पोर्श कार हादसे में नया खुलासाǃ रईसजादे को बचाने के लिए डिप्टी CM अजीत पवार ने भी किया था पुलिस कमिश्नर को फोन

राज्य के डिप्टी चीफ मिनिस्टर और उनकी पार्टी के दो नेताओं पर आरोप लग रहे हैं कि रईसजादे बिल्डर के बेटे को बचाने के लिए इन लोगों ने पुलिस की कार्यवाही में दखल देते हुए नरमी बरतने के लिए फोन कॉल की थी।

आँखों देखी
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पुणे। पोर्श कार हादसे में राेजाना नए खुलासे हो रहे हैं। अब पता चला है कि दो इंजीनियरों को कुचलकर भागने वाले रईसजादे को बचाने के लिए पुलिस प्रशासन तथा डॉक्टरो ने ही कोशिश नहीं की बल्कि राज्य के डिप्टी चीफ मिनिस्टर ने भी पूरी कोशिश की थी। आरोप है कि डिप्टी चीफ मिनिस्टर ने पुलिस कमिश्नर को कार्यवाही में नरमी बरतने को फोन किया था।

मंगलवार को महाराष्ट्र के डिप्टी चीफ मिनिस्टर अजीत पवार और उनके दो नेताओं पर पुणे के बिल्डर के नाबालिग बेटे द्वारा आधी रात को तेज रफ्तार पोर्श कार से दो इंजीनियरों को कुचलकर मौत के घाट उतारने के मामले में सवाल उठ रहे हैं।

राज्य के डिप्टी चीफ मिनिस्टर और उनकी पार्टी के दो नेताओं पर आरोप लग रहे हैं कि रईसजादे बिल्डर के बेटे को बचाने के लिए इन लोगों ने पुलिस की कार्यवाही में दखल देते हुए नरमी बरतने के लिए फोन कॉल की थी। आरोप है कि बिल्डर कारोबारी विशाल अग्रवाल के बेटे पर नरमी बरतने के लिए राज्य के डिप्टी चीफ मिनिस्टर अजीत पवार ने पुणे के पुलिस कमिश्नर को कॉल कॉल की थी। डिप्टी चीफ मिनिस्टर अजीत पवार ने अपने ऊपर लग रहे इन आरोपों को लेकर पुलिस कमिश्नर को फोन कॉल करने से मना नहीं किया है।

लेकिन उनका कहना है कि मैंने कारोबारी के बेटे के पक्ष में फोन नहीं किया था, बल्कि पुलिस कमिश्नर को की गई फोन कॉल में मैंने कहा था कि आरोपी किशोर अमीर शख्स का बेटा है इसलिए उसके प्रभाव में पुलिस को नहीं आना है। महाराष्ट्र के डिप्टी चीफ मिनिस्टर अजीत पवार की यह सफाई अब लोगों के गले नहीं उतर रही है, क्योंकि डिप्टी चीफ मिनिस्टर के करीबी सुनील तिंगरे पर आरोप लग रहे हैं कि वह घटना की रात 3:00 बजे ही अमीरजादे के बेटे को बचाने के लिए पुलिस स्टेशन पहुंच गए थे।

हालांकि सुनील तिंगरे ने रात में ही पुलिस थाने जाने की बात कबूल की है लेकिन उन्होंने भी डिप्टी चीफ मिनिस्टर की तरह यही कहा है कि वह थाने में यह कहने गए थे कि बिना किसी दबाव में पुलिस एक्शन लें। उधर अजीत पवार और उनके विधायकों की कार्य प्रणाली को लेकर सवाल उठा रहे लोगों का कहना है कि यदि अजीत पवार ने मारे गए लोगों को न्याय दिलाने के लिए पुलिस कमिश्नर को फोन किया था तो वह चार दिन तक क्यों चुप रहे हैं?

 

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