Bilvkeshwar Mahadev Temple Haridwar। बिल्वेश्वर महादेव मंदिर उत्तराखंड के हरिद्वार में स्थित है। इस मंदिर में एक स्वयंभू शिवलिंग है। यहां दूर-दूर से श्रद्धालु मन्नत मांगने आते हैं। प्राचीन बिल्वेश्वर महादेव मंदिर से कई प्राचीन कथाएं जुड़ी हुई हैं। इस मंदिर में कई ऐसी चीजें हैं, जो प्राचीन और देखने लायक हैं। पौराणिक कथा के अनुसार इस स्थान की कहानी माता गौरी और भोले शंकर से जुड़ी हुई है। वहीं इस मंदिर में एक प्राचीन वृक्ष के नीचे बैठकर माता गौरी ने 3000 वर्षों तक तपस्या की थी। हम सभी ने सुना है कि माता गौरी ने भोलेनाथ को पति के रूप में पाने के लिए हजारों वर्षों तक तपस्या की थी।
यह भी पढ़ें- करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था के केंद्र बाबा नीम करोली महाराज ट्रस्ट का फेसबुक अकाउंट हैक
विदित हो कि बिल्वकेश्वर महादेव मंदिर में प्राचीन वृक्ष के समीप एक प्राचीन स्वयंभू शिवलिंग है। प्राचीन शिवलिंग की पूजा का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि स्वयंभू शिवलिंग की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसके साथ ही इस मंदिर में प्राचीन स्वयंभू शिवलिंग पर गंगाजल, फूल और बेलपत्र चढ़ाने से भोले शंकर प्रसन्न होते हैं और भक्त की हर मनोकामना बिना मांगे पूरी करते हैं। कई धार्मिक ग्रंथों में इस प्राचीन स्थान का वर्णन मिलता है। इस मंदिर में सबसे ज्यादा श्रद्धालु हिमाचल प्रदेश से आते हैं।
मंदिर के पुजारी अनिल पुरी का कहना है कि माता गौरी ने भगवान शंकर से विवाह करने के लिए बिल्वकेश्वर महादेव मंदिर में तपस्या की थी। पुजारियों का कहना है कि अगर कोई अविवाहित लड़की पांच रविवार को बिल्वकेश्वर मंदिर में पूजा करती है, तो उसका विवाह हो जाता है।