Ravi Chauhan- New Delhi: हिमाचल प्रदेश में हालिया हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को राज्य की सत्ता अपने हाथ से खोनी पड़ी। भले ही बीजेपी गुजरात को दोबारा जीतने की खुशी का दिखावा कर रही है लेकिन अंदर खाने सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। सूत्रों के अनुसार इस हार पर मंथन किया जा रहा है।
हिमाचल प्रदेश की बात करें तो बीजेपी ने वहां 43 फ़ीसदी वोट हासिल करने के बाद भी राज्य की सत्ता गंवा दी है। राजनीति के जानकारों का मानना है कि हिमाचल प्रदेश में बीजेपी की हार के कई अहम कारण और मुद्दे हैं। आने वाले नौ राज्यों के विधानसभा चुनाव और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में भी यह मुद्दे भारतीय जनता पार्टी की नींद हराम करेंगे।
अग्निपथ योजना और बेरोजगारी
सबसे पहले मुद्दे की बात करें तो बेरोजगारी और अग्निपथ योजना सबसे बड़ा मुद्दा रहा। बीजेपी ने हर साल 2 करोड़ नौकरियां देने का वादा किया लेकिन पूरा नही कर सकी। रही सही कसर सेना में ठेके पर नौकरी की व्यवस्था ने पूरी कर दी। दरअसल हिमाचल प्रदेश में बड़ी संख्या में युवा सेना और वायु सेना में जाते हैं। लेकिन जून 2022 में सरकार ने तीनो सेनाओ में अग्निपथ योजना को लागू कर दिया। मोटे तौर पर कहा जाए तो यह 4 साल का एक अल्पकालिक ठेका है जिसके बाद जवान को बाहर कर दिया जाएगा। इसको लेकर शुरू में देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए जिसे सरकार ने बलपूर्वक दबाने की कोशिश की। हालांकि प्रदर्शन तो रुक गया लेकिन युवाओं ने वोट की ताकत से बीजेपी को यह एहसास करा दिया कि उसका यह फैसला सही नही है।
आने वाले साल में मध्यप्रदेश‚ कर्नाटक‚ छत्तीसगढ़‚ राजस्थान‚ तलंगाना‚ मेघालय‚ त्रिपुरा‚ नागालैंड और मिजोरम में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। छत्तीसगढ़‚ राजस्थान‚ और मध्यप्रदेश और नागालैंड से बड़ी संख्या में युवा सेना में जाते हैं। संभावना है कि इन राज्यों के युवा भी अग्निपथ योजना के विरोध में बीजेपी के खिलाफ वोट कर सकते हैं।
बेकाबू महंगाई और टैक्स
दूसरे बड़े मुद्दे की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी कोरोना के बाद से अचानक बढ़ी महंगाई पर लगाम लगाने में पूरी तरह से फेल साबित हुई है। गैस और तेल की कीमतें लगातार आसमान छू रही हैं। वही खाद्य सामग्री और आटे पर टैक्स लगाने से आम आदमी की सरकार के प्रति नाराजगी बढ़ी है। भले ही खुदरा महंगाई दर गिरी हो लेकिन देहात और गांवो की मार्केट में अभी भी राशन- सब्जियां और फल महंगे दामों पर ही मिल रहे हैं।
EMI का बढ़ना
महंगाई पर लगाम लगाने के लिए आरबीआई ने रेपो रेट बढ़ाकर कर्जदारों की ईएमआई बढ़ा दी। इस साल मई से लेकर दिसंबर तक आरबीआई ने 5 बार रेपो दर बढ़ा दी है। जिसमें करीब 2 .25 फ़ीसदी की बढ़ोतरी कर दी है। इससे मिडिल क्लास लोगों की जेब पर भारी बोझ पड़ा है। इसको लेकर भी लोगों में गुस्सा है।
पुरानी पेशन बहाली
पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा भी बीजेपी के लिए परेशानी खड़ी करने वाला है। कांग्रेस शासित ज्यादातर राज्यों ने पुरानी पेंशन बहाली लागू कर दी है‚ लेकिन बीजेपी और उसके सहयोगी दल इसके पक्ष में नहीं है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2022 तक केंद्र सरकार में 34.65 लाख कर्मचारी कार्यरत थे। नई पेंशन व्यवस्था के अनुसार ज्यादातर केंद्रीय कर्मचारी नाराज है। इसको लेकर मतदाता बीजेपी के खिलाफ वोट कर सकते हैं। हालांकि RSS से जुड़े भारतीय मजदूर संघ ने बीजेपी को 2024 के चुनाव से पहले पुरानी पेंशन बहाली करने का सुझाव दिया है।
जातिगत जनगणना और आरक्षण
जातिगत जनगणना और आरक्षण का मुद्दा भी बीजेपी के लिए सिरदर्द बन सकता है। बीजेपी को छोड़कर लगभग सभी दल इसकी वकालत कर चुके हैं। वहीं स्वर्ण गरीब आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट द्वारा सही ठहराए जाने के बाद ओबीसी और दलित संगठन भी अपनी आरक्षण सीमा बढ़ाने की मांग तेज कर सकते हैं। इसके अलावा किसान संगठन भी चुनाव से ठीक पहले पर अपना आंदोलन तेज करने वाले हैं। जो बीजेपी के गले की फांस बनेंगे।
विपक्ष को मिली बीजेपी कमजोरी
आपको बता दें कि यह सभी वो मुद्दे हैं जो केन्द्र की सत्ता और लगभग 70 फीसदी राज्यों में सरकार चला रही बीजेपी की बड़ी कमजोरी है। विपक्ष भी अब अच्छे से इसे जान गया है। कांग्रेस इन्ही मुद्दो को लेकर लोगों के बीच भारत जोड़ो यात्रा कर रही है। मीडिया भले ही कांग्रेस की इस यात्रा को तव्वजों नही दे रहा है लेकिन आम जनता कांग्रेस से जुड़ रही है। कांग्रेस की यह यात्रा बीजेपी के वोट बैंक को प्रभावित करेगी।