राजस्थान। 65 घंटे बाद भी बोरवेल से बाहर नही आ सकी 3 साल की मासूम चेतना‚ रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

आँखों देखी
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Borewell Accident:  कोटपूतली के किरतपुरा गांव में बोरवेल में गिरी 3 साल की चेतना को निकलने के लिए पिछले 65 घंटे से रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. NDRF और SDRF टीम का प्‍लान A और प्‍लान B दोनों में सफलता अभी तक नहीं म‍िल पाई. प्लान बी पर काम जारी है. पाइलिंग मशीन से बोरवेल के पास ही होल कर उसमें लोहे के बड़े पाइप डाले गए हैं. आज सुबह तक करीब 140 फिट तक खुदाई पाइलिंग मशीन से हो चुकी है. चट्टान आने के चलते मशीन बदली गई, जिसमें करीब 2 घंटे तक खुदाई कार्य रुक रहा और अब दूरी मशीन लगाई गई है .
राजस्थान के कोटपुतली में तीन साल की मासूम चेतना पिछले लगभग 65 घंटों से जिंदगी और मौत से जंग लड़ रही है. बच्ची को बचाने के लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ टीम के साथ-साथ जिला प्रशासन और स्थानीय लोग भी जुटे हुए हैं. अभी तक रेस्क्यू टीम के हाथ सफलता नहीं लगी है. एनडीआरएफ और एसडीआरएफ टीम का प्लान ए फेल हो गया है, लेकिन अभी प्लान बी पर काम चल रहा है.
पाइलिंग मशीन का उपयोग करके बोरवेल के पास ही एक होल बनाया गया है और उसमें लोहे के बड़े पाइप डाले गए हैं. आज सुबह तक करीब 140 फीट तक खुदाई पाइलिंग मशीन से हो चुकी है. चट्टान आने के कारण मशीन बदली गई, जिससे करीब 2 घंटे तक खुदाई कार्य रुक गया था, लेकिन अब दूसरी मशीन लगाई गई है और खुदाई का काम फिर से शुरू हो गया है.
कोटपुतली में बोरवेल में फंसी 3 साल की बच्ची को बचाने के लिए जिला कलेक्टर कल्पना अग्रवाल और पुलिस अधीक्षक मौके पर पहुंचे हैं. कलेक्टर ने रेस्क्यू ऑपरेशन की जानकारी ली और सुबह 5 बजे फिर से मौके पर पहुंची. जिला कलेक्टर ने बताया कि बच्ची को जल्द से जल्द बाहर निकालने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं. एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और प्रशासन की टीमें रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी हुई हैं. हालांकि, 65 घंटे का लंबा समय बीत जाने के बाद भी सफलता नहीं मिलने से एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और प्रशासन पर सवाल उठ रहे हैं.
चेतना के परिवार की स्थिति बहुत दयनीय हो गई है. चार दिनों से घर में चूल्हा नहीं जला है और परिवार के सदस्यों ने कुछ नहीं खाया-पीया है. चेतना की मां की तबीयत बिगड़ गई है और वे सोमवार से कुछ नहीं खा-पी रही हैं. डॉक्टरों ने उन्हें ओआरएस का घोल पिलाया और जरूरी दवाइयां लिखीं.  बोरवेल में फंसी बच्ची चेतना की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है. मौके पर डॉक्टरों की टीम मौजूद है और बोरवेल में पाइप के माध्यम से ऑक्सीजन दी जा रही है, लेकिन कैमरे में बच्ची की कोई हरकतें नहीं दिखाई दे रही हैं. इससे परिवार की चिंता बढ़ गई है और उनकी स्थिति दयनीय हो गई है.
दौसा के कालीखाड़ गांव में 9 दिसंबर को एक दर्दनाक घटना घटी थी, जहां 9 साल का आर्यन अपनी मां के सामने बोरवेल में गिर गया था. तीन दिन तक आर्यन बोरवेल में फंसा रहा, और 57 घंटे बाद देसी जुगाड़ से उसे बोरवेल से बाहर निकाला गया था. उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन दुर्भाग्य से उसे मृत घोषित कर दिया गया था. यह घटना बहुत ही दुखद थी और इससे पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई थी.
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