मेरठ/रोहटा: लॉकडाउन खुलने के बाद भले ही लोगों के रोजगार दाेबारा से पटरी पर न लौटे हो लेकिन ज्यादातर गैराकानूनी काम दोबारा से शूरू हो चुके है. सट्टा भी ऐसा ही एक अवैध कार्य है. जो लाॅकडाउन के बाद शहर से लेकर देहात तक फैल चुका है. यहां हजारों लोग रोजाना अपनी किस्मत अजमाने के लिए दांव लगा रहें है.
वैसे तो सट्टा लगाना‚ या लगवाना पूरी तरह से गैरकानूनी है लेकिन फिर भी ये धंधा खूब फल-फूल रहा है. इसकी मुख्य वजह ये है कि अधिकांश जगह इस काम को पूरी तरह से पुलिस का संरक्षण प्राप्त है.
देहात का बड़ा सट्टा सेंटर है रोहटा
देहात क्षेत्र का गांव रोहटा सट्टे के लिए काफी बदनाम है. मेरठ- बडौत मार्ग स्थित इस गांव की आबादी लगभग 20 हजार से ज्यादा है. ऑन रोड़ होने के चलते आस-पास के दर्जनों गांवों के लोग भी यहां सट्टा सेंटर पर अपनी किस्मत आजमाने आते है और अमीर बनने की चाहत में लुटकर जाते है.
गांव में है थाना‚ इंस्पेक्टर से लेकर CO तक को है सट्टे की जानकारी
रोहटा गावं में पुलिस थाना मौजूद है. लेकिन ऐसा नही है कि पुलिस को इस बारे में जानकारी नही है. बल्कि इंस्पेक्टर से लेकर सीओ तक को इस पूरे मामले की जानकारी है. विशेष बात ये भी है कि जिस जगह यहां सट्टा लगाया जाता है वहां से थाने की दूरी महज 800 मीटर के आस-पास है. स्थानीय लोगों को कहना है कि उनके द्वारा दर्जनो बार इंस्पेक्टर से लेकर सीओ तक को फोन करके मामले की जानकारी दी गई लेकिन कोई कार्यवाही नही की गई. पुलिस ने उल्टा उन्हे ही धमका दिया.
60 हजार रूपए महीना देते है‚ जिसमें हिम्मत है काम बंद कराके दिखाए
रोहटा में सट्टा चलाने वाले लोगों के नाम हरचंद और संजय है. गांव में तालाब वाले रास्ते पर इन लोगों ने सट्टा केन्द्र बनाया हुआ है. ये दोनों काफी पुराने टाइम से पार्टनरशिप में सट्टा चलाते है. दिखावे के तौर पर इन लोगों ने सब्जी का काम किया हुआ है जिसकी आड़ में सट्टा चलाना इनका मुख्य काम है. बताया जाता है कि आस-पडोस के लोग जब भी इनका विरोध करते है तो ये लोग धमकी देते हुए कहते है कि वो लोग थाने को 60 हजार रूपए महीना देते है जिसकी हिम्मत है वो सट्टा बंद करा के दिखाए.
मेरठ में हो चुके है कई मर्डर
सट्टे के अवैध कारोबार से मेरठ का रिश्ता पुराना है. यहां कई बार कई लोगों की हत्याएं तक हो चुकी है. जिसमें फिरोज सट्टेबाज का मामला सबसे चर्चित है. फिरोज एसपी सिटी ऑफिस के पीछे नाले पर सट्टा चलाता था‚ अक्टूबर 2018 में उसने विजिलेंस इंस्पेक्टर प्रताप सिंह के बेटे मनोज की हत्या कर दी थी और शव को गंगनहर में फेंक दिया था. पुलिस के अनुसार मनोज फिरोज से हफ्ता वसूली करता था. जिसके चलते उसने उसकी हत्या की.
इसके अलावा मेरठ श्याम नगर में सट्टे की हफ्ता वसूली को लेकर कई हत्याएं हो चुकी है. बावजूद पुलिस चंद रूपयों के लालच में इस काम को कराने की छूट दिए हुए है.