शिवराज के ‘मामा के घर’ पर नेता प्रतिपक्ष की नजर, आखिर इस बंगले पर क्यों जता रहे हैं अपना दावा?

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शिवराज सिंह
शिवराज सिंह

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का आवास ‘मामा का घर’ के नाम से जाना जाता है. अब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार की नजर चाचा के इस घर पर है. उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर यह आवास आवंटित करने का अनुरोध किया है.

शिवराज ने ‘मामा का घर’ रखा नए बंगले का नाम

दरअसल, शिवराज सिंह चौहान 18 साल तक प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर रहे और अब वह बीएससी हैं। 74 बांग्ला क्षेत्र में. 8-9 में रहते हैं. बी 8-9 दो बंगले थे जिन्हें मिलाकर एक बंगला बनाया गया है। पूर्व मुख्यमंत्री ने इस आवास का नाम ‘मामा का घर’ रखा है. वरिष्ठ कांग्रेस विधायक और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र लिखकर बी-9 आवास आवंटित करने का अनुरोध किया है.

उमंग सिंघार ने बताई ये वजह

मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में उन्होंने कहा है कि नेता प्रतिपक्ष के रूप में वर्षों तक मध्य प्रदेश की आदिवासी समुदाय से आने वाली पहली महिला उप मुख्यमंत्री जमुना देवी को शासकीय आवास क्रमांक बी-9 आवंटित किया गया है. आदिवासी समुदाय की नेता होने के साथ-साथ वह मेरी चाची भी थीं और मैंने बचपन से ही उन्हें इस बी-9 सरकारी आवास में राज्य के सर्वहारा वर्ग की सेवा में दिन-रात लगे देखा है। मैं इस सरकारी आवास से भावनात्मक रूप से भी जुड़ा हुआ हूं।’ उमंग सिंघार ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि नेता प्रतिपक्ष होने के नाते उन्हें उक्त सरकारी आवास आवंटित किया जाये.

जानें इस सरकारी बंगले की कहानी

दरअसल, इस सरकारी बंगले की कहानी कुछ यूं है कि बी-8, बी-9 से सटा हुआ 74 बंगला मामा का घर है. मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद शिवराज सिंह चौहान यहीं शिफ्ट हो गए हैं. समीपवर्ती बी-9 में शिवराज सिंह चौहान का कार्यालय संचालित होता है। 74 के बी-9 बंगले का मामला विधानसभा में भी गूंज चुका है. तत्कालीन कांग्रेस विधायक विनय सक्सेना ने उन पर शिवराज सिंह चौहान के घर से सटे बी-9 सरकारी आवास को तोड़ने का आरोप लगाया था और करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद सरकारी आवास को तोड़ने पर भी सवाल उठाए थे.

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