अदाणी मामला: सुप्रीम कोर्ट ने दिया मोदी सरकार को झटका‚ सुझाव के सीलबंद लिफाफे को स्वीकार करने से किया इंकार

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सुप्रीम कोर्ट

New delhi: अडानी-हिंडनबर्ग मामले (Adani-Hindenburg dispute) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मोदी सरकार (Modi government) को बड़ा झटका दिया है. शीर्ष अदालत ने शेयर बाजार (Share Market) के लिए नियामक उपायों को मजबूत करने के लिए विशेषज्ञों के एक पैनल पर केंद्र के सुझाव को सीलबंद लिफाफे में स्वीकार करने से इनकार कर दिया है। अडानी मामले पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा है कि हम सीलबंद लिफाफे में केंद्र के सुझावों को नहीं मानेंगे.

अडानी-हिंडनबर्ग विवाद मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी की नियुक्ति से जुड़े मुद्दे पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है. सुनवाई के दौरान सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वे सीलबंद लिफाफे में केंद्र द्वारा दिए गए सुझाव को स्वीकार नहीं करेंगे क्योंकि वे (सुप्रीम कोर्ट) इस मामले में पूरी पारदर्शिता बनाए रखना चाहते हैं. सॉलिसिटर जनरल ने अपना पक्ष रखते हुए कहा- हम चाहते हैं कि सच सामने आए लेकिन इसका असर बाजार पर नहीं पड़ना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (17 फरवरी) को अडानी-हिंडनबर्ग मामले की सुनवाई की। इस दौरान सेबी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल ने जजों को समिति के सदस्यों के नाम और उसके अधिकार पर सुझाव सौंपे। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि हम चाहते हैं कि इस मामले में सच सामने आए लेकिन इसका असर बाजार पर नहीं पड़ना चाहिए. किसी पूर्व जज को निगरानी सौंपने पर कोर्ट को फैसला लेना चाहिए।

इस पर CJI ने कहा कि आपने जो नाम दिए हैं, अगर वे दूसरे पक्ष को नहीं दिए गए हैं, तो कोई पारदर्शिता नहीं होगी. हम इस मामले में पूरी पारदर्शिता चाहते हैं, इसलिए हम अपनी तरफ से एक कमेटी बनाएंगे। उन्होंने कहा कि हम व्यवस्था को सुरक्षित रख रहे हैं। अधिवक्ता विशाल तिवारी ने कहा- कर्ज के लिए कंपनियां ज्यादा कीमत दिखाती हैं, इसकी भी जांच होनी चाहिए

इससे पहले सुनवाई के दौरान अधिवक्ता विशाल तिवारी ने कहा कि कॉरपोरेट अपने शेयरों की ऊंची कीमत दिखाकर कर्ज लेते हैं, इसकी भी जांच होनी चाहिए. वहीं अधिवक्ता एमएल शर्मा की ओर से कहा गया कि शॉर्ट सेलिंग की भी जांच की जाए। इस पर CJI ने पूछा कि आपने याचिका दायर की है तो बताइए शॉर्ट सेलर क्या करता है? इसका जवाब देते हुए एमएल शर्मा ने कहा कि शॉर्ट सेलर्स का काम बिना डिलीवरी के शेयर बेचना और मीडिया का इस्तेमाल कर भ्रम फैलाना है. इस पर जस्टिस नरसिम्हा ने कहा कि आपका मतलब शॉर्ट सेलर्स मीडिया से जुड़े लोग हैं. इस पर एमएल शर्मा ने कहा कि नहीं, ये वो लोग हैं जो बाजार को प्रभावित करते हैं और मुनाफा कमाते हैं. कोर्ट ने 10 फरवरी को कहा था- निवेशकों के हितों की रक्षा करना जरूरी है।

इससे पहले, 10 फरवरी को, शीर्ष अदालत ने कहा था कि अडानी समूह के शेयरों में गिरावट की पृष्ठभूमि में भारतीय निवेशकों के हितों को बाजार की अस्थिरता से बचाने की आवश्यकता थी। कोर्ट ने केंद्र से नियामक तंत्र को मजबूत करने के लिए एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में विशेषज्ञों का एक पैनल गठित करने पर विचार करने को कहा था। बता दें कि अब तक शीर्ष अदालत में चार जनहित याचिकाएं अधिवक्ता एमएल शर्मा और विशाल तिवारी, कांग्रेस नेता जया ठाकुर और कार्यकर्ता मुकेश कुमार ने दायर की हैं। हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अडानी समूह के खिलाफ धोखाधड़ी लेनदेन और शेयर-कीमत में हेरफेर सहित कई आरोप लगाने के बाद शेयर बाजारों में गिरावट आई।

अडानी-हिंडनबर्ग मामले से जुड़े इन मामलों की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट कर रहा है

विशाल तिवारी वि. केंद्र सरकार डब्ल्यू.पी.(सी) संख्या 162/2023, मनोहर लाल शर्मा बनाम। केंद्र सरकार W.P.(Crl.) संख्या 39/2023, अनामिका जायसवाल बनाम केंद्र सरकार, W.P.(C) संख्या 201/2023, डॉ. जया ठाकुर बनाम केंद्र सरकार W.P.(Crl.) संख्या 57/2023
प्रशांत भूषण ने एसआईटी या सीबीआई जांच की मांग की

एक अन्य याचिकाकर्ता की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि हम अदालत की निगरानी में एसआईटी (विशेष जांच दल) या सीबीआई (केंद्रीय ब्यूरो) से जांच की मांग करते हैं. इस पर CJI ने कहा कि इसका मतलब आपने मान लिया है कि कुछ गलत हुआ है. इसका जवाब देते हुए भूषण ने कहा कि अडानी की 75% से ज्यादा कंपनियां खुद प्रमोटर्स या उनके सहयोगियों के पास हैं। इसके कारणों की जांच होनी चाहिए। CJI ने कहा कि आप अपनी तरफ से सुझाव दें.

क्या एलआईसी ने अडानी के शेयर की कीमत बढ़ाने में मदद की?

प्रशांत भूषण ने पीठ के समक्ष कहा कि हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट में गौतम अडानी और उनकी कंपनियों पर लगे आरोपों की जांच की जानी चाहिए. उनके पास खुद अडानी के 75% से ज्यादा शेयर क्यों हैं, इसकी भी समीक्षा की जानी चाहिए। समूह के पैसे के स्रोतों का भी पता लगाया जाना चाहिए। शेल कंपनियों से पैसे लेने के आरोपों की जांच होनी चाहिए. भूषण ने यह भी कहा कि नियामकीय व्यवस्था में सुधार और एलआईसी के निवेश की प्रक्रिया पर भी गौर किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस बात की भी जांच होनी चाहिए कि एलआईसी ने अडाणी समूह के शेयरों की कीमत बढ़ाने में मदद की है या नहीं.