मनोज कुमार
नाम किसी भी इंसान की पहचान है, लेकिन अगर यह नाम किसी कारणवश मिट्टी में मिल जाता है, तो लोग इस तरह का नाम लेना उचित नहीं समझते हैं। ऐसी ही एक कहानी है अमरोहा की। जहाँ हसनपुर क्षेत्र के गाँव बावनखेड़ी में अप्रैल 2008 से जन्मी किसी भी बेटी का नाम शबनम नहीं रखा। इसके पीछे की वजह सुनकर हर किसी की रूह कांप जाती है। आइए हम आपको विस्तार से बताते हैं।
दरअसल, 15 अप्रैल 2008 की रात, बावनखेड़ी गाँव में पेशे से शिक्षक शौकत अली की इकलौती बेटी शबनम ने अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर ऐसी क्रूरता की, जिससे सुनने और देखने के बाद पूरे देश में सनसनी फैल गई। शबनम ने अपने प्रेमी के साथ परिवार के 7 सदस्यों के सिर काट दिए, जिसमें उसके माता-पिता और 10 महीने का भतीजा भी शामिल था। अगर इस घटना के बाद परिवार में कोई बचा था, तो वह शबनम और उसके पेट में पल रहा उसका 2 महीने का बच्चा था। जो उस समय बिना शादी किये दो महीने की गर्भवती थी।
इकलौती बेटी द्वारा खूनी खेल को देखकर गांव के लोग शबनम से इतनी नफरत करने लगे थे कि अब इस गांव में कोई भी अपनी बेटी का नाम शबनम नहीं रखना चाहता। यही कारण है कि तब से किसी भी बेटी का नाम शबनम नहीं रखा गया है। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने शबनम को मौत की सजा सुनाई है। मथुरा जेल में उसको फांसी देने की तैयारियां चल रही है