आज हम सीएमओ के बारे में बात करेंगे। आपको बताएंगे कि सीएमओ की क्या पॉवर होती है और उन्हे कितना वेतन मिलता है। साथ ही यह भी बताएंगे सीएमओ के क्या कार्य होते है और सीएमओ बनने के लिए क्या-क्या करना पड़ता है।
सबसे पहले बात करते हैं कि सीएमओ का फुल फॉर्म क्या होता है। तो आपको बता दें कि CMO का Full Form Chief Medical Officer होता है। जिसे हिंदी में “मुख्य चिकित्सा अधिकारी” कहा जाता हैं। यह सरकार में एक स्वास्थ्य मामलों के प्रमुख सलाहकार होते हैं। साधारण भाषा में कहें तो मुख्य चिकित्सा अधिकारी मेडिकल क्षेत्र का एक ऐसा वरिष्ठ अधिकारी होता है जो अपने क्षेत्र के सभी सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों पर नजर रखता है।
सीएमओ के कार्य की बात करें तो इनका कार्य पूरे जनपद में स्वास्थ्य व्यवस्था को सूचारू रखना और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का समाधान करना होता है। सीएमओ अपनी टीम के माध्यम से जिले के सभी अस्पतालों और मेडिकल स्टोरों पर नजर रखते हैं‚ वो यह सुनिश्चित करते हैं कि जिले में सभी सरकारी अथवा प्राइवेट स्वास्थय केन्द्रों पर लोगों काे सही इलाज मिल रहा है या नही। सीएमओ अपने जनपद में दवाइयों की सप्लाई और अवैध ड्रग्स के कारोबार पर भी नजर रखते हैं। जिले में कोई भी बिमारी फैलने पर उसे कंट्रोल करने की जिम्मेदारी भी सीएमओ की होती है। इसके लिए सीएमओं डॉक्टरों की टीम के साथ प्रभावित जगह पर लोगों को समूचित उपचार का प्रबंध करते हैं। साथ ही पूरे मामले की रिपोर्ट डीएम के माध्यम राज्य सरकार को भेजते हैं। जिले में होने वाले सभी प्रकार के टीकारण की जिम्मेदारी भी सीएमओ की होती है।
सीएमओ की पॉवर की बात करें तो यह एक जिला लेवल के अधिकारी होते हैं। जिनके पास सैकडों अधिकार होते हैं। जनपद के स्वास्थय विभाग होने वाली सभी प्रकार की नियुक्तियां करने का अधिकार सीएमओ के पास होता हैं। जिले में मौजूद सभी प्राइवेट अस्पतालों को लाइसेंस सीएमओ के माध्यम से ही जारी किया जाता है। अगर कोई डॉक्टर या अस्पताल संचालक मरीजो के साथ सही बर्ताव नही करता है तो सीएमओ के पास ऐसे डॉक्टरों और अस्पताल संचालको के खिलाफ कार्यवाही का अधिकार होता है। गड़बड़ी मिलने पर सीएमओं जिले के सरकारी डॉक्टरों पर कार्यवाही कर सकते हैं। उन्हे सस्पेंड या दूसरी जगह ट्रांस्फर भी कर सकते हैं। सीएमओ निजी अस्पतालों का लाइसेंस निरस्त भी कर सकते हैं। अवैध रूप से चल रहे मेडिकल स्टोरो और झाैला छाप डॉक्टरों पर भी कार्यवाही कर सकते हैं।
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अब बात करतें है सीएमओ के वेतन की। आपको बात दें कि CMO की औसत सालाना सैलरी 8,80,292 रुपए तक होती है। इसके अलावा समय -समय पर अच्छे प्रदर्शन के दौरान उनका बोनस और सैलरी बढ़ती भी रहती है। सैलरी के अलावा सीएमओ को दर्जनों सरकारी सुविधाएं भी मिलती है। जिसमें आलीशान सरकारी बंगला‚ गाड़ी‚ और दर्जनों नौकर-चाकर भी मिलते हैं।
अब बात करते हैं सीएमओं बनने का रास्ता क्या है। इसके लिए कितनी योग्यता होनी चाहिए। तो आपको बता दें कि इसके लिए आपको 12वीं कक्षा में Physics, Chemistry और Biology सब्जेक्ट में 50 से 60% अंकों के साथ उत्तीर्ण करना जरूरी होता है। इसके बाद मेडिकल क्षेत्र में जाने के लिए एमबीबीएस डिग्री का कोर्स करना होता है। जिसके लिए आपको नीट प्रवेश परीक्षा से गुजरना पड़ता है। 4 साल के एमबीबीएस कोर्स को पूरा करने के बाद 1 साल के internship course करना होता है।
MBBS डिग्री कोर्स हासिल करने के बाद आप UPSC के द्वारा आयोजित कंबाइंड मेडिकल सर्विस (CMS) परीक्षा के द्वारा सरकारी अस्पताल के लिए मेडिकल ऑफिसर के रूप में चयनित किए जाते हैं। इन्ही मेडिकल ऑफिसर को कई सालों के अनुभव और अच्छे प्रदर्शन के बाद पदोन्नति के माध्यम से CMO यानी चीफ मेडिकल ऑफिसर बना दिया जाता है। आशा करते हैं कि वीडियो दीगई जानकारी आपको जरूर पसंद आयी होगी।