गुजरात के बाद अब MP में भष्ट्राचारǃ 960 करोड़ रुपए की लागत से बना साउंड प्रूफ ब्रिज 3 साल में टूटा

आँखों देखी
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सिवनी: BJP शासित राज्यों में लगातार भ्रष्टाचार के बड़े मामले सामने आ रहे हैं। दो दिन पहले जहां गुजरात के अहमदाबाद में हाटकेश्वर ब्रिज में हुए भ्रष्टाचार का मामला उजागर हुआ तो अब ऐसा ही मामला मध्य प्रदेश से सामने आया है। यहां तीन साल पहले 960 करोड़ रुपए की लागत से देश का पहला साउंड फ्रूफ ब्रिज बना था। जो अब गढ्ढो में तब्दील हो गया है। यह ब्रिज एनएच-44 पर है। 29 किमी की दूरी वाले इस हाईवे का निर्माण 2021 में 960 करोड़ रुपए की लागत से हुआ था। तीन साल में ही यह हाईवे बदहाल हो गया है। भारी बारिश के बाद साउंड प्रूफ ब्रिज पर कई जगह गड्ढे हो गए हैं। मीडिया में खबरें आने के बाद निर्माण कंपनी ने मरम्मत के काम शुरू कर दिए हैं लेकिन गुणवत्ता को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। हाईवे पर अब जगह-जगह पर गड्ढे दिख रहे हैं।

जानवरों के लिए बनाया गया था साउंड प्रूफ

दरअसल, एनएच-44 पेंच टाइगर रिजर्व पार्क से होकर गुजरता है। पेंच टाइगर रिजर्व बाघों समेत अन्य जंगली जानवरों का बड़ा ठिकाना है। ऐसे में जंगल के अंदर साउंड प्रूफ ब्रिज का निर्माण किया गया था। ऊपर से गुजरने वाली गाड़ियों का शोर नीचे जानवरों को नहीं सुनाई दे। उन्हें कोई परेशानी का सामना नहीं करना पड़े।

देश का पहला साउंड प्रूफ हाईवे

केंद्र सरकार की तरफ से इस साउंड प्रूफ हाईवे का निर्माण करवाया गया था। इसके निर्माण में तीन साल पहले करीब 960 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। 29 किमी की दूरी जो जंगल से होकर गुजरती है, उस पर रॉकेट की रफ्तार से उस समय गाड़ियां भागती थी। साथ ही दावा किया गया था कि उच्च क्वालिटी के मटरियल का इस्तेमाल हुआ है। तीन साल बाद ही इस साउंड प्रूफ हाइवे पर गाड़ियां हिचकोले खा रही हैं। ब्रिज पर जगह-जगह गड्ढे हो गए हैं। कई जगहों पर पैच वर्क दिख गया है। इससे साफ है कि सड़क की स्थिति अब खराब हो गई है।

जालियां भी टूट गईं कई जगह

यही नहीं, स्थानीय लोग दावा करते हैं कि ब्रिज की तरफ जानवरों को आने से रोकने के लिए बाउंड्री पर जालियां लगाई गई थीं। जालियां भी अब टूटने लगी है। कई जगह पर बाउंड्री वॉल की जालियां उखड़ गई हैं। ऐसे में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। इस साउंड प्रूफ हाईवे का केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने 16 सितंबर 2021 को लोकार्पण किया था।

जर्क भी नहीं होते थे महसूस

वहीं, जब इस हाईवे का लोकार्पण हुआ था, तब इस पर जर्क भी महसूस नहीं होता था। चमचमाती सड़क पर हवा की रफ्तार से गाड़ियां भागती थीं। अब सड़क की स्थिति बेहद खराब हो गई है।

क्यों खर्च हुए थे इतने रुपए

मोहगांव से खवासा के बीच बन रहे नए हाइवे पर जानवरों की सुरक्षा का खास ख्याल रखा गया था। इस हाईवे के एक हिस्से को बनाने में लगभग 960 करोड़ रुपए लगे थे। इस रकम का एक बड़ा हिस्सा 14 अंडरपास बनाने में खर्च हुआ है, जो पेंच टाइगर रिजर्व के जानवरों को सड़क पार करने में मदद करेंगे। यह अंडरपास 3145 मीटर लंबे हैं। इतना ही नहीं, हाइवे पर गाड़ियों के शोर और रोशनी से जानवरों को कोई परेशानी ना हो, इसके लिए भी खास इंतजाम किए गए हैं। सड़क के दोनों ओर चार मीटर ऊंची स्टील की दीवार बनाई गई थी। इस दीवार पर साउंड बैरियर और हेडलाइट रिड्युसर भी लगाए गए हैं। इससे हाईवे पर चलने वाली गाड़ियों की आवाज और लाइट वन्यजीवों को डिस्टर्ब ना करे।

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