निठारी कांड: 17 साल बाद भी मासूमों को नही मिला इंसाफ‚ कोर्ट के फैसले से परिजनो में भारी रोष

आँखों देखी
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पंधेर और कोली
पंधेर और कोली

नोएडा: देश को झकझोर कर रख देने वाले नोएडा के निठारी कांड में आज इलाहबाद हाई कोर्ट ऐसा फैसला सुनाया कि हर कोई हैरान रह गया। हैरानी इसलिए कि कोर्ट ने दाेनों नरपिचास मनिंदर पंढेर सुरेंद्र कोली को बाइज्जत बरी कर दिया।  कोर्ट के फैसले से सबसे बड़ा सदमा उन बदनसीब मां-बाप को लगा जिनके मासूम बच्चों को मनिंदर पंढेर और सुरेंद्र कोली ने अपना शिकार बनाया। दर्जनों युवतियों और बच्चों को अपनी हवस का शिकार बनाने वाले मनिंदर पंढेर और सुरेंद्र कोली को जैसे ही कोर्ट ने बरी किया तो हर कोई देखता रह गया।

CBI कोर्ट ने दी फांसी की सजा

लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि कोर्ट को इन आरोपियो के खिलाफ क्या कोई सबूत नही मिला। क्या CBI द्वारा इकठ्ठा किए गए सबूत इन लोगों को सजा के लिए प्रयाप्त नही थे। मनिंदर पंढेर और सुरेंद्र कोली के हाथो अपनी जान गवाने वाले बच्चों के परिजनो के दिलो पर क्या गुजरी होगी। वो कैसे अपने जिगर के टुकड़ो के हत्यारों को माफ कर सकते हैं। उन्हे तो उम्मीद थी कि एक दिन दाेनो का फांसी होगी।

लेकिन कोर्ट के फैसले ये लोग बुरी तरह से टूट गए हैं।  हत्या किये जाने के  जाने तक की सिलसिलेवार वारदत में मनिंदर पंढेर और उसकी कोठी के केयरटेकर सुरेंद्र कोली को सीबीआई कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी। हालांकि सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दो मामलों में दोनों की फांसी की सजा पर रोक लगा दी है। इस फैसले से पीड़ित परिवार को बड़ा झटका लगा है।

पंधेर की कोठी पर पिता ने बरसाए पत्थर

अब वो कोर्ट के पिछले फैसलों पर खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। कई परिजनों का कहना है कि उनके बच्चों को 17 साल बाद भी न्याय नहीं मिला। उनके बच्चों की आत्मा आज रो रही होगी। इसलिए वे न्याय हासिल करने के लिए अब आगे की रणनीति तय करेंगे। हाईकोर्ट के फैसले के बाद कई पीड़ित परिवार आहत हो गए। उन्होंने अलग-अलग तरीके से अपना गुस्सा जाहिर किया। मारे गए तीन वर्षीय के पिता तो इतने हतास हुए कि उन्होने फैसले के बाद पंदेर कोठी पर पत्थर भी बरसाए।

क्या है पूरा मामला

आपको बता दें कि कुख्यात निठारी कांड वर्ष 2005 और 2006 के बीच हुआ था, लेकिन यह तब सुर्खियों में तब आया, जब दिसंबर 2006 में नोएडा के निठारी स्थित एक मकान के पास नाले में मानव कंकाल पाए गए थे। मोनिंदर पंढेर उस मकान का मालिक था और कोली उसका नौकर था। इसके पहले इस मामले की जांच कर रही सीबीआई ने सुरेंद्र कोली के खिलाफ हत्या, अपहरण, दुष्कर्म और साक्ष्यों को नष्ट करने के लिए 16 मामलों में आरोपपत्र दाखिल किया था, जबकि पंढेर के खिलाफ अनैतिक मानव तस्करी के लिए आरोपपत्र दाखिल किया था।

नोएडा के सेक्टर 31 स्थित कोठी संख्या डी-5 में तब रहने वाले मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली पर नौ बच्चियों, दो बच्चों और पांच महिलाओं को घर में बुलाकर यौन शोषण करने और उनकी हत्या कर शव को टुकड़े-टुकड़े कर नाले में बहाने का आरोप लगा था। इस मामले में सीबीआई कोर्ट ने दोनों को फांसी की सजा सुनाई थी।

लेकिन इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंढेर को बरी कर दिया है। न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति एस एच ए रिजवी की पीठ ने कोली और पंढेर की अपील पर यह आदेश पारित किया। उच्च न्यायालय ने कहा कि अभियोजन पक्ष उचित संदेह से परे अपने मामले को सिद्ध करने में विफल रहा।

 

 

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