सड़क दुर्घटना के भयावह आंकड़े: दुनिया में भारत और भारत में यूपी में सबसे ज्यादा सड़क हादसों में मौत

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मनोज कुमार

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लखनऊ: दुनिया के सभी देशों में सड़क दुर्घटनाओं की तुलना में मृतकों की संख्या के आंकड़े आश्चर्यजनक है। भारत में प्रतिवर्ष लगभग 4.80 लाख दुर्घटनाओं में डेढ़ लाख लोगो की मृत्यु हो जाती है जो पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा है। वही पूरे देश में उत्तर प्रदेश में हर साल लगभग 20 हजार लोग सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवाते हैं। जो देश के सभी प्रदेशों में सबसे ज्यादा है।

दरअसल, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सड़क सुरक्षा पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी के अध्यक्ष और अवकाश प्राप्त न्यायमूर्ति अभय मनोहर स्प्रे ने गुरुवार को परिवहन विभाग एवं अन्य संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ सड़क सुरक्षा को लेकर समीक्षा बैठक की।  जिसमे उन्होंने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं की वास्तविकता हमें स्वीकार करनी होगी पूरे विश्व में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में भारत का पहला स्थान है और भारत के अंदर यूपी का पहला स्थान है।

उन्होंने कहा कि यूपी में हर साल लगभग 20 हजार लोग सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवाते है। जबकि भारत में हर साल लगभग डेढ़ लाख सड़क दुर्घटना में मारे जाते हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया के कई देशों में सड़क दुर्घटनाओं की तुलना में मृतकों की संख्या के आंकड़े आश्चर्यजनक है जापान में प्रतिवर्ष लगभग 5 लाख दुर्घटनाएं होती है लेकिन मृत्यु केवल 4000 की होती है।

जर्मनी में 3.10 लाख सड़क दुर्घटनाओं में मृत्यु केवल 3000 की होती है। चीन में तीन लाख 61 हजार सड़क दुर्घटनाओं में मृत्यु केवल 1600 और अमेरिका में 22 लाख दुर्घटनाओं में 37 हजार लोगो की मौत होती है। इसके उल्टे भारत में 4.80 लाख सड़क दुर्घटनाओं में लगभग डेढ़ लाख लोगों की मृत्यु हो जाती है जो काफी भयावह है।

मृत्यु दर को रोकने के प्रमुख सुझाव

(1) दोपहिया वाहनों को हेलमेट पहनना अनिवार्य किया जाए इसके लिए विद्यालय में छात्रों एवं शिक्षकों के अलावा सभी सरकारी और अर्धसरकारी एवं निजी संस्थानों में कर्मचारियों को बिना हेलमेट प्रवेश पर पाबंदी लगाई जाए।

(2) पेट्रोल पंप पर बिना हेलमेट पेट्रोल पंप नियर पेट्रोल ना दिया जाए

(3) एनएचएआई, पीडब्ल्यूडी स्टेट हाईवे अथॉरिटी ब्लैक स्पॉट चिन्हित कार रोड सेफ्टी के साइन बोर्ड लगाएं।

(4) स्कूलों में सड़क सुरक्षा विषय को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए।

(5) सार्वजनिक वाहनों की संख्या बढ़ाई जाए और उनमें यात्रा सुगम बनाई जाए।

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