सुल्तानपुर: मजदूरी मांगने पर दलित युवक की पीट-पीटकर हत्या

आँखों देखी
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युवक की हत्या के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हुए लोग
युवक की हत्या के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हुए लोग

सुल्तानपुर। उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में कथित तौर पर अपनी मजदूरी मांगने पर एक दलित व्यक्ति की हत्या कर दी गई. पीड़ित परिवार के मुताबिक, उन्हें बेरहमी से पीटा गया, जिससे उनकी मौत हो गई. हालांकि घटना 25 अगस्त को हुई थी, लेकिन मृतक के परिवार को अब तक पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट नहीं मिली है.

18 वर्षीय मृतक विनय कुमार ने आरोपी दिग्विजय यादव से अपनी मजदूरी मांगी थी, जिसके लिए उन्होंने चार दिनों से अधिक समय तक काम किया था. विनय को उनकी मजदूरी का भुगतान करने के बजाय दिग्विजय ने कथित तौर पर उनके साथ बेरहमी से मारपीट की, जिससे उसकी मौत हो गई.

द वायर की खबर के अनुसार विनय के भाई शेर बहादुर ने कहा, ‘उन्हें इसलिए मार दिया गया, क्योंकि वह दलित समुदाय से थे.’

बहादुर ने अपने भाई के शव पर चोटों के निशान दिखाते हुए कहा कि उनके भाई पर बेरहमी से हमला किया गया था. बहादुर कहते हैं, ‘उसके सिर की जांच करने पर, मुझे यकीन हो गया कि उन पर किसी घातक हथियार से वार किया गया था. आरोपियों का उन्हें जीवित छोड़ने का कोई इरादा नहीं था.’

एफआईआर के अनुसार, विनय कुमार 25 अगस्त को दोपहर 3-4 बजे के आसपास दिग्विजय यादव से अपनी मजदूरी लेने के लिए अपने घर से साइकिल पर निकले थे. हालांकि, वह कभी घर नहीं लौटे. विनय के अस्पताल में भर्ती होने की खबर परिवार को देर शाम मिली. जब तक परिजन अस्पताल पहुंचे तब तक उनकी मौत हो चुकी थी.

अगले दिन 26 अगस्त को विनय के पिता की शिकायत के आधार पर अखंडनगर पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज कर ली गई. मामला भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या) और अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम-1989 के तहत दर्ज किया गया है.

एफआईआर में दिग्विजय यादव और एक अन्य अज्ञात व्यक्ति को आरोपी बनाया गया है. हालांकि दिग्विजय ने पहले ही पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है, जबकि दूसरे आरोपी को अब तक गिरफ्तार नहीं किया जा सका है.

विनय के परिवार के अनुसार, वह परिवार में सबसे छोटे थे. वह आजीविका के लिए छोटे-मोटे काम करते थे. मरने से कुछ दिन पहले वह रक्षाबंधन पर अपनी बहनों के लिए उपहार खरीदने हेतु पैसा कमाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे थे.

विनय की मौत से सुल्तानपुर जिले के उनके पैतृक गांव बरामदपुर में आक्रोश फैल गया है. उनके परिवार के लिए न्याय की मांग और जातीय हिंसा के खिलाफ एक कैंडल मार्च भी आयोजित किया गया. प्रदर्शनकारियों ने उनके परिजन के लिए सरकारी नौकरी की मांग की.

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार, उत्तर प्रदेश में दलितों के खिलाफ सबसे अधिक अपराध दर्ज होते हैं. वर्ष 2018 और 2021 के बीच देश में दर्ज किए गए दलितों के खिलाफ 1.9 लाख से अधिक अपराधों में से, उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी सबसे अधिक 49,613 रही. इस दौरान 2018 में 11,924, 2019 में 11,829, 2020 में 12,714 और 2021 में 13,146 मामले दर्ज किए गए.

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