Meerut: अब सीसीएसयू ने व्यवस्था में बड़ा बदलाव किया है। मूल्यांकन केंद्र पर प्रत्येक टीचर्स की जांची गई कॉपियों में फेल और पास स्टूडेंट्स की संख्या दर्ज करनी अनिवार्य होगी। यदि कुल कॉपियां में फेल स्टूडेंट््स की संख्या 60 फीसदी से अधिक होती है। तो यूनिवर्सिटी इनकी रैंडम चेकिंग कराएगा। रैंडम चेकिंग में खामी मिलने पर यूनिवर्सिटी संबंधित टीचर्स की चेक की गई कांपियों की दोबारा जांच कराएगा।
त्रुटि होने पर रोका जाएगा बिल
अगर रैंडम चेकिंग में कोई त्रुटि नहीं मिलती तो मूल्यांकन सही मानते हुए आगे की प्रक्रिया चलेगी। शिक्षक द्वारा चेक कॉपियों में तय समय में अधिक स्टूडेंट्स के फेल होने पर रैंडम चेकिंग की जिम्मेदारी समन्वयक की होगी।
समन्वयक की होगी जिम्मेदारी
बिल के साथ समन्वयक इसका बकायदा सर्टिफिकेट देंगे कि निर्धारित प्रक्रिया पूरी की गई है या नहीं। ऐसा नहीं करने पर बिल रोक दिए जाएंगे। यूनिवर्सिटी की इस व्यवस्था से कॉपियों की चेकिंग में खामियों पर ब्रेक लगने की उम्मीद है। यूनिवर्सिटी ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है।
पहले थी ये व्यवस्था
पहले की व्यवस्था की बात करें तो अभी तक रिजल्ट के बाद यदि किसी कॉलेज में किसी सब्जेक्ट में 75 फीसदी से अधिक स्टूडेंट फेल होते हैं तो यूनिवर्सिटी उनकी रैंडम चेकिंग कराता हैं। बीते परिणामों में इससे कम स्टूडेंट के फेल होने पर भी यूनिवर्सिटी के मूल्यांकन पर सवाल उठाए गए। हालांकि जांच में स्टूडेंट्स के दावे सही नहीं मिले। लेकिन इससे यूनिवर्सिटी कैम्पस में प्रदर्शन और विवाद हुए। रिजल्ट के बाद फेल होने पर कोई विवाद न हो, इसे रोकने के लिए यूनिवर्सिटी ने प्रत्येक परीक्षक द्वारा चेक कॉपियों पर बैरियर लगा दिया है।
हर टीचर पर होगी निगरानी
इससे हर टीचर द्वारा चेक कॉपियों पर निगरानी बढ़ेगी और ये भी पता लग जाएगा कि 60 फीसदी से अधिक स्टूडेंट कहां फेर हो रहे हैं। यूनिवर्सिटी इस स्थिति में मूल्यांकन क्रॉस चेक कर सकेगा।
रैंडम चेकिंग होगी
वीसी प्रो। संगीता शुक्ला ने बताया कि अब कॉपियों में मूल्यांकन की गड़बड़ी को रोकने के लिए मूल्यांकन के नियम में बदलाव किया गया है, अगर 60 प्रतिशत कॉपियों में खराब नतीजे मिलते हैं तो उनकी रैंडम चेकिंग होगी। गड़बड़ी पाए जाने पर दोषी का बिल रोका जाएगा और संबंधित उचित कार्रवाई होगी।