भी मौजूद है या नहीं. मस्जिद की दीवारों की भी जांच होनी चाहिए कि ये मंदिर की हैं या नहीं. याचिकाकर्ता का दावा है कि ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण काशी विश्वनाथ मंदिर के अवशेषों से किया गया था। इन दावों पर कोर्ट ने कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से सर्वे कराया. एएसआई की यह सर्वे रिपोर्ट पिछले बुधवार को सार्वजनिक हुई।
इस विवाद पर अब तक क्या हुआ?
काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी मामले में वाराणसी कोर्ट में पहला मुकदमा 1991 में दायर किया गया था. याचिका में ज्ञानवापी परिसर में पूजा की इजाजत मांगी गई थी. प्राचीन मूर्ति स्वयंभू भगवान विश्वेश्वर की ओर से वादी के रूप में सोमनाथ व्यास, रामरंग शर्मा और हरिहर पांडे शामिल हैं।
केस दर्ज होने के कुछ महीने बाद सितंबर 1991 में केंद्र सरकार ने पूजा स्थल अधिनियम बनाया. यह कानून कहता है कि 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को किसी अन्य धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता है. अगर कोई ऐसा करने की कोशिश करता है तो उसे एक से तीन साल की जेल और जुर्माना हो सकता है.
उस समय अयोध्या मामला कोर्ट में था, इसलिए इसे इस कानून से बाहर रखा गया था. लेकिन ज्ञानवापी मामले में मस्जिद कमेटी ने इसी कानून का हवाला देकर याचिका को हाई कोर्ट में चुनौती दी. 1993 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने स्टे लगाकर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था.
2018 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि किसी भी मामले में स्थगन आदेश की वैधता केवल छह महीने के लिए होगी. इसके बाद यह आदेश प्रभावी नहीं होगा.
इस आदेश के बाद 2019 में इस मामले की सुनवाई फिर से वाराणसी कोर्ट में शुरू हुई. 2021 में वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के पुरातात्विक सर्वेक्षण को मंजूरी दे दी.
आदेश में एक आयोग नियुक्त किया गया और इस आयोग को 6 और 7 मई को दोनों पक्षों की उपस्थिति में श्रृंगार गौरी की वीडियोग्राफी करने का आदेश दिया गया. कोर्ट ने 10 मई तक इस संबंध में पूरी जानकारी मांगी थी.
6 मई को सर्वे का पहला दिन ही हुआ, लेकिन 7 मई को मुस्लिम पक्ष ने इसका विरोध शुरू कर दिया. मामला कोर्ट तक पहुंच गया.
मुस्लिम पक्ष की याचिका पर 12 मई को सुनवाई हुई. कोर्ट ने कमिश्नर बदलने की मांग खारिज कर दी और 17 मई तक सर्वे का काम पूरा कर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि जहां भी ताले लगे हों, ताले तोड़वाएं. अगर कोई बाधा उत्पन्न करने की कोशिश करता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करें, लेकिन सर्वे का काम हर हाल में पूरा होना चाहिए.
14 मई को सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका पर तुरंत सुनवाई से इनकार कर दिया. याचिका में ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे पर रोक लगाने की मांग की गई थी. शीर्ष अदालत ने यथास्थिति बनाए रखने से इनकार कर दिया था और कहा था कि हम कागजात देखे बिना आदेश जारी नहीं कर सकते. अब मामले की सुनवाई 17 मई को होगी.
ज्ञानवापी का सर्वेक्षण कार्य 14 मई से दोबारा शुरू हुआ। कुएं तक सभी बंद कमरों की जांच की गयी. इस पूरी प्रक्रिया की वीडियो और फोटोग्राफी भी की गई.
सर्वे का काम 16 मई को पूरा हो गया. हिंदू पक्ष का दावा था कि बाबा कुएं में मिले थे. इसके अलावा इसके हिंदू स्थल होने के कई सबूत भी मिले। वहीं, मुस्लिम पक्ष ने कहा कि सर्वे के दौरान कुछ नहीं मिला. हिंदू पक्ष ने इसके वैज्ञानिक सर्वेक्षण की मांग की. मुस्लिम पक्ष ने इसका विरोध किया.
21 जुलाई 2023 को जिला अदालत ने हिंदू पक्ष की मांग को मंजूरी दे दी और ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण का आदेश दिया.
24 जनवरी 2024, बुधवार को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने फैसला सुनाया. जिला जज ने सर्वे रिपोर्ट वादी को देने का आदेश दिया.
रिपोर्ट 25 जनवरी 2024 को सार्वजनिक की गई. रिपोर्ट के मुताबिक, ज्ञानवापी में एक मंदिर का ढांचा मिला है. इस पर हिंदू पक्ष ने खुशी जताई.
31 जनवरी 2024 को वाराणसी जिला अदालत ने हिंदू पक्ष को व्यास तहखाने में पूजा करने की इजाजत दे दी.