Mp news: मध्य प्रदेश में चुनाव होने वाले हैं, प्रचार जोरों पर है. इसी प्रचार के दौरान एक फर्जी होर्डिंग बीजेपी सरकार के लिए फजीहत का केन्द्र बन गया। बीजेपी मध्य प्रदेश में पिछले 20 साल से भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. भाजपा अपने कथित विकास कार्यों और उपलब्धियों का जमकर प्रचार कर रही है। इसी सिलसिले में 27 सितंबर 2023 को बीजेपी मध्य प्रदेश के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट (X) किया गया.
ट्वीट में लिखा- ”मध्य प्रदेश सबसे आगे! स्मार्ट सिटी कॉन्क्लेव 2023 में मध्य प्रदेश नंबर वन राज्य बना।
इसके साथ एक पोस्टर भी ट्वीट किया गया. पोस्टर में एक फोटो का इस्तेमाल किया गया है. पोस्टर में एक तरफ शिवराज सिंह चौहान और नरेंद्र मोदी खड़े हैं और दूसरी तरफ शहर से गुजरने वाली एक खूबसूरत सड़क की तस्वीर है जिस पर “इंदौर” लिखा है. तो क्या ये तस्वीर इंदौर शहर की है?
न्यूज क्लिक वैबसाइट द्वारा जब इस तस्वीर को विभिन्न सर्च इंजनों के जरिए इंटरनेट पर खोजा गया तो यह तस्वीर एक ऑनलाइन पोर्टल सिटीजन मैटर्स पर मिली। यह तस्वीर 22 अप्रैल 2020 को इस वेबसाइट पर एक रिपोर्ट के साथ प्रकाशित हुई थी। शीर्षक था- कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान बेंगलुरु कैसा दिखता है। इस तस्वीर को फोटोग्राफर नवीन थॉमस प्रसाद ने क्लिक किया है और यह तस्वीर बेंगलुरु सिल्क बोर्ड जंक्शन की है।
बीजेपी ने इस फोटो को एडिट और क्रॉप कर अपने पोस्टर में इस्तेमाल किया है. मूल तस्वीर में सिल्क बोर्ड की इमारत भी देखी जा सकती है। यानी साफ है कि ये तस्वीर कोरोना काल की है और इंदौर की नहीं बल्कि बेंगलुरु की है. बीजेपी ने फोटो का इस्तेमाल गलत दावे के साथ किया है. हालांकि, यह सच है कि साल 2023 के स्मार्ट सिटी कॉन्क्लेव में इंदौर को पहला स्थान मिला है।
आप नीचे इंदौर के नाम पर बीजेपी द्वारा इस्तेमाल की गई एडिटेड तस्वीर और असली तस्वीर दोनों को देख सकते हैं और खुद तुलना कर सकते हैं.
चुनाव के दौरान इस तरह झूठे दावों के साथ फोटो शेयर करना मतदाताओं को गुमराह करना है। अगर प्रचार इंदौर से है तो कायदे से बीजेपी को इंदौर की ही फोटो का इस्तेमाल करना चाहिए था. चुनाव आयोग को भी इस बारे में सोचना चाहिए और चुनाव प्रचार सामग्री में इस्तेमाल की जाने वाली तस्वीरों के संबंध में राजनीतिक दलों के लिए दिशानिर्देश जारी करना चाहिए। चुनाव आयोग को झूठे दावों के साथ तस्वीरों का इस्तेमाल बंद करना चाहिए ताकि मतदाता दिखावटी प्रचार से गुमराह न हों। चुनाव प्रचार में पारदर्शिता बनी रहे और चुनाव आयोग इसे सुनिश्चित करे.