टिल्लू ताजपुरिया की हत्या के बाद तिहाड़ जेल की सुरक्षा पर उठे सवाल, कैमरों की निगरानी में कैसे बने सरिए से हथियार

Manoj Kumar
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गैंगस्टर टिल्लू ताजपुरिया की हत्या ने तिहाड़ जेल की सुरक्षा पर कई सवाल खड़े किए हैं। गिरोह में रंजिश के बावजूद उन्हें एक ही जेल में रखना, सीसीटीवी कैमरों के बीच कैदियों का सरिये से सुए तैयार कर लेना और हाई सिक्योरिटी सेल की तलाशी में लापरवाही बरते जाने से सुरक्षा व्यवस्था की पोल खुल गई है। टिल्लू के चारों हत्यारों की पहचान हो गई है। उधर टिल्लू की हत्या के बाद उसके ताजपुर गांव में अजीब सन्नाटा पसर गया। पोस्टमार्टम के बाद शाम को टिल्लू का अंतिम संस्कार कर दिया गया। अनहोनी की आशंका को देखते हुए गांव में पुलिस बल तैनात किया हुआ है।

फोटो साभार अमर उजाला

मंगलवार को दिल्ली की तिहाड़ जेल की हाई सिक्योरिटी बैरक में बंद गैंगस्टर टिल्लू ताजपुरिया की जेल के अंदर ही सरिया काटकर बनाए गए सुए से कर दी गई। टिल्लू पर हमला करने वाले सभी बदमाश
(योगेश उर्फ टुंडा (27) निवासी भट्ट गांव, सोनीपत,दीपक उर्फ तितर (27) निवासी माजरा, डबास गांव, रियाज खान (39) निवासी जेजे कैंप, समयपुर बादली और राजेश उर्फ करमवीर (42) निवासी कंझावला रोड, बवाना ऊपरी मंजिल पर थे।

नियमों के मुताबिक, खतरनाक कैदियों के मामले में सबसे पहली व अनिवार्य शर्त यह होती है कि जिस जेल में कैदी को रखा जा रहा है, वहां विरोधी गिरोह के बदमाश न हों, लेकिन नियम की अनदेखी की गई। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि रंजिश रखने वाले दो गिरोह के बदमाशों को एक ही जेल में कैसे रखा गया था। जेल मुहैया कराने से पहले प्रशासन को इन सभी बातों पर विचार करना होता है।

वहीं, जेल प्रशासन की ओर से कहा गया है कि लोहे की ग्रिल काटकर सुए जेल के भीतर बनाए गए थे। ऐसे में सवाल पैदा होता है कि हमलावरों के पास ग्रिल काटने का औजार कहां से आया। जब हमलावर हथियार बना रहे थे तो सीसीटीवी की निगरानी करने वालों को कैसे पता नहीं चला। हाई सिक्योरिटी सेल की रोजाना तलाशी ली जाती है। तलाशी में ये हथियार क्यों बरामद नही हुए, तलाशी में कोताही बरती गई है।

दरअसल, तलाशी की जिम्मेदारी जेल कर्मियों के साथ तमिलनाडु पुलिस की है। बताया गया की हाई सिक्योरिटी सेल में आने वाले सभी कैदियों की लगातार तलाशी होती है। ऐसे में अगर बाहर से औजार या सुए लाए गए तो तलाशी अभियान में पकड़ में क्यों नहीं आए। इससे पहले भी तिहाड़ जेल में लॉरेंस बिश्नोई के साथी प्रिंस तेवतिया की भी हत्या कर दी गई थी। इन हत्याओं से यह बात जाहिर होती है कि जेल कर्मियों का कैदियों पर कोई अंकुश नहीं है। कैदी आसानी से वारदात कर रहे हैं।

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