रचा इतिहासǃ मिशन चंद्रयान की सफलतापूर्व लैंडिंग‚ देश भर में खुशी की लहर

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New Delhi: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने  इतिहास रच दिया है। इसरो का मिशन चंद्रयान-3 बुधवार शाम 6:04 बजे चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक उतर गया है। इसके साथ ही भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपना यान उतारने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। चंद्रयान की सफल लैंडिंग के बाद देशभर में खुशी की लहर दौड़ गई है।

इस अंतरिक्ष मिशन पर पूरी दुनिया की निगाहें टिकी हुई थीं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दक्षिण अफ्रीका से इस मिशन को लाइव देख रहे थे. प्रधानमंत्री 15वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए जोहान्सबर्ग में हैं।

चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की है। इसरो ने अपने लाइव प्रसारण में इसकी जानकारी दी है. इसरो के इस मिशन की सफलता के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो को बधाई देते हुए खुशी जताई है. इस दौरान उन्होंने अपने एक संबोधन में कहा कि इस मिशन के बाद हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो गया है.

प्रधानमंत्री ने कहा, ”मेरे प्यारे परिवारजनों! जब हम अपनी आंखों के सामने ऐसा इतिहास बनते देखते हैं तो हमें गर्व महसूस होता है। ऐसी ऐतिहासिक घटनाएँ राष्ट्र जीवन की चेतना बनती हैं। ये पल अविस्मरणीय है. यह क्षण अभूतपूर्व है. यह विकसित भारत के शंखनाद का क्षण है। यह नए भारत के लिए हुंकार भरने का क्षण है।’ यह कठिनाइयों के सागर को पार करने का क्षण है। यह विजय के चंद्र पथ पर चलने का क्षण है। यह क्षण 140 करोड़ धड़कनों की शक्ति का है। ये भारत की नई ऊर्जा, नई चेतना का क्षण है। यह भारत की उभरती नियति का आह्वान करने का क्षण है। अमरता की पहली किरण में सफलता का अमृत बरस गया है। हमने धरती पर संकल्प लिया और चांद पर उसे साकार किया।

उन्होंने कहा, ”आज हमने अंतरिक्ष में नए भारत की नई उड़ान देखी है. हर घर में जश्न शुरू हो गया है. मैं भी हृदय से इस उत्साह, उल्लास में अपने देशवासियों के साथ, अपने परिवारजनों के साथ जुड़ा हुआ हूं। मैं टीम चंद्रयान, इसरो और देश के सभी वैज्ञानिकों को हृदय से बधाई देता हूं। जिन्होंने इस पल के लिए वर्षों तक इतनी मेहनत की। हमारे वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत के कारण भारत दक्षिणी ध्रुव पर पहुंच गया है, जहां आज तक दुनिया का कोई भी देश नहीं पहुंच सका है। आज से चांद से जुड़े मिथक बदल जाएंगे, कहानियां भी बदल जाएंगी और नई पीढ़ी के लिए कहावतें भी बदल जाएंगी। भारत में हम सभी पृथ्वी को माँ और चंद्रमा को मामा कहते हैं। एक समय कहा जाता था कि चंदा मामा दूर के हैं, अब एक दिन वह भी आएगा, जब बच्चे कहेंगे कि चंदा मामा तो बस घूमने वाले हैं।