Banks Loans: छह सालों में बैंकों ने माफ किया 11.17 लाख करोड़ का लोन‚ माेदी सरकार ने संसद दी जानकारी

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Bank Write Off 11.17 Crore Rupees: बैंकों ने वित्तीय वर्ष 2021-22 तक पिछले छह वर्षों में 11.17 लाख करोड़ रुपये के खराब लोन (Bad Loan) को बट्टे खाते में डाल दिया है। मंगलवार (20 दिसंबर) को संसद में इस बात की सूचना दी गई। वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड (Bhagwat Karad) ने एक लिखित जवाब (Written Reply) में बताया संसद में पिछले 6 सालों का आंकड़ा पेश करते हुए राज्य वित्त मंत्री (State Finance Minister) ने बताया कि पिछले 6 सालों में बैंकों ने कुल 11.17 लाख करोड़ रुपये के फंसे हुए लोन को बट्टे खातों में डाल दिया है और इस बैलेंस को बही खाते से हटा दिया है।

RBI ने दी Bank Deflaters की लिस्ट

एक अन्य प्रश्न के जवाब में कराड ने कहा, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बताया है कि 30 जून, 2017 तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 25 लाख रुपये और उससे अधिक के बकाया लोन वाले विलफुल डिफॉल्टरों की कुल संख्या 8,045 थी और 30 जून, 2022 तक 12,439, जबकि प्राइवेट बैंक में यह 30 जून, 2017 को 1,616 और 30 जून, 2022 को 2,447 थी। उन्होंने आगे कहा, “आरबीआई ने सूचित किया है कि 30.6.2017 तक, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों में 8,744 सूट-फाइल विलफुल डिफॉल्टर्स और 917 गैर-सूट-फाइल किए गए विलफुल डिफॉल्टर्स थे, और 30.6.2022 तक, वही खड़ा है। क्रमशः 14,485 और 401।”

Balance Sheet को साफ करने के लिए बैंक ये प्रक्रिया अपनाते हैं

राज्य वित्तमंत्री ने आगे बताया कि बैंक अपनी बैलेंस शीट को साफ रख कर लाभ लेने और अपने नियमित अभ्यास के हिस्से के रूप में एनपीए को राइट-ऑफ करते रहते हैं। उन्होंने बताया कि बैंकों के आरबीआई के दिशानिर्देशों और उनके बोर्ड के अनुमोदन की नीति के अनुसार राइट-ऑफ किया जाता है। राज्य वित्तमंत्री ने आगे बताया, “आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) और अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (SCB) ने पिछले छह वित्तीय वर्षों के दौरान क्रमशः 8,16,421 करोड़ रुपये और 11,17,883 करोड़ रुपये की कुल राशि को बट्टे खाते में डाला।”

Nirmala Sitharaman ने पेश किया था 5 साल का आंकड़ा

इसके पहले 14 दिसंबर को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) ने बीते पांच सालों के आंकड़े राज्यसभा में पेश किए थे। वित्तमंत्री ने बताया था कि पांच सालों के दौरान बैंकों में फंसे लोन को आरबीआई के दिशा-निर्देशों के अनुसार बट्टे खाते में डाल दिया गया है। निर्मलासीतारमण ने बताया था कि इसके साथ ही बैंकों ने अपने मौजूदा बही-खाते को ठीक भी कर लिया। उन्होंने बताया था कि आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक बीते 5 सालों में 10 लाख करोड़ से भी ज्यादा रकम बट्टे के खाते में डाल दिया गया है।

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