New delhi: कर्नाटक में BJP की बुरी हार‚ सत्ता में लौटकर आयी कांग्रेस‚ योगी का भी नही चला जादू

आँखों देखी
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कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी की बुरी हार हुई है। 2018 में 104 सीटें जीतने वाली भाजपा इस बार 62 पर सिमट गई। पिछले एक साल के अंदर दूसरी बार कांग्रेस को बड़ी जीत मिली है। इसके पहले कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश में भी जीत हासिल की थी।

कर्नाटक चुनाव में ध्रुवीकरण का मुद्दा खूब उठा था। भाजपा से लेकर कांग्रेस और जेडीएस तक ने खूब ध्रुवीकरण की कोशिश की। चुनाव से पहले कर्नाटक में हिजाब, हलाल और फिर मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा चर्चा में रहा। चुनाव आते ही कांग्रेस ने बजरंग दल पर बैन का वादा करके नए सिरे से ध्रुवीकरण करने की कोशिश की। भाजपा ने इसे बजरंग बली से जोड़ा, लेकिन ये दांव काम नहीं आया। बाद में द केरल स्टोरी भी चुनावी मुद्दा बना रहा।

इन सबके बीच यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी प्रचार के लिए पहुंचे। उन्होंने नौ विधानसभा क्षेत्रों में रैली और रोड शो किया। आज हम बताएंगे कि जिन-जिन क्षेत्र में सीएम योगी प्रचार के लिए पहुंचे वहां के क्या नतीजे रहे? सीएम योगी का हिंदुत्व ब्रांड कितना कारगर साबित हो पाया? आइए जानते हैं…

सिर्फ दो बार पहुंचे सीएम योगी

कर्नाटक के साथ-साथ यूपी में भी निकाय चुनाव थे। यही कारण है कि कर्नाटक चुनाव में सीएम योगी आदित्यनाथ ज्यादा प्रचार के लिए नहीं गए। आंकड़े बताते हैं कि इस बीच वह सिर्फ दो बार ही कर्नाटक में प्रचार करने के लिए गए। पहली बार 30 अपैल को योगी आदित्यनाथ कर्नाटक गए थे। तब उन्होंने चार विधानसभा क्षेत्रों में रैली की। दूसरी बार छह मई को योगी का कर्नाटक दौरा रहा। इस बीच उन्होंने पांच विधानसभा क्षेत्रों में रैली और रोड शो किया। इस तरह से कुल नौ विधानसभा क्षेत्र में योगी पहुंचे। इनमें से केवल दो पर भाजपा को जीत मिली है, जबकि बाकी छह पर कांग्रेस और एक पर कल्याण राज्य प्रगति पक्ष के उम्मीदवार की जीत हुई।

क्यों नहीं चला योगी का जादू? 
इसे समझने के लिए हमने वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद कुमार सिंह से बात की। उन्होंने कहा, ‘इस वक्त देश में उत्तर बनाम दक्षिण का मुद्दा हावी है। भले ही कानून व्यवस्था को लेकर योगी आदित्यनाथ का चेहरा पूरे देश में चर्चा के केंद्र बिंदु में है, लेकिन इसका कुछ खास फायदा चुनाव में भाजपा को नहीं मिल पाया।’

प्रमोद आगे कहते हैं, ‘कर्नाटक में हिंदुत्व के मुद्दे के ऊपर जातिगत आरक्षण हावी पड़ गया। इसके अलावा भाजपा की आंतरिक कलह, परिवारवाद और भ्रष्टाचार के आरोपों का मुद्दा भी भाजपा को नुकसान पहुंचा गया। इसके आगे योगी का चेहरा और भाजपा की ध्रुवीकरण की कोशिशें भी काम नहीं आई।’

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