Dhirendra Krishna Shastri Biography in Hindi– बिना बताए लोगों के मन की बात को पढ़ लेना और व्यक्ति को देखकर उसकी समस्या बता देना‚ यह चमत्कार बाबा बागेश्वर धाम के नाम से मशहूर धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री करने का दावा करते हैं। अपने इसी कथित चमत्कार के चलते बागेश्वरधाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री सोशल मीडिया से लेकर टेलीवीजन तक हर तरफ छाए हुए हैं। आज की इस खबर में हम आपको धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की पूरी हिस्ट्री और उनके चमत्कार के बारे में बताएंगे।
दरअसल मध्य प्रदेश के छत्रपुर जिले में गड़हा नाम का एक इलाका है‚ यहीं पर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जन्म हुआ। पुराने समय में यहां एक पहाड़ी हुआ करती थी‚ जहां भगवान शंकर की एक मूर्ति लगी हुई थी। पहाड़ी के बराबर में एक शमसान भी था। गड़हा गांव में मरने वाले लोगों का अंतिम संस्कार भी इसी जगह किया जाता था। इस पहाड़ी को मरघट की पहाड़ी भी बोला जाता था। धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के दादा का नाम सेतुलाल गर्ग था‚ जो हनुमान जी के भक्त थे।
सेतुलाल गर्ग ने ही 80 के दशक में पहाड़ी के पास हनुमान जी की एक मूर्ति की स्थापना की। सेतुलाल गर्ग ने लोगों के सहयोग से धीरे-धीरे यहां एक छोटा सा मंदिर भी बना लिया। साल 1986 में पहली बार इस मंदिर का पुनह निर्माण कराया गया। जिसे बागेश्वरधाम के नाम से जाना गया। गांव वालों के अनुसार मंदिर से मिलने वाले चढ़ावे से ही सेतुलाल गर्ग अपने परिवार का पालन-पोषण करते थे। भक्त उन्हे सेतूलाल जी महाराज के नाम से पुकारते थे।
सेतूलाल गर्ग के बेटे रामकृपाल गर्ग पुरोहित गिरी करते थे। 15 जुलाई साल 1996 को गड़हा गांव में ही रामकृपाल गर्ग के यहां पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जन्म हुआ। उनका बचपन बेहद ही गरीबी में बीता। बताया जाता है कि एक कच्चे मकान में उनका पूरा परिवार रहता था। उनकी मां का नाम श्रीमति सरोज देवी है।
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बचपन से ही काफी होशियार थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव के सरकारी स्कूल में हुई। उनके पिता पुरोहित गिरी के जरिए अपना परिवार चलाते थे। कुछ समय बाद सेतुलाल गर्ग का निधन हो गया। सेतूलाल महाराज की मौत के बाद धीरेन्द्र शास्त्री के चाचा और परिवार के कुछ लोगों ने पुरोहित गिरी का काम आपस में बांट लिया। इसके चलते परिवार के सामने आर्थिक संकट पैदा हो गया। उनकी मां को भैंस पालकर अपने परिवार का भरण-पोषण करना पड़ा। इसलिए धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री केवल बारवीं तक ही पढ़ पाए।
पढ़ाई बीच में ही छोड़कर धीरेन्द्र शास्त्री ने दादा और पिता की विरासत को संभाल लिया‚ और इसी क्षेत्र में कुछ नया करने की ठान ली। वो कम उम्र में ही गांव के लोगों को कथा सुनाने लगे। अपने दादा की तरह वो अपना ज्यादातर समय मंदिर में ही बिताते थे। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के अनुसार उन्होंने 8 नौ वर्ष से ही बागेश्वर बालाजी की सेवा शुरू कर दी थी। उन्होने बताया कि जब वो 12 तेरह वर्ष के थे तो उन्हें यह अनुभव होने लगा कि उनपर बागेश्वर बालाजी की विशेष कृपा है। साल 2009 में उन्होंने अपनी पहली भागवत कथा सुनाई थी।
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के अनुसार वो बचपन से ही लोगों की मन की बात जान लेते थे। जो लोग भी उनकी कथा में आते वो उनकी मन की बात जान लेते और फिर उसका समाधान भी बताते। बताया जाता है कि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने पहली बार local मीडिया को मंदिर में बुलाकर अपने चमत्कार के बारे में बताया था। इसके बाद कुछ धार्मिक चैनलों ने उनका इन्टरव्यू लिया और कई महीनो तक अपने यहां उनके कार्यक्रम चलाएं।
इस तरह से धीरेन्द्र शास्त्री लोगों के बीच चर्चा का विषय बनते चले गए। सोशल मीडिया ने तो उनके तथाकथित चमत्कार के किस्से घर-घर तक पहुंचा दिए। विदेशो में भी उनके भक्तों की संख्या बढ़ने लगी। देश में तो उनका जलवा लोगों के सिर चढ़कर बोलने लगा। वो शहरों में जा जाकर श्रीराम कथा के साथ अपना दिव्य चमत्कारी दरबार लगाने लगे। सोशल मीडिया पर भी उनसे लाखों लोग जुड़ने लगे। इस तरह से धीरेन्द्र शास्त्री एक आम इंसान से महाराज धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बन गए।
अब बात करते हैं धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के विवादो की
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के विवादो में आने की वजह उनका बडबोलापन रहा। वह अपनी कथा के दौरान कई बार भड़काऊ भाषण देते हुए नजर आते हैं। वो सनातन धर्म को श्रेष्ठ बताते हुए अन्य धर्मों पर भी उंगली उठाने से पीछे नही हटते हैं। इसकी वजह यह रही कि लोग उनके चमत्कार को अंधविश्वास बताने लगे। ताजा विवाद की बात करें तो हाल ही में उन्होंने महाराष्ट्र के नागपुर में अपना दरबार लगाया था। इस दरबार में महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस और सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी पहुंचे। यहां पर भी धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने अपना चमत्कार दिखाया।
लेकिन इस दिव्य दरबार को लेकर नागपुर की अंधश्रद्धा उन्मूलन समिति ने अपना विरोध दर्ज कराया। समिति के अध्यक्ष श्याम मानव ने कहा कि ‘दिव्य दरबार’ और ‘प्रेत दरबार’ की आड़ में बाबा जादू टोना को बढ़ावा दे रहे हैं। इसके अलावा, धर्म के नाम पर आम लोगों को लूटने और धोखाधड़ी का आरोप भी लगाया।
संगठन ने बाबा को चैलेंज करते हुए कहा कि अगर उनमें वाकई में दिव्य शक्ति है तो वो हमारे किसी एक सदस्य के मन की बात बता दें‚ तो वो उन्हे 30 लाख रूपए इनाम देंगे‚ और अगर गलत बात बताई तो वो उनके खिलाफ अंधविश्वास को बढ़ावा देने और लोगों को मूर्ख बनाने के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई। हालांकि हुआ यूं कि संगठन की इस चेतावनी के बाद बाबा ने तय समय पहले ही अपना दरबार खत्म कर दिया और बागेश्वर धाम वापस लौट आए। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के इस तरह भाग आने पर लोग उन्हे भगौड़ा और ढाेंगी कहने लगे। सवाल उठे तो धीरेन्द्र शास्त्री ने मीडिया के सामने और लाखों भक्तों के सामने चैलेंज स्वीकार किया और फिर से अपना चमत्कार दिखाया।
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लेकिन इस दिव्य दरबार को लेकर नागपुर की अंधश्रद्धा उन्मूलन समिति ने अपना विरोध दर्ज कराया। समिति के अध्यक्ष श्याम मानव ने कहा कि दिव्य दरबार और प्रेत दरबार की आड़ में बाबा जादू टोना को बढ़ावा दे रहे हैं। इसके अलावा समिति ने उन पर धर्म के नाम पर आम लोगों को लूटने और धोखाधड़ी करने का आरोप भी लगाया।
संगठन ने बाबा को चैलेंज करते हुए कहा कि अगर उनमें वाकई में दिव्य शक्ति है तो वो हमारे किसी एक सदस्य के मन की बात बता दें‚ तो वो उन्हे 30 लाख रूपए इनाम देंगे‚ और अगर गलत बात बताई तो वो उनके खिलाफ अंधविश्वास को बढ़ावा देने और लोगों को मूर्ख बनाने के आरोप में एफ आई आर दर्ज कराएंगे। हुआ यूं कि संगठन की इस चेतावनी के बाद धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने तय समय से पहले ही अपना दरबार खत्म कर दिया और बागेश्वर धाम वापस लौट आए।
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के इस तरह भाग आने पर लोग उन्हे भगौड़ा कहने लगे।
आस्था पर सवाल उठे तो धीरेन्द्र शास्त्री ने मीडिया के सामने चैलेंज कबूल किया। हैरानी की बात यह है कि इस बार उन्होने मीडिया के लोगों को ही मंच पर बुलाया और उनके बारे में वो सारी बाते बताई जो कोई और नही जान सकता था। दर्जनों कैमरों और लाखों भक्तों के सामने बाबा ने चमत्कार दिखाया तो खुद मीडियाकर्मी भी धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की जयजयकार करने लगे। हालांकि लोग अभी भी उन पर सवाल उठा रहे हैं। इस विषय पर आपकी क्या राय है हमें जरूर बताएं।
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