कैराना। माता-पिता होते तो खुशी हो जाती दुगनी। यह शब्द उस बेटी के हैं जिसने जज बनकर गांव और समाज का नाम रोशन कर दिया। पिता ने जो ख्वाब देखा‚ बेटी ने आज उसे पूरा कर दिखाया। सिविल जज बनने के बाद पहली बार लखनऊ से सीधे अपने मामा के घर कैराना पहुंची गुल अफ़शा का ढोल बाजे और आतिशबाजी के साथ भव्य स्वागत किया गया।
उत्तर प्रदेश के जनपद शामली के कैराना के मोहल्ला आल कलां निवासी दैनिक जनवाणी के संवाददाता आरिफ चौधरी की भांजी गुल अफ़शा चौधरी निवासी देवबंद सिविल जज( जूनियर डिवीजन) बनने के बाद शुक्रवार शाम पहली बार अपने मामा के घर पहुंची। इस दौरान उनका ढोल बाजों के साथ भव्य स्वागत किया गया तथा आतिशबाजी की गई।मोहल्ला आलकला में प्रत्येक घर के आगे मोहल्ले की नाती ने गुल अफ़शा का स्वागत किया और आशीर्वाद दिया।
करीब 1 साल पहले गुल अफ़शा के पिता देवबंद निवासी मुरसलीन और माता इमराना का बीमारी के चलते इंतकाल हो गया था। माता-पिता की मौत के बाद कठिन परिश्रम करके गुल अफ़शा ने यह मुकाम हासिल किया। सिविल जज (जूनियर डिवीजन )बनी गुल अफ़शा चौधरी ने कहा कि आज अगर उनके माता-पिता जिंदा होते तो दुगनी खुशी होती।
माता-पिता के इंतकाल के बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और आज इस मुकाम पर पहुंच गई। उन्होंने कहा कि आज उनके माता-पिता उनके साथ नहीं है अगर उनके माता-पिता होते तो दुगनी खुशी होती। उन्होंने कहा कि सभी अपने बच्चों को पढ़ा लिखा कर उन्हें मुस्तकबिल बनाए। लड़का हो या लड़की किसी में भेदभाव नहीं करना चाहिए।इस अवसर पर चौधरी इमरान,संजय सिंह राजपूत,संजीव वर्मा एडवोकेट नसीम चौधरी,चौधरी आसिफ, चौधरी इरफ़ान,एडवोकेट शगुन मित्तल,एडवोकेट पूर्व चेयरमैन राशिद अली,चौधरी इनाम,चौधरी इलियास आदि सहित भारी संख्या में पत्रकार एवं गणमान्य लोग मौजूद रहे।