Uttar Pradesh Gram Panchayat Elections:: पंचायत चुनावों में आरक्षण को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के ताजा फैसले से कई लोगाें का नेता बनने का सपना टूट गया है. वही कई ऐसे लोग है जिनकी एक बार फिर से नेता बनने की उम्मीद जाग चुकी है. हाई कोर्ट ने योगी सरकार को झटका देते हुए अपना फैसला सुनाया है. कोर्ट के फैसले के अनुसार अगर आरक्षण लिस्ट जारी होती है तो अब तक जो सीट सामान्य श्रेणी में आ रही थी अब उस पर आरक्षण लागू हो जाएगा. वही आरक्षण वाली सीट अब सामान्य श्रेणी में आ जाएगी.
बात दे कि सोमवार को कोर्ट ने सरकार को आरक्षण प्रक्रिया में बदलाव के निर्देश दिए हैं. अब अप्रैल में होने वाले चुनावों में और देरी होना लाजमी है. क्योकि पहले ही आरक्षण किया जा चुका था. ऐसे में अब दोबारा आरक्षण किए जाने में कम से कम एक महीने का समय और लगेंगे. ऐसे में हाईकोर्ट के निर्देशों को मानकर यदि सरकार ने चुनाव कराने का फैसला किया तो एक चुनाव एक महीने आगे खिसक जाएंगे.
ये भी पढ़े- UP : जहरीली शराब पीने से महिला समेत चार की मौत, एसएचओ के अलावा दो पुलिसकर्मी सस्पेंड
पंचायत चुनावों में आरक्षण ही सबसे जटिल काम होता है. इसकी सूची जारी होने के बाद ही राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव की तैयारियों में जुटता है. सरकार द्वारा आरक्षण किये जाने के नियम तय करने के बाद आरक्षण की सूची तैयार करने में कम से कम एक महीने का टाइम लगता है.
अब इसी चुनाव को लीजिए. सरकार ने 11 फरवरी को आरक्षण के नियमों वाला शासनादेश जारी किया था. आरक्षण की अंतिम सूची 15 मार्च को आनी थी. यानी एक महीने का समय. अब यदि सरकार को फिर से आरक्षण करना पड़ा तो उसे पहले इसके नियमों वाला शासनादेश जारी करना पड़ेगा. इसी शासनादेश के आधार पर जिलों में आरक्षण किया जायेगा. इसमें एक महीने का टाइम लग जाएगा.
इससे पहले कोर्ट के दिये आदेश के मुताबिक सरकार को 30 अप्रैल तक चुनाव खत्म करने थे. अब यदि आरक्षण फिर से किया जाता है तो एक महीना समय बढ़ाना पड़ेगा. इसी बीच यूपी बोर्ड की परीक्षाएं भी होने वाली हैं. ऐसे में सरकार किस तरह इन दो-दो महा आयोजनों को सफलतापूर्वक करती है, ये देखने वाली बात होगी. ये जरूर है कि राज्य निर्वाचन आयोग पर जल्दी चुनाव कराने का जो दबाव था वो थोड़ा कम हुआ होगा.
दूसरी तरफ आरक्षण की सूची जारी हो जाने के कारण उसी के अनुरूप गांव-गांव में चुनावी गोटियां बिछा दी गई थी. भावी प्रधानों ने गांव में शुभकामनाएं देना शुरू कर दिया था‚ वही कुछ ने ताे भंडारा लगाकर वोटरों को दावत देना भी शुरू कर दिया था. लेकिन अब इनका सपना टूट गया है. अब इसमें भी बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है. यदि नये सिरे से आरक्षण हुआ तो बड़े पैमाने पर सीटों का नेचर बदल जाएगा. जो सामान्य हुई होंगी वो रिजर्व हो सकती हैं.