karnataka assembly election: कुछ महीने पहले गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान अरविंद केजरीवाल ने लोगों को मुफ्त सुविधाएं देने का ऐलान किया तो भारतीय जनता पार्टी ने सवाल उठाते हुए इसे मुफ़्त की रेवड़ियां बांटना बताया। यह मामला तब कोर्ट में भी गया‚ जहां अलग-अलग पक्षों के वकीलों ने अपनी दलीलें दी‚ हालांकि कोर्ट की तरफ से कोई फैसला नही आया।
गोदी मीडिया (दरबारी मीडिया) पर तो इस मुद्दे को लेकर कई दिन तक प्रोग्राम चलाए गए और केजरीवाल से सवाल किए गए। वहीं देश भक्ति का प्रमाणपत्र जेब में लेकर चलने वाले लोगाें ने BJP का समर्थन करते हुए मुफ़्त की रेवड़ियां बांटने को देश के विकास में बाधा बताया था।
लेकिन अब कर्नाटक चुनाव में वही बीजेपी खुलकर मुफ़्त की रेवड़ियां बांटने लिए तैयार है‚ सोमवार को कर्नाटक चुनाव के लिए बीजेपी ने अपना मेनिफेस्टो जारी किया‚ जिसमें मुफ़्त की रेवड़ियाें की बाहर नजर आई। भाजपा ने वोट के लालच में अपने घोषणा पत्र में एक नहीं दर्जनों ऐसे वादे किये जिसे गुजरात चुनाव के दौरान मुफ़्त की रेवड़ियां बांटने की श्रेणी में रखा गया था। हालांकि गोदी मीडिया पर फिलहाल मुफ़्त की रेवड़ियां बांटने पर कोई चर्चा नही है।
भाजपा का चुनावी घोषणापत्र
BJP ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में कर्नाटक के 10 लाख से ज्यादा बेघर लोगों को मकान देने का वादा किया है। BPL कार्ड धारक परिवारों को आधा लीटर दूध रोजाना मुफ्त देने का वादा किया है। राज्य की SC-ST महिलाओं के लिए 10 हजार की FD कराने का वादा भी किया है।
तीन लाख महिलाओं के लिए फ्री बस सुविधा का भी ऐलान भारतीय जनता पार्टी ने अपने मेनिफेस्टो में किया है। इसके अलावा मुफ्त भोजन के लिए अटल आहार केंद्र खोलने का ऐलान भी भारतीय जनता पार्टी ने अपने मेनिफेस्टो में किया है। बीजेपी ने बीपीएल परिवारों को साल में तीन गैस सिलेंडर भी फ्री और हर महीने 5 किलो राशन देने का भी ऐलान किया है। इसके अलावा भी दर्जनों मुफ्त सुविधाएं भी लोगों के दिए जाने का ऐलान किया गया है।
कांग्रेस भी नही है पीछे
मतदाताओं को लुभाने में कांग्रेस भी पीछे नही है। कांग्रेस ने भी अपना चुनावी घोषणा पत्र जारी कर दिया है। जिसमें प्रत्येक परिवार को हर महीने 200 यूनिट फ्री बिजली‚ BPL परिवारों को 10 किलो चावल हर महीने फ्री‚ प्रत्येक महिलाओं को 2 हजार रूपए महीना और सरकारी बसों में मुफ्त यात्रा का ऐलान किया है।
इन सब वादों के बीच मुफ़्त की रेवड़ियां बांटने वाला मुद्दा कहीं नजर नही आ रहा है।