मेरठ। हापुड़ रोड पर स्थित एपेक्स हॉस्पिटल में स्टाफ की लापरवाही से 6 माह की मासूम बच्ची की मौत हो गई। जिसके बाद परिजनों ने हॉस्पिटल में जमकर हंगामा किया और अस्पताल में तोड़फोड़ कर डाली। सूचना पर पहुंची पुलिस ने मामले को शांत करायां।
मामला मेरठ के नौचंदी थाना क्षेत्र का है जहां बुधवार की रात एपेक्स हॉस्पिटल में 6 माह की मासूम बच्ची हिदायत की इंजेक्शन देने के थोड़ी देर बाद मौत हो गई। परिजनों ने कंपाउंडर पर गलत इंजेक्शन देने का आरोप लगाते हुए घंटो हंगामा किया। आरोप है कि गुस्साए परिजनो ने स्टाफ से मारपीट करते हुए अस्पताल मेडिकल स्टोर के शीशे तोड़ डाले। सूचना पर पहुंची पुलिस ने किसी तरह से परिजनो को शांत कराया और घटना की जानकारी ली।
जानकारी के अनुसार किदवई नगर निवासी इरफान ने बताया कि दो दिन पहले निमोनिया शिकायत होने पर बेटी हिदायत को सोमवार की सुबह हॉस्पिटल में एडमिट कराया था। जहां पर अगले दिन डॉक्टर ने शाम को बच्ची को स्वस्थ होने की बात कहते हुए आईसीयू से दूसरे वार्ड में शिफ्ट करने की बात कही थी।
नौसिखिया कंपाउंडर ने दे दी ज्यादा डोज
परिजनो ने बताया कि बुधवार की सुबह बच्ची की तबीयत ठीक थी। बुधवार की रात को 10 बजे कंपाउंडर ने बेटी को इंजेक्शन दिया। इंजेक्शन देने के थोड़ी देर बाद उसकी मौत हो गई। बताया जा रहा है डॉक्टर ने एक नौसिखिया कंपाउंडर से बच्ची को इंजेक्शन लगाने के लिए बोल दिया। कंपाउंडर ने इंजेक्शन की ज्यादा डोज बच्ची की को दे दी। मासूम की मौत से गुस्साए परिजनों ने अस्पताल में हंगामा शुरू कर दिया। स्टाफ के साथ मारपीट कर शीशे तोड़ डाले। अस्पताल में मारपीट से अफरातफरी मच गई जिसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने मामले को शांत कराया। फिलहाल पीड़ित इरफान ने कानूनी कार्यवाही करने से इंकार कर दिया और समझौतानामा लिख कर दे दिया है।
इंजेक्शन देने से अकसर हो रही मासूम बच्चों की मौत
चिंता की बात यह है कि छोटे बच्चों की इंजेक्शन देने के तुरन्त बाद इस तरह से मौत होने का यह पहला मामला नही है। इससे पहले भी अलग-अलग अस्पतालों में इस तरह के दर्जनों मामले सामने आ चुके हैं। इन सभी मामलो में कुछ कॉमन बात यह है कि सभी बच्चे गंभीर बीमार होने के बाद स्वस्थ हुए। लेकिन अचानक से दिए इंजेक्शन से बच्चों की मौत हो गई। इस मामले में डॉक्टरों को कहना है कि बच्चों की इम्यूनिटी कम होती है। ऐसे में इंजेक्शन की हैवी डोज देने पर हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है और उनकी मौत हो जाती है। अगर ऐसा है तो माूसम बच्चों को हैवी डोज इंजेक्शन क्यों दिए जाते हैं। इस मामले में कड़ी कार्यवाही क्यों नही होनी चाहिए। ताकि और कोई मासूम इस तरह से अपने परिवार को छोड़कर न जाए।
डॉक्टर से ही लगवाएं इंजेक्शन
अकसर मामलो में देखा गया है कि डॉक्टर खुद लापरवाही करते हुए अपने नौसिखिया सहयोगियो को ही बच्चों को इंजेक्शन लगाने के लिए बाेल देते हैं। अनुभव नही होने के कारण ये लोग इंजेक्शन की ज्यादा डोज देकर मासूम बच्चों की जान ले लेते हैं। हम आपको सलाह देते हैं कि अगर आपका बच्चा बिमार है तो अच्छे डॉक्टर से ही इंजेक्शन या दवाईयां दिलाएं‚ झाेलाछाप या नौसिखिया डॉक्टर एवं कंपाउंडर से कभी भी छोटे बच्चों को इंजेक्शन अथवा दवाइयां बिल्कुल भी न दिलाएं।