मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमएमएमयूटी) के सहायक प्रोफेसर डॉ. प्रशांत सैनी ने एक ऐसे आधुनिक सोलर प्लांट पर शोध किया है, जो बादलों के पीछे छिपे सूर्य से ऊर्जा प्राप्त करने की क्षमता रखता है। यह प्लांट 10 डिग्री सेल्सियस तक की गर्मी को भी सौर ऊर्जा में बदलेगा। इस पौधे का उपयोग उन जगहों पर किया जा सकता है जहां कई दिनों तक धूप नहीं आती है।
विश्वविद्यालय के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. प्रशांत ने थर्मल ऑयल से भरे एक इनक्यूबेट ट्यूब से बना एक सोलर कलेक्टर तैयार किया है, जो सौर ऊर्जा एकत्र कर सकता है। डॉ. प्रशांत के अनुसार एकत्रित सौर ऊर्जा को विद्युत मशीनों को संचालित करने के लिए फेज चेंज मटेरियल टैंक में स्टोर करके संचालित किया जा सकता है। इस तकनीक के जरिए दूषित पानी को पीने के पानी में भी बदला जा सकता है।
मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के अध्यक्ष डॉ. प्रशांत, प्रो. जीत सिंह के मार्गदर्शन में यह शोध कार्य पूरा हुआ है। उनके द्वारा तैयार सोलर प्लांट की डिजाइन से जुड़ा शोध पत्र यूनाइटेड किंगडम के इंटरनेशनल जर्नल एनर्जी कनवर्जन एंड मैनेजमेंट ने प्रकाशित किया है।
बैटरी फ्री होगा प्लांट
अब तक हुए शोध कार्य के आधार पर अनुमान है कि इस संयंत्र से बिजली उत्पादन की लागत 8.50 रुपये प्रति यूनिट होगी। इसमें किसी बैटरी का इस्तेमाल नहीं होगा। जिससे यह पौधा पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काफी उपयोगी साबित होगा।
वातावरण की गर्मी से चार्ज किया जाएगा
सौर ऊर्जा के लिए छतों या खाली जगहों पर सोलर प्लेट लगाई जाती हैं। डॉ. प्रशांत की रिसर्च के मुताबिक कंबाइंड कूलिंग, हीटिंग, पावर और डिसेलिनेशन नाम का यह सोलर प्लांट सौर ऊर्जा की जगह वातावरण की गर्मी से खुद को चार्ज कर सकेगा.