पीलीभीत। जिले के कलीनगर क्षेत्र में सोमवार रात एक बाघ जंगल से निकलकर एक किसान के घर की दीवार पर बैठ गया। उसे देखकर कुत्ते भौंकने लगे। किसान उठकर बाहर आया तो बाघ को देखकर घबरा गया। सूचना मिलने पर ग्रामीण किसान के घर पहुंच गए। बाघ को बगाने के लिए आग जलाई गई, कुछ लोग छत से बाघ की आंखों पर टॉर्च की रोशनी डालते रहे, लेकिन वह भागा नहीं, कभी दीवार पर खड़ा हो जाता तो कभी आराम करने लगता, सुबह चार से शुरू हुआ सिलसिला सुबह 11 बजे तक जारी रहा. समय के साथ भीड़ बढ़ती गई लेकिन बाघ मौके से कहीं नहीं गया, बाघ को रेस्क्यू करने के लिए वन विभाग की टीम पहुंची. करीब 10 घंटे बाद बाघ को पकड़ा जा सका।

 

कुत्तों के भौंकने पर किसान को हुई जानकारी

कलीनगर तहसील क्षेत्र के तमाम गांवों के लोग बाघ की वजह से दहशत में रहते है. अक्सर बाघ जंगल से निकलकर आबादी की ओर चला आता है. कई बार लोगों को रातभर पालतू पशुओं की रखवाली भी करनी पड़ती है. सोमवार की रात करीब दो बजे एक बाघ अटकोना गांव के रहने वाले किसान शिंदू सिंह के घर की दीवार (चारदीवारी) पर जाकर बैठ गया. इस बीच गांव के कुत्तों ने उसे देखकर भौंकना शुरू कर दिया. इस पर शिंदू सिंह की नींद खुल गई, वह घर से बाहर निकले तो बाघ को देखकर सहम गए. उन्होंने गांव के अन्य लोगों को इसकी जानकारी दी. कुछ ही देर में कुछ लोग किसान के घर पहुंच गए, जबकि कुछ लोग अपने-अपने घरों की छतों पर चढ़कर बाघ को देखने लगे.

भीड़ बड़ने पर भी नहीं भागा बाघ लोग बाघ को भगाने के लिए उसकी आंखों पर टॉर्च से रोशनी कर रहे थे, कुछ लोगों ने आग का (भी सहारा लिया, लेकिन बाघ वहां से खिसका नहीं. कभी वह दीवार पर बैठ जाता तो कभी अपने पैर लटकाकर आराम की मुद्रा में आ जाता. जैसे-जैसे रात गुजरती गई लोगों की भीड़ भी बाघ के आसपास बढ़ने लगी, लेकिन इसके बावजूद सुबह तक वह दीवार से नहीं हटा. ग्रामीणों ने बाघ का वीडियों बनाकर उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया, वहीं ग्रामीणों ने मामले की सूचना वन विभाग को दी. टीम बाघ को पकड़ने के लिए गांव में पहुंच गई. वह विभाग की टीम गांल पहुंची. विभाग के डॉक्टरों ने बाघ को ट्रेकुलाइज कर उसे पकड़ लिया. इसके बाद पिंजरे में कैद कर लिया. पीलीभीत टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल ने बताया कि बाघ का मेडिकल कराकर उसे जंगल में छोड़ा जाएगा.

इलाके के कई गांवों में है बाघ की दहशत: कलीनगर तहसील क्षेत्र के जमुनिया खास, वीरखेड़ा, पिपरिया संतोष अटकोना समेत कई गांवों में लगातार बाघ की दहशत बनी रहती है. ग्रामीण खेतों में काम करने से भी डरते हैं. झुंड बनाकर ग्रामीण खेतों की तरफ जाते हैं ताकि बाघ उन पर हमला न कर दें. बीते दिनों पिपरिया संतोष गांव के पास दहशत फैलाने वाले बाघ को पकड़ने के लिए शासन से मंजूरी मिली थी लेकिन वन विभाग ढीला डाला रवैया अपनाता रहा. बाघ की निगरानी करने की बात लगातार सामाजिक वानिकी के अधिकारियों द्वारा की जाती है लेकिन कलीनगर तहसील क्षेत्र में बाघ की दहशत बरकरार है.

आँखों देखी