उत्तर प्रदेश: कानपुर में मारपीट के बाद सुर्खियों में आए करौली बाबा डॉ. संतोष भदौरिया बिधनू में बने 14 एकड़ के आश्रम में बाबा ऐशोआराम से रहता है। बाबा ने महज तीन साल में ही करोड़ों का साम्राज्य खड़ा कर लिया। करौली बाबा का भौकाल किसी देश के राष्ट्रपति से कम नहीं है। बाबा जिस रास्ते से निकलते हैं वहां पहले हथियार बंद गार्ड रास्ता खाली कराते हैं, फिर बाबा निकलते हैं। बाबा का खुद का सुरक्षा दस्ता है। हालांकि एक समय पर बाबा के खिलाफ हत्या, जमीन कब्जाने जैसे कई मामले दर्ज थे। संतोष भदौरिया पर एनएसए के तहत भी करवाई हो चुकी है।
बाबा के आश्रम की बात करें तो यह आश्रम करीब 14 एकड़ में फैला है। हर जगह सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, निगरानी के लिए कंट्रोल रूम बना है। बाबा को आश्रम की यह जमीन पीके शुक्ला नाम के शख्स से भूदान पट्टा के तहत स्कूल बनाने के लिए मिली थी, लेकिन बाबा ने आश्रम खोल लिया। आश्रम चारों तरफ से आठ फीट ऊंची दीवारों से घिरा है। बाबा के आश्रम में रोजाना लगभग 3500 से 5000 तक लोग आते हैं। हालांकि अमावस्या वाले दिन यह तादाद 20 हजार तक पहुंच जाती है। 17 देशों में बाबा ने अपने भक्त बना लिए हैं। उसके करौली बाबा नाम से बने यू ट्यूटब चैनल में 93 हजार सब्सक्राइबर हैं।
आश्रम में घुसते ही वसूली का खेल शुरू
बिधनू के करौली आश्रम में दो मंदिर हैं। एक करौली सरकार यानी राधा रमण मिश्र का और दूसरा मां कामाख्या का। आश्रम में आने वाले लोगों को सबसे पहले 100 रुपये में रजिस्ट्रेशन कराना होता है। इसके बाद 100 रुपये बंधन चार्ज लगता है। (बंधन यानी कमर पर सफेद धागा बांध दिया जाता है। इसे हर तीन महीने में रिन्यू भी कराना होता है।) इसके बाद 100-100 रुपये की दो अर्जियां दोनों दरबार के लिए लगती हैं। साथ ही उन्हें 8वें और 9वें दिन के हवन में शामिल होना होता है। इसके लिए करीब 6200 रुपये लगते हैं। यहां आने वाले हर शख्स को कम से कम 6600 रुपये तो खर्च करने ही होंगे।
अगर कोई यहां अपना हवन करना चाहता है तो आश्रम की तरफ से 3500 रुपये की एक हवन किट दी जाती है। लोगों को कम से कम 9 हवन करने ही होंगे। जिसका खर्च 31,500 रुपये आएगा। अगर आप 9 दिनों तक आश्रम में रुकते हैं और खाना-पीना करते हैं तो उसका खर्च अलग से। यहां ठहरने के लिए होटल और खाने पीने का पूरा बंदोबस्त है, जिसका खर्च आपको वहन करना होगा। जो लोग 9 दिन हवन नहीं कर सकते या जिन्हें जल्दी इलाज चाहिए उनके लिए एक दिन का खर्च 1.51 लाख रुपये है। संतोष भदौरिया ने करोड़ों के चंदे और आश्रम का मैनेजमेंट अपने दोनों बेटों लव और कुश के हाथों में सौंप रखा है।
आपराधिक इतिहास
करौली बाबा डॉ. संतोष सिंह भदौरिया का आपराधिक इतिहास रहा है। वर्ष 1992- 95 के बीच हत्या, सेवन सीएलए समेत उस पर कई आपराधिक मामले दर्ज हुए थे। पुलिस से बचने के लिए वह किसानों का नेता बनकर जमीनों पर अवैध कब्जे करने लगा। यहां तक की कोतवाली थाना क्षेत्र में एक चर्च की जमीन का एग्रिमेंट कराकर रुपये तक हड़पने का आरोप भी है। फिर बिधनू में भूदान पट्टा पर सरकारी दस्तावेजों में हेरफेर कर कब्जा कर आश्रम खोल लिया। इससे पहले 4 अगस्त 1992 में फजलगंज थाना क्षेत्र में अयोध्या प्रसाद नाम के एक व्यक्ति की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
जिसमे संतोष भदौरिया व अन्य के खिलाफ FIR दर्ज कराई। जिसका अपराध संख्या 218 है। मामले में पुलिस ने उसे जेल भेज दिया था। 27 मार्च 1993 काे संतोष भदौरिया को जमानत पर रिहा कर दिया गया था। वहीं वर्ष 7 अगस्त 1994 को संतोष भदौरिया व उनके साथियों के खिलाफ गाली गलौज, मारपीट, क्रिमिनल एक्ट की धारा में एफआईआर दर्ज हुई थी। इसके बाद 12 अगस्त 1994 को महाराजपुर थाने में तैनात कांस्टेबल सत्य नारायण व संतोष कुमार सिंह ने चकेरी थाने में सरकारी कार्य में बाधा डालना, मारपीट करने समेत अन्य धाराओं में एफआईआर दर्ज कराई थी।
संतोष भदौरिया के खिलाफ तत्कालीन जिलाधिकारी दिनेश सिंह के आदेश पर 14 अगस्त 1994 को एनएसए की कार्रवाई हुई थी। जिसकी संख्या 14/जे/ए एनएसए 1994 है। इसके अलावा बर्रा थाने में भी उसके खिलाफ वर्ष 1995 में एफआईआर दर्ज हुई थी। जिसका अपराध संख्या 443 है। तब संतोष ने एनएसए हटाने के लिए गृह सचिव को पत्र भेजा था।