UP में 6 महीनो में सांप के काटने से हुई 728 लोगो की मौत‚ योगी सरकार ने उठाया बड़ा कदम

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UP में सर्पदंश के बढ़ते मामलों को लेकर योगी सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया गया है। सरकार ने सर्पदंश पीड़ितों को प्राथमिक चिकित्सा प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने का निर्णय लिया है। इसकी शुरूआत तीन जिलों क्रमश: सोनभद्र, बाराबंकी और सीतापुर के स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित की गई है। बताया जा रहा है कि साल 2024-26 के बीच राज्य के सभी जनपदो में स्वास्थय कर्मियो को प्रशिक्षित कर दिया जाएगा.

आपको बता दें कि राहत विभाग से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक राज्या में अप्रैल से अब तक सांप के काटने से 728 लोगों की मौत हो चुकी है. इस पर सरकार ने चिंता जाहिर करते हुए यक कदम उठाया है।

सर्पदंश के मामलों को कम करने और रोकने के लिए, राज्य सरकार ने इस प्रशिक्षण के लिए तीन सबसे अधिक प्रभावित जिलों सोनभद्र, बाराबंकी और सीतापुर के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को शामिल करने का निर्णय लिया है। आपको बता दें कि साल 2018-22 में सोनभद्र में 176, फतेहपुर में 160, उन्नाव में 117, बाराबंकी में 111 सांप काटने से मौत के मामले सामने आए. इसे देखते हुए मुख्यमंत्री ने सर्पदंश को राज्य आपदा घोषित कर दिया था. अब इस पर काम शुरू हो गया है.

प्रभारी राहत आयुक्त जीएस नवीन ने बताया कि जिन जिलों में सर्पदंश की घटनाएं बढ़ रही हैं। इन्हें कम करने के लिए जागरूकता, प्रशिक्षण और संबंधित प्रणालियों को मजबूत करने का कार्यक्रम चलाया जाएगा। स्वास्थ्य कर्मियों को प्राथमिक चिकित्सा के बारे में शिक्षित करने और सांप के काटने के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक दिवसीय कार्यशाला होगी। नवीन ने बताया कि इस विषय पर तीन जिलों से क्रमश: दो-दो मास्टर ट्रेनर की पहचान कर उन्हें प्रशिक्षित किया जायेगा. ये मास्टर ट्रेनर जिला एवं ब्लॉक स्तर पर चिकित्सा संबंधी अन्य स्टाफ आदि को प्रशिक्षित करेंगे।

राहत आयुक्त ने कहा कि आधे दिन की कार्यशाला में ब्लॉक स्तर पर भी आशा और एएनएम कार्यकर्ताओं को सर्पदंश के बारे में प्रशिक्षित और जागरूक किया जाएगा. इतना ही नहीं, सर्पदंश की स्थिति में प्राथमिक उपचार और जागरूकता के लिए किट भी वितरित की जाएंगी। इन किटों की संख्या 25,736 होगी. जीएस नवीन ने कहा कि इस कार्य के लिए प्रशिक्षित आशा कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहन मिलेगा. इस रूप में उन्हें पीड़िता की प्राथमिक एवं अन्य चिकित्सा देखभाल के लिए 1000 रुपये तथा पीड़िता के इलाज एवं अन्य सुविधाओं के लिए 500 रुपये दिये जायेंगे।

विशेषज्ञों के मुताबिक, हर साल बरसात के मौसम में दूरदराज और जंगली इलाकों में सर्पदंश के मामले बढ़ जाते हैं। कई बार लोगों को समय पर उचित इलाज नहीं मिल पाता, जिससे असमय मौत हो जाती है। इससे निपटने के लिए सरकार ने इसे आपदा घोषित कर दिया है. गौरतलब है कि राज्य सरकार ने सर्पदंश से होने वाली मौत को राज्य आपदा घोषित कर रखा है. इसके लिए पोस्टमॉर्टम जरूरी है. ऐसा करने पर सरकार मृतक के परिजनों को आर्थिक सहायता के तौर पर 4 लाख रुपये दे रही है. सर्पदंश से मृत्यु होने पर आर्थिक सहायता के लिए पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट जरूरी है। सरकार ने साफ कहा है कि सर्पदंश से मौत होने पर मृतक के आश्रितों को आर्थिक सहायता के लिए मौत के प्रमाण के लिए बीआईएसएआर रिपोर्ट का इंतजार नहीं करना होगा. मृत्यु के बाद पंचनामा और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर ही उन्हें आर्थिक सहायता दी जानी चाहिए।

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