How to file FIR– आपने अक्सर देखा होगा कि जब भी कोई क्राइम होता है और आप एफआईआर दर्ज कराने के लिए थाने पहुंचते हैं‚ तो पुलिस मुकदमा दर्ज करने में आनाकानी करती है। शिकायत लेकर पहुंचने वाले फरियादी को पहले जांच करने के नाम पर टरकाया जाता है‚ तो कई बार FIR दर्ज करने से साफ इंकार कर दिया जाता है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि पुलिस ऐसा क्यों करती है। तो आज की इस वीडियो में हम आपको यही जानकारी देने वाले हैं।।अगर आपने अभी तक हमारे चैनल को सब्सक्राइब नहीं किया है‚ तो चैनल को सब्सक्राइब जरूर कर लें‚ ताकि और भी रोचक जानकारी आपको मिलती रहे। चलिए शुरू करते हैं।
पुलिस को जनता की सुरक्षा के लिए बनाया गया है। पुलिस को आदेश दिया जाता है कि कोई भी अपराध होने पर वह तत्काल एफआईआर दर्ज करके प्रभावी और निष्पक्ष कार्यवाही करें। लेकिन पुलिस ऐसा नहीं करती है। इसकी मुख्य वजह आज हम आपको बताते हैं।
आंकड़ो का खेल
दरअसल जब भी कोई मुकदमा दर्ज होता है तो पुलिस को उसकी रिपोर्ट अपने सीनियर अधिकारियों और कोर्ट में पेश करनी होती है। साथ में यह भी बताना पड़ता है कि उस मामले में अब तक क्या कार्यवाही की गई है। जिन पुलिस थानो में ज्यादा मुकदमे दर्ज होते हैं‚ पुलिस अधिकारियों की उन पर खास नजर होती है। ज्यादा मामले दर्ज होने पर अधिकारी यह मानते हैं कि थाने की पुलिस अपने क्षेत्र में ठीक से काम नहीं कर रही है और इसी वजह से यहां ज्यादा अपराध हो रहे हैं।
ऐसे में पुलिसकर्मियों को अधिकारियों की टांट भी सुननी पड़ती है। साथ ही सभी मामलों में कार्यवाही के लिए भागदौड़ करनी पड़ती है। इस भागदौड़ में अपराधियों काे पकड़ना‚ कोर्ट में पेश करना और फाइले तैयार करने के अलावा सीनियर अधिकारियों के सामने भी रिपोर्ट देना भी होता है। इसके अलावा कार्यवाही ठीक से नही हो पाने या घटनाओं का जल्द खुलासा नही कर पाने पर इन पुलिसकर्मियों की बैड एंट्री कर दी जाती है‚ जिसके चलते उनका प्रमोशन रूक जाता है।
पुलिस अधिकारियों पर होता है दबाव
इसके उलट जिन पुलिस थानो में कम मुकदमें दर्ज होते हैं‚ उन पुलिसकर्मियों को ज्यादा काम नही करना पड़ता है। ऐसे थानेदार अपने अधिकारियों के चहते होते हैं। अधिकारी यह मानते हैं कि यह पुलिसकर्मी इमानदारी से अपनी ड्यूटी कर रहे हैं‚ जिसके चलते इनके क्षेत्र में अपराध कम हैं। अधिकारियों पर भी शासन से दबाव बना रहता है कि वो जिले में कम से कम अपराध होने दें। यही दबाव यह अधिकारी पुलिसकर्मियों पर डाल देते हैं।
लेकिन परिणाम यह होता है कि थाने में मौजूद पुलिसकर्मी अपराध कम करने के बजाए उन्हे दर्ज करना कम कर देते हैं। इससे अधिकारियों के सामने अपराधों का रिकार्ड कम हो जाता है और पुलिसकर्मी वाहवाही लूट लेते हैं। यही वजह है कि थाने में आसानी से पुलिस मुकदमा दर्ज नही करती है।
ऑनलाइन FIR की सुविधा
हालांकि अब ज्यादातर राज्यों ने ऑनलाइन एफआईआर की सुविधा शुरू कर दी है। इसके लिए सभी राज्यों ने अपने अपनी वैबसाइट जारी कर दी है। अगर आप भी ऑनलाइन एफआईआर दर्ज कराना चाहते हैं तो अपने राज्य की वैबसाइट पर रजिस्ट्रेशन करने के बाद आप एफआईआर दर्ज कर सकते हैं। आप कोर्ट के माध्यम से भी अपना मुकदमा दर्ज करा सकते हैं। हालांकि यह प्रक्रिया ज्यादातर तब अपनाई जाती है जब पुलिस एफआइआर दर्ज करने से साफ इंकार कर देती है।
आशा करते हैं कि वीडियो में दी गई जानकारी आपको जरूर पसंद आयी होगी। जानकारी अच्छी लगी हो तो चैनल को सब्सक्राइब‚ वीडियो को लाइक और शेयर जरूर करें।