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Delhi: हाईकोर्ट के वकील ने दी मोची को धमकी‚ वर्मा सरनेम की जगह “चमार” लिखने को किया मजबूर

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राम अवतार वर्मा

दिल्ली के मयूर विहार फेज़-1 में राजस्थान के जयपुर निवासी राम अवतार वर्मा, सड़क किनारे मोची की दुकान चलाते हैं. उनकी इस दुकान पर जूते रखने का लकड़ी का एक बक्सा है, जिस पर उनका नाम लिखा हुआ है. राम अवतार का दावा है कि उनकी दुकान के सामने सड़क पार हिंदुस्तान टाइम्स अपार्टमेंट में जीएल वर्मा नाम के एक शख्स ने उन्हें नाम से “वर्मा” हटाने के लिए मजबूर किया.

राम अवतार वर्मा कहते हैं, “मैं लंबे समय से मयूर विहार फेज -1 में जूते रिपेयरिंग का काम करता हूं. मैंने अपने जूते और औजार आदि सामान रखने का जो बक्सा है, उसके दरवाजे पर राम अवतार वर्मा लिख रखा है. लेकिन मेरे सामने हिंदुस्तान टाइम्स सोसाइटी में एक जीएल वर्मा नाम के व्यक्ति रहते हैं उनको इससे एतराज है. वह कहते हैं कि तू यहां से वर्मा हटा और ‘चमार’ लिख. क्योंकि वर्मा मैं हूं, तू नहीं है. तू ‘चमार’ है. इसके बाद मैं डर गया और मैंने वर्मा सरनेम पर एक कागज चस्पा कर दिया.”

राम अवतार के मुताबिक इस घटना के कुछ दिन बाद थोड़ी सी बारिश हुई तो वो कागज भीग कर हट गया. यह देखकर जीएल वर्मा ने फिर से उन्हें धमकाया और वर्मा सरनेम हटाने को कहा. ऐसा न करने पर दुकान को हटाने की धमकी भी दी. इससे डरकर राम अवतार ने फिर से अपने नाम के वर्मा वाले हिस्से पर कागज चिपका कर छिपा दिया.

राम अवतार बताते हैं कि उनकी पांच बेटियां और एक बेटा है. वे कहते हैं, “मैं अभी राजस्थान से अपनी एक बेटी की शादी करके लौटा हूं. इसी दुकान से हमारा परिवार चलता है. मैं एक दलित हूं. मुझे इस तरह से प्रताड़ित किया जा रहा है.” वर्मा के मुताबिक उनके हाल ही में दो ऑपरेशन हुए हैं और उनकी माली हालत ठीक नहीं है.

इस घटना के वायरल होने के बाद मयूर विहार थाने की पुलिस ने उनसे संपर्क किया. वर्मा कहते हैं, “मेरी दुकान पर तीन-चार पुलिसकर्मी आए थे, मैंने उनसे अपनी शिकायत की है. उन्होंने मुझे थाने बुलाया था. बाद में उन्होंने कहा कि अभी एसएचओ साहब नहीं हैं, बाद में आना.”

इस बारे में आरोपी जीएल वर्मा से भी हमने बात की. हम उनसे मिलने उनके दफ्तर पहुंचे लेकिन वे वहां नहीं थे. पेशे से दिल्ली हाईकोर्ट में वकील जीएल वर्मा ने फोन पर हमसे बात की. उन्होंने यह बात स्वीकार की कि उन्होंने मोची राम अवतार से उनका सरनेम वर्मा हटाने को कहा था. लेकिन साथ ही वो उन्हें धमकाने की बात से इनकार करते हैं.

वो कहते हैं, “यह बहुत पुरानी बात है करीब 6-7 महीने हो गए हैं. मैंने राम अवतार से वर्मा सरनेम हटाने को कहा था, लेकिन उस संदर्भ में नहीं कहा था जिस संदर्भ में राम अवतार वर्मा कह रहे हैं. मुझे कोई एतराज नहीं है. उनको जो लिखना है लिखें, मैं तो खुद भी वर्मा हूं.”

हमने जब उनसे स्पष्ट पूछा कि क्या आपने वर्मा हटाकर चमार लिखने के लिए बोला था, तब जीएल वर्मा बात को घुमा फिराकर टालने लगे. वो कहते हैं, “मैंने सिर्फ यह कहा था कि मैं भी वर्मा हूं, तुम भी वर्मा हो? इस तरह से फुटपाथ पर, कॉमन स्पेस पर नाम मत लिखो क्योंकि जब दीवार पर नाम लिख देते हो तो इससे ये होता है कि यह प्रॉपर्टी पर कब्जा हो जाता है.” वह आगे कहते हैं कि आप उनसे बोलिए कि वो अपना नाम लिखें मुझे कोई एतराज नहीं है. अगर उनको मुझसे कोई शिकायत है तो मिल कर निपटा लेंगे.

यहां स्पष्ट कर दें कि राम अवतार वर्मा ने कहीं भी दीवार पर नाम नहीं लिखा है, बल्कि उन्होंने यह नाम अपनी दुकान पर रखे लकड़ी के बक्से पर लिखा है.

इस मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारी पंकज सरोहा कैमरे पर तो बात करने से इंकार कर देते हैं, लेकिन वह कहते हैं कि यह आरोप है. आरोप तो कोई भी लगा सकता है. इसका कोई प्रूफ तो है नहीं. वीडियो वायरल हो रहा है. इस मामले में हम जांच कर रहे हैं. हमें कुछ लगता है तो मामला दर्ज करेंगे.

इस विवाद में ताजा स्थिति ये है कि एमसीडी के एक कर्मचारी ने राम अवतार वर्मा से दुकान हटाने के लिए बोला है. वर्मा ने हमें इस बाबत अपना वीडियो भी भेजा है. उसमें एक व्यक्ति उनका तिरपाल हटाने की बात कर रहा है, जबकि अन्य कई लोग उस कर्मचारी को समझाने की कोशिश कर रहे हैं. वीडियो में बातचीत के दौरान एमसीडी का वह कर्मचारी कहता है, “अगर मुझ पर इल्जाम लगाओगे, तो मैं दो मिनट में दुकान हटवा दूंगा.”

राम अवतार वर्मा को डर है कि अगर उनकी दुकान हट गई तो रोज़ी-रोटी का संकट पैदा हो जाएगा.

आर्टिकल साभार-न्यूज क्लिक

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उत्तरप्रदेश

दोस्ती, प्यार और जेंडर चेंज… शादी की बात पर हुई अनबन तो लगाई लाखों की गाड़ी में आग

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Uttar Pardesh: कानपुर में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है. यहां वैभव शुक्ला नाम के लड़के की सोशल मीडिया पर इंदौर के दीप तनवानिया से दोस्ती हो गई. बदलते दिनों की तरह वैभव शुक्ला और दीप तनवानिया की दोस्ती भी इंस्टाग्राम के जरिए प्यार में बदलती चली गई. फिर जब दोनों के बीच प्यार परवान चढ़ा और बात शादी तक पहुंची तो दीप ने अपने ब्रेस्ट की सर्जरी करवाई। फिर कुछ दिनों तक मामला चलता रहा. यह जानकारी डीसीपी श्रवण कुमार ने दी.

शादी की बात पर विवाद हो गया।

श्रवण कुमार ने बताया कि अब जब दीप तनवानिया ने ब्रेस्ट सर्जरी करवाकर अपना लिंग परिवर्तन कराया तो वह शादी के लिए जिद करने लगा, लेकिन कुछ दिनों बाद दोनों के बीच अनबन हो गई, जिसके चलते वैभव ने शादी करने से इनकार कर दिया. इस बात से दीप तनवानिया बहुत नाराज हो गया और उसने वैभव को सबक सिखाने की योजना बना डाली.

डीसीपी ने आगे बताया कि दीप ने इंदौर के आपराधिक प्रवृत्ति के लड़के रोहन यादव के साथ कानपुर आने का फैसला किया. कानपुर पहुंच कर दोनों ने ऑनलाइन एक स्कूटर किराये पर लिया और उसमें पेट्रोल भरवाया, फिर वैभव के आसपास खोजबीन शुरू कर दी. फिर मौका मिलते ही उन्होंने वैभव की कार पर पेट्रोल छिड़क कर आग लगा दी और फिर दोनों मौके से भाग गए.

सीसीटीवी की मदद से पकड़ा गया आरोपी

डीसीपी श्रवण कुमार ने आगे बताया कि जैसे ही यह घटना हुई, दोनों ने भागने का प्लान बना लिया. घटना के बाद दीप और रोहन कानपुर से भागने की फिराक में थे, लेकिन पुलिस ने ऑपरेशन त्रिनेत्र की मदद से शहर में लगे सीसीटीवी की मदद से दोनों आरोपियों की पहचान कर ली और दीप तनवानिया और रोहन यादव को फजलगंज थाना क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया. .

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देश

दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर साईबाबा बरी, उम्रकैद की सजा रद्द

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नागपुर: बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने मंगलवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा को माओवादी लिंक मामले में बरी कर दिया। कोर्ट ने उसकी उम्रकैद की सजा रद्द कर दी है. न्यायमूर्ति विनय जोशी और न्यायमूर्ति वाल्मिकी एस.ए. मेनेजेस की खंडपीठ ने मामले में पांच अन्य आरोपियों को भी बरी कर दिया।

बेंच ने क्या कहा?

पीठ ने कहा कि वह सभी आरोपियों को बरी कर रही है क्योंकि अभियोजन पक्ष उचित संदेह से परे उनके खिलाफ मामला साबित करने में विफल रहा। इसमें कहा गया, “अभियोजन पक्ष आरोपी के खिलाफ कोई कानूनी सबूत या आपत्तिजनक सामग्री पेश करने में विफल रहा है।” पीठ ने कहा, ‘निचली अदालत का फैसला कानून के मानकों पर खरा नहीं उतरता, इसलिए हम उस फैसले को रद्द करते हैं. सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया है.

इसने गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के प्रावधानों के तहत आरोप दायर करने के लिए अभियोजन पक्ष द्वारा प्राप्त मंजूरी को भी अमान्य घोषित कर दिया। हालाँकि, बाद में अभियोजन पक्ष ने मौखिक रूप से अदालत से अपने आदेश पर 6 सप्ताह के लिए रोक लगाने का अनुरोध किया, ताकि वह सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर सके।

पीठ ने अभियोजन पक्ष को इस पर रोक लगाने के लिए आवेदन दाखिल करने का निर्देश दिया. उच्च न्यायालय की एक अन्य पीठ ने 14 अक्टूबर, 2022 को साईबाबा को यह संज्ञान लेते हुए बरी कर दिया था कि यूएपीए के तहत वैध मंजूरी के अभाव में मुकदमे की कार्यवाही अमान्य थी।

महाराष्ट्र सरकार ने उसी दिन फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। शीर्ष अदालत ने शुरू में आदेश पर रोक लगा दी और बाद में अप्रैल 2023 में उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया और साईबाबा द्वारा दायर अपील पर नए सिरे से सुनवाई का निर्देश दिया।

54 वर्षीय साईंबाबा, जो शारीरिक विकलांगता के कारण व्हीलचेयर पर हैं, 2014 में अपनी गिरफ्तारी के बाद से नागपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं। 2017 में, महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले की एक सत्र अदालत ने पत्रकार साईंबाबा और पांच अन्य को दोषी ठहराया था। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के एक छात्र पर कथित माओवादी संबंधों और देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने जैसी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है। . सत्र न्यायालय ने उन्हें यूएपीए और भारतीय दंड संहिता के विभिन्न प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया था।

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उत्तरप्रदेश

SP ऑफिस के बाहर शख्स ने खुद को लगाई आग, पुलिस पर सपा अध्यक्ष ने उठाए सवाल

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उत्तर प्रदेश: शाहजहाँपुर जिले में मंगलवार को एक व्यक्ति ने पुलिस अधीक्षक (एसपी) कार्यालय में खुद को आग लगा ली, जिसमें वह झुलस गया। पुलिस ने उसे राजकीय मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया। पुलिस के मुताबिक, ताहिर (45 वर्ष) आज दोपहर जिले के कांत नगर थाना क्षेत्र स्थित पुलिस अधीक्षक कार्यालय में आया और अपने ऊपर कुछ तरल पदार्थ डालकर आग लगा ली, जिसके बाद पुलिसकर्मियों ने तुरंत आग बुझा दी. इस घटना में पीड़िता के पैर जल गये. पुलिस के मुताबिक, ताहिर का जिले के सदर बाजार थाना क्षेत्र के नगरिया बहाव निवासी उमेश तिवारी से दो छोटे मालवाहक वाहनों की बिक्री को लेकर विवाद है.

मामले पर अखिलेश की प्रतिक्रिया

इस बीच समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए हैं. सुविधा मुहैया कराई जाए और इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज कर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए, इस पोस्ट में अखिलेश यादव ने पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए।” इसी पोस्ट में यादव ने कहा, ”जब राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की तुलना में प्राथमिक रिपोर्ट बहुत कम हैं। एनसीआरबी रिपोर्ट कानून और व्यवस्था की इतनी खराब स्थिति दिखाती है। यदि सचमुच हर अपराध की रिपोर्ट लिखी जाती है तो क्या पता प्रदेश का तथाकथित अमृतकाल शर्म से आत्महत्या कर ले।

क्या है पूरा मामला?

पुलिस अधीक्षक (एसपी) अशोक कुमार मीणा ने कहा कि ताहिर अली और उमेश तिवारी परिचित हैं और उनके व्यापारिक संबंध हैं. उनके मुताबिक दो छोटी ‘लोडर’ गाड़ियों के मालिकाना हक को लेकर ताहिर अली का उमेश तिवारी से विवाद कोर्ट में चल रहा है और दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के खिलाफ सदर बाजार में मुकदमा भी दर्ज कराया है, जिसकी जांच की जा रही है. रहा है।

मीना ने कहा कि पूरे मामले की जांच पुलिस अधीक्षक (नगर) संजय कुमार के नेतृत्व में एक टीम कर रही है और जांच के बाद दोषी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी. उन्होंने कहा, ”हम पूरे मामले को देख रहे हैं और इस मामले में जो भी दोषी होगा उसे किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा.” ताहिर ने बताया कि उसकी दो छोटी मालवाहक गाड़ियां उमेश तिवारी ने छीन ली है. उनके मुताबिक, उमेश तिवारी ने उन्हें ढाई साल में कुछ पैसे दिए हैं और वह उनकी गाड़ियां नहीं लौटा रहे हैं। उनका कहना है कि उन्होंने इस संबंध में पुलिस से भी शिकायत की है.

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