देश
Journey of NDTV: जानिए कैसे हुई थी NDTV की शुरूआत‚ क्या जारी रहेगी निष्पक्ष पत्रकारिताॽ
Prannoy, Radhika Roy Resign: एनडीटीवी (NDTV) पर लगभग हो चुके अडाणी ग्रुप के अधिग्रहण के बाद कंपनी के एग्जीक्यूटिव को-चेयरपर्सन प्रणय रॉय (Prannoy Roy) और उनकी पत्नी राधिका रॉय (Radhika Roy) ने आरआरपीआर (RRPR) होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर पद से इस्तीफा दे दिया है।
अब सुदीप्ता भट्टाचार्य, संजय पुगलिया और सेंथिल चेंगलवारायण आरआरपीआर (RRPR) होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड के नए डायरेक्टर होंगे। यह खबर एनडीटीवी के दर्शकों के लिए किसी बड़े झटके से कम नही है। इसकी वजह लोगों की वह आशंका है जिसमें माना जा रहा है कि NDTV पर अडाणी के कब्जे के बाद चैनल पहले की तरह निष्पक्ष पत्रकारिता नही कर पाएगा।
इस्तीफे को प्रणय और राधिका का एनडीटीवी के साथ सफर के अंत की शुरुआत मानी जा रही है। ऐसे वक्त में उस दौर को याद किया जा रहा है कि जब एनडीटीवी की शुरुआत हुई थी।
कैसे हुई थी NDTV की शुरुआत?
साल 1988 की बात है। केंद्र में राजीव गांधी की सरकार थी। समाचार चैनल पर आधिकारिक रूप से सरकार का कंट्रोल हुआ करता था। कोई निजी न्यूज चैनल नहीं चला सकता था। न्यूज़ देखने का एकमात्र माध्यम दूरदर्शन था। कारवां पर प्रकाशित कृष्ण कौशिक के आर्टिकल के मुताबिक, तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने दूरदर्शन के महानिदेशक भास्कर घोष को टीवी न्यूज को नए टैलेंट और विचार के साथ आकर्षक बनाने का काम सौंपा।
ठीक इसी वर्ष अर्थशास्त्री डॉ. प्रणय रॉय और उनकी पत्रकार पत्नी राधिका रॉय ने एनडीटीवी की शुरुआत की थी। NDTV यानी ‘न्यू दिल्ली टेलीविजन’ (New Delhi Television)। घोष ने दूरदर्शन के एक नए साप्ताहिक कार्यक्रम ‘द वर्ल्ड दिस वीक’ के लिए प्रणय रॉय और राधिका रॉय को काम पर रखा। इसके लिए उन्हें दो लाख रुपये प्रति एपिसोड भुगतान किया जाता था।
क्यों हिट हुआ ‘द वर्ल्ड दिस वीक’?
‘द वर्ल्ड दिस वीक’ खूब पॉपुलर हुआ। साथ ही प्रसिद्ध हुए शो के एंकर प्रणय रॉय। स्लेटी रंग के सूट और चमकदार टाई पहन जब पहली बार प्रणय रॉय टीवी स्क्रीन की दिखे थे, तब किसी ने सोचा नहीं था कि वह इंडियन टीवी न्यूज चैनल्स का भविष्य साबित होंगे।
प्रणय रॉय का शैली को लोगों ने पसंद किया। इस कार्यक्रम के शुरू होने से पहले दर्शकों ने केवल दूरदर्शन के बुलेटिन देखे थे। उसमें कठिन सरकारी हिंदी या अंग्रेजी में एंकर समाचार पढ़ा करते थे। विजुअल का इस्तेमाल बहुत कम किया जाता था। कभी-कभी कुछ सेकंड के लिए तस्वीरों का इस्तेमाल हो जाया करता था।
लेकिन प्रणय रॉय का कार्यक्रम आम न्यूज बुलेटिन से बिलकुल अलहदा होता था। द वर्ल्ड दिस वीक के माध्यम से ही एनडीटीवी ने पहली बार भारतीय दर्शकों को अंतरराष्ट्रीय टीवी न्यूज़ चैनल की शैली से रूबरू कराया था, जिसमें प्रत्येक न्यूज को एंकर आसान और बातचीत की भाषा में पेश करता था, विजुअल के साथ-साथ वॉयस-ओवर और अच्छी तस्वीरों का उपयोग कर एक प्री-पैकेज्ड स्टोरी चलाई जाती थी।
दूरदर्शन के साथ समझौते में आया बदलाव
1988 में एनडीटीवी की शुरुआत दूरदर्शन के लिए शो बनाने से हुई थी, जिसके लिए उन्हें पैसे मिलते थे। लेकिन अगले ही वर्ष एनडीटीवी इतना बड़ा बना गया कि अपना शो दूरदर्शन पर पैसे देकर चलवाने लगा और सीधा विज्ञापन से पैसे कमाने लगा। यहीं से प्रणय रॉय और राधिका रॉय के मीडिया उद्यमी बनने की शुरुआत हुई थी।
जब दर्ज हुआ पहला मामला
साल 1997 में एक संसदीय समिति ने दूरदर्शन के वित्तीय दस्तावेजों की जांच की। जांच में दूरदर्शन और एनडीटीवी के रिलेशन में कुछ ‘अनियमितताएं’ पायी गयीं। मुख्य रूप से दो कथित अनियमितताएं समाने आयी थीं। पहला यह कि दूरदर्शन अपनी टेक्नॉलॉजी का एक्सेस एनडीटीवी को करने दे रहा था। दूसरी अनियमितता विज्ञापन के दरों से जुड़ी थी।
1998 में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने प्रणय और दूरदर्शन के अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। FIR में 1993 से 1996 तक दूरदर्शन के महानिदेशक रहे रितिकांत बसु का नाम भी शामिल था। हालांकि, साल 2013 में सीबीआई द्वारा एक अदालत में क्लोजर रिपोर्ट दायर करने के बाद सभी आरोपों को खारिज कर दिया गया था।
रिपोर्ट का 80% कंटेंट जनसत्ता समाचार पत्र से लिया गया है।
उत्तरप्रदेश
दोस्ती, प्यार और जेंडर चेंज… शादी की बात पर हुई अनबन तो लगाई लाखों की गाड़ी में आग
Uttar Pardesh: कानपुर में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है. यहां वैभव शुक्ला नाम के लड़के की सोशल मीडिया पर इंदौर के दीप तनवानिया से दोस्ती हो गई. बदलते दिनों की तरह वैभव शुक्ला और दीप तनवानिया की दोस्ती भी इंस्टाग्राम के जरिए प्यार में बदलती चली गई. फिर जब दोनों के बीच प्यार परवान चढ़ा और बात शादी तक पहुंची तो दीप ने अपने ब्रेस्ट की सर्जरी करवाई। फिर कुछ दिनों तक मामला चलता रहा. यह जानकारी डीसीपी श्रवण कुमार ने दी.
शादी की बात पर विवाद हो गया।
श्रवण कुमार ने बताया कि अब जब दीप तनवानिया ने ब्रेस्ट सर्जरी करवाकर अपना लिंग परिवर्तन कराया तो वह शादी के लिए जिद करने लगा, लेकिन कुछ दिनों बाद दोनों के बीच अनबन हो गई, जिसके चलते वैभव ने शादी करने से इनकार कर दिया. इस बात से दीप तनवानिया बहुत नाराज हो गया और उसने वैभव को सबक सिखाने की योजना बना डाली.
डीसीपी ने आगे बताया कि दीप ने इंदौर के आपराधिक प्रवृत्ति के लड़के रोहन यादव के साथ कानपुर आने का फैसला किया. कानपुर पहुंच कर दोनों ने ऑनलाइन एक स्कूटर किराये पर लिया और उसमें पेट्रोल भरवाया, फिर वैभव के आसपास खोजबीन शुरू कर दी. फिर मौका मिलते ही उन्होंने वैभव की कार पर पेट्रोल छिड़क कर आग लगा दी और फिर दोनों मौके से भाग गए.
सीसीटीवी की मदद से पकड़ा गया आरोपी
डीसीपी श्रवण कुमार ने आगे बताया कि जैसे ही यह घटना हुई, दोनों ने भागने का प्लान बना लिया. घटना के बाद दीप और रोहन कानपुर से भागने की फिराक में थे, लेकिन पुलिस ने ऑपरेशन त्रिनेत्र की मदद से शहर में लगे सीसीटीवी की मदद से दोनों आरोपियों की पहचान कर ली और दीप तनवानिया और रोहन यादव को फजलगंज थाना क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया. .
देश
दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर साईबाबा बरी, उम्रकैद की सजा रद्द
नागपुर: बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने मंगलवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा को माओवादी लिंक मामले में बरी कर दिया। कोर्ट ने उसकी उम्रकैद की सजा रद्द कर दी है. न्यायमूर्ति विनय जोशी और न्यायमूर्ति वाल्मिकी एस.ए. मेनेजेस की खंडपीठ ने मामले में पांच अन्य आरोपियों को भी बरी कर दिया।
बेंच ने क्या कहा?
पीठ ने कहा कि वह सभी आरोपियों को बरी कर रही है क्योंकि अभियोजन पक्ष उचित संदेह से परे उनके खिलाफ मामला साबित करने में विफल रहा। इसमें कहा गया, “अभियोजन पक्ष आरोपी के खिलाफ कोई कानूनी सबूत या आपत्तिजनक सामग्री पेश करने में विफल रहा है।” पीठ ने कहा, ‘निचली अदालत का फैसला कानून के मानकों पर खरा नहीं उतरता, इसलिए हम उस फैसले को रद्द करते हैं. सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया है.
इसने गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के प्रावधानों के तहत आरोप दायर करने के लिए अभियोजन पक्ष द्वारा प्राप्त मंजूरी को भी अमान्य घोषित कर दिया। हालाँकि, बाद में अभियोजन पक्ष ने मौखिक रूप से अदालत से अपने आदेश पर 6 सप्ताह के लिए रोक लगाने का अनुरोध किया, ताकि वह सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर सके।
पीठ ने अभियोजन पक्ष को इस पर रोक लगाने के लिए आवेदन दाखिल करने का निर्देश दिया. उच्च न्यायालय की एक अन्य पीठ ने 14 अक्टूबर, 2022 को साईबाबा को यह संज्ञान लेते हुए बरी कर दिया था कि यूएपीए के तहत वैध मंजूरी के अभाव में मुकदमे की कार्यवाही अमान्य थी।
महाराष्ट्र सरकार ने उसी दिन फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। शीर्ष अदालत ने शुरू में आदेश पर रोक लगा दी और बाद में अप्रैल 2023 में उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया और साईबाबा द्वारा दायर अपील पर नए सिरे से सुनवाई का निर्देश दिया।
54 वर्षीय साईंबाबा, जो शारीरिक विकलांगता के कारण व्हीलचेयर पर हैं, 2014 में अपनी गिरफ्तारी के बाद से नागपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं। 2017 में, महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले की एक सत्र अदालत ने पत्रकार साईंबाबा और पांच अन्य को दोषी ठहराया था। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के एक छात्र पर कथित माओवादी संबंधों और देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने जैसी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है। . सत्र न्यायालय ने उन्हें यूएपीए और भारतीय दंड संहिता के विभिन्न प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया था।
उत्तरप्रदेश
SP ऑफिस के बाहर शख्स ने खुद को लगाई आग, पुलिस पर सपा अध्यक्ष ने उठाए सवाल
उत्तर प्रदेश: शाहजहाँपुर जिले में मंगलवार को एक व्यक्ति ने पुलिस अधीक्षक (एसपी) कार्यालय में खुद को आग लगा ली, जिसमें वह झुलस गया। पुलिस ने उसे राजकीय मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया। पुलिस के मुताबिक, ताहिर (45 वर्ष) आज दोपहर जिले के कांत नगर थाना क्षेत्र स्थित पुलिस अधीक्षक कार्यालय में आया और अपने ऊपर कुछ तरल पदार्थ डालकर आग लगा ली, जिसके बाद पुलिसकर्मियों ने तुरंत आग बुझा दी. इस घटना में पीड़िता के पैर जल गये. पुलिस के मुताबिक, ताहिर का जिले के सदर बाजार थाना क्षेत्र के नगरिया बहाव निवासी उमेश तिवारी से दो छोटे मालवाहक वाहनों की बिक्री को लेकर विवाद है.
मामले पर अखिलेश की प्रतिक्रिया
इस बीच समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए हैं. सुविधा मुहैया कराई जाए और इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज कर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए, इस पोस्ट में अखिलेश यादव ने पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए।” इसी पोस्ट में यादव ने कहा, ”जब राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की तुलना में प्राथमिक रिपोर्ट बहुत कम हैं। एनसीआरबी रिपोर्ट कानून और व्यवस्था की इतनी खराब स्थिति दिखाती है। यदि सचमुच हर अपराध की रिपोर्ट लिखी जाती है तो क्या पता प्रदेश का तथाकथित अमृतकाल शर्म से आत्महत्या कर ले।
क्या है पूरा मामला?
पुलिस अधीक्षक (एसपी) अशोक कुमार मीणा ने कहा कि ताहिर अली और उमेश तिवारी परिचित हैं और उनके व्यापारिक संबंध हैं. उनके मुताबिक दो छोटी ‘लोडर’ गाड़ियों के मालिकाना हक को लेकर ताहिर अली का उमेश तिवारी से विवाद कोर्ट में चल रहा है और दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के खिलाफ सदर बाजार में मुकदमा भी दर्ज कराया है, जिसकी जांच की जा रही है. रहा है।
मीना ने कहा कि पूरे मामले की जांच पुलिस अधीक्षक (नगर) संजय कुमार के नेतृत्व में एक टीम कर रही है और जांच के बाद दोषी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी. उन्होंने कहा, ”हम पूरे मामले को देख रहे हैं और इस मामले में जो भी दोषी होगा उसे किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा.” ताहिर ने बताया कि उसकी दो छोटी मालवाहक गाड़ियां उमेश तिवारी ने छीन ली है. उनके मुताबिक, उमेश तिवारी ने उन्हें ढाई साल में कुछ पैसे दिए हैं और वह उनकी गाड़ियां नहीं लौटा रहे हैं। उनका कहना है कि उन्होंने इस संबंध में पुलिस से भी शिकायत की है.
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