अमित शाह की रैली हुई फ्लॉप, तो मंच से ही देने लगे धमकियां, अधिकारी ‘कमल’ का ख्याल रखें वरना

आँखों देखी
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अमित शाह
अमित शाह

Madhya Pradesh Assembly Election Update in hindi: अमितशाह मध्य प्रदेश में डेरा डाले हुए हैं और कार्यकर्ताओं की लगातार बैठक ले रहे हैं। लेकिन हर बैठक के बाद उनके चेहरे की चिंता बढ़ती जा रही है‚ क्योंकि जो फीडबैक मिल रहा है वह उन्हें परेशान कर रहा है।  साथ ही तमाम न्यूज़ एजेंसियों के जो सर्व आ रहे हैं वह भी इस परेशानी को और भी बढ़ा रहे हैं। हर तरफ से मुश्किलें बढ़ाने वाली खबरें मिल रही है। ना तो भाजपा नेताओं की रैलियाें में लोग आ रहे हैं और ना ही उम्मीदवारों के समर्थक सड़क पर दिख रहे हैं।  उल्टा जनता भाजपा नेताओं से सवाल कर रही है कि आखिर उसे वोट क्यों दिया जाए।

बदलाव की लहर साफ़-साफ़ महसूस की जा रही है जिससे भाजपा की नींद उड़ाई हुई है। अब बीजेपी की ओर से पीएम मोदी के फेस को बचाने की कोशिश अभी तेज हो गई है। आमतौर पर जहां चुनाव होते हैं वहां पीएम मोदी की रैलियां अचानक ही बढ़ जाती है लेकिन मध्य प्रदेश में उल्टा होता दिखाई दे रहा है। चुनाव चल रहा है‚ सभी उम्मीदवार घोषित हो चुके हैं लेकिन पीएम मोदी चुनाव मैदान में नहीं दिख रहे हैं।

हार के लिए पीएम मोदी नहीं होंगे जिम्मेदार

सबसे बड़ी बात यह है कि भाजपा पहले पीएम मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ने की बात कह रही थी और अब इस चेहरे को बचाने की कोशिश करनी पड़ रही है। क्योंकि संकेत मिल रहे हैं की जीत की जगह हर गले पड़ सकती है।  इसी के चलते पीएम मोदी को पीछे किया जा रहा है। भाजपा ने पहले ही मोदी को पीछे करने का प्लान बना लिया है।

अधिकारियाें को दी जा रही है धमकी

मध्यप्रदेश चुनाव में हार का अनुभव होने पर बीजेपी भौखलाहट में है। अधिकारियों को तो अब सीधे-सीधे धमकी दी जा रही है। गृहमंत्री अमित शाह खुलेआम अधिकारियों को धमकियां देते हुए कह रहे हैं कि जो बीजेपी का ख्याल नहीं रखेगा वह बड़ी मुसिबत में फंस जाएगा।  शिवराज को भी शाह ने  अधिकारियों को टाइट करने के सख्त निर्देश दिए हैं।

BJP की रैलियों को दूरी बनाए हुए हैं लोग

पीएम मोदी एमपी में चुनाव प्रचार से दूर है तो पार्टी के दूसरे सबसे बड़े स्टार प्रचारक अमित शाह की रैलियाें में भीड़ नहीं जुड़ रही है। जगह-जगह से रैली में खाली पड़ी कुर्सियों की तस्वीर सामने आ रही है। जबकि दूसरी और कांग्रेस की रैलियां में लोगों की जबरदस्त भीड़ जुट रही है और शायद इसी के चलते पीएम मोदी को भी अभी तक पार्टी ने चुनाव प्रचार में नहीं उतरा है।

बताया जा रहा है कि पीएम एमपी में सीमित रैलियां करेंगे क्योंकि एमपी की रैलियां के बाद पार्टी को जो फीडबैक मिल रहा है उसे उसकी परेशानी बढ़ती दिख रही है। इसी परेशानी के चलते अब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह वह बातें भी कह गए जो आमतौर पर कोई भी नेता सार्वजनिक रूप से कहने का साहस नहीं जुटा पाता है।

भोपाल में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक में अमित शाह ने कहा कि जो अधिकारी कमल का ध्यान नहीं रखें उसे छोड़ेंगे नहीं। कमल बीजेपी का चुनाव चिन्ह है और एक तरह से शाह ने सभी अधिकारियों तक मैसेज पहुंचा दिया है कि उन्हें चुनाव में कैसे जिम्मेदारी निभानी है। जिस अधिकारी तक यह मैसेज नहीं पहुंचा है उस तक इसे पहुंचाने की जिम्मेदारी भी अमित शाह ने राज्य के सीएम शिवराज सिंह चौहान को दी है।

मंच से ही शाह ने कहा कि शिवराज जी आप यह मैसेज कर दो कि बचा नहीं पाओगे। अब यह बात अलग है की धमकी अधिकारियों को दी गई है जो इस समय चुनाव के काम में लगे हुए हैं। हालांकि चुनाव आयोग इस पर कोई एक्शन नहीं लेगा यह तय है। लेकिन शाह की धमकी बीजेपी के डर को साफ-साफ बता रही है कि आखिर मध्य प्रदेश में चल क्या रहा है।

पांचो राज्यो में BJP की हालत खराब

पीएम मोदी की चुनाव प्रचार से दूरी बीजेपी में बढ़ते डर का संदेश दे रही है। जनता और कार्यकर्ताओं के बीच से मिल रहे फीडबैक में बीजेपी हाई कमान की परेशानी बढ़ी हुई है। मध्यप्रदेश ही नही अन्य चार राज्यों में भी बीजेपी की हालत खराब दिखाई दे रही है। जो नेता जितना नरम दिखाई देता है माना जाता है कि वह अपनी जीत को लेकर उतना ही आत्मविश्वास से भरा होता है और जिसे अपनी हर दिखाई देती है उसके बयानों में बौखलाहट भी दिखती है।  धमकी भरा अंदाज भी उसकी जुबान पर आ ही जाता है। जो आप बीजेपी नेताओं के बयानों में दिखाई दे रहा है।

जिस तरह से केंद्रीय गृहमंत्री अधिकारियों को डराने की कोशिश कर रहे हैं‚ उन्हें कमल का ध्यान रखने का मैसेज दे रहे हैं। वह उनके डर को साफ-साफ दिख रहा है। लेकिन जब जनता खिलाफ हो रही है तो फिर कोई भी प्लान काम आता नहीं है। न तो बाहुबल और ना ही प्रशासनिक मशीनरी काम करती है। सिर्फ जनता ही काम आती है। हालांकि इस बार जनाधार बीजेपी के खिलाफ जाता दिख रहा है। वैसे बीजेपी की हालात सिर्फ एमपी में ही नहीं इस बार 4 राज्यों में ही खराब दिखाई दे रही है।

राहुल गांधी ने तो पांच राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनाने का दावा कर दिया है और अब पीएम मोदी जिस तरह से चुनाव प्रचार से दूरी दिखा रहे हैं उसे यह साफ दिख रहा है कि राहुल का दवा बीजेपी के फीडबैक में भी सच होता दिख रहा है।

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