Ratan Tata Ki Kahani: रतन टाटा किसी पहचान के मोहताज नहीं है और लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं. चाहे कोई भी क्यों न हो जब बात रतन टाटा की आती है तो हर किसी की नजरों में उनके प्रति सम्मान देखने को मिलता है. भारत के महान उद्योगपति व टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा जितने आम हैं उतना ही वे दरियादिल इंसान भी हैं. साल 1991 में रतन टाटा को टाटा ग्रुप का चेयरमैन बनाया गया जिसके बाद उन्होंने चेयरमैन के पद पर 21 साल तक काम किया और इसके बाद वे टाटा ग्रुप से रियाटर हो गए. इस दौरान रतन टाटा ने टाटा ग्रुप की सफलता और भी बढ़ाने का काम किया. आज हम आपको रतन टाटा के बारे में बताने वाले हैं.
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 2022 को गुजरात के सूरत में हुआ था. जब वे 10 साल के थे इस दौरान उनके माता पिता नवल टाटा और सोनू टाटा ने एक दूसरे से तलाक ले लिया. इस दौरान रतन की और उनके भाई जिमी टाटा की जिम्मेदारी उनकी दादी नवजबाई टाटा ने ले ली और दोनों का पालन पोषण किया.
रतन टाटा ने मुंबई के कैम्पियन स्कूल से शुरूआती पढ़ाई की इसके बाद माध्यमिक शिक्षा के लिए कैथेड्रल एंड जॉन केनन स्कूल में दाखिला लिया और इसके आगे की पढ़ाई के लिए वे विदेश चले गए जहां उन्होंने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से 1962 में बीएस वास्तुकला में स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की. इसके बाद उन्होंने साल 1975 में हावर्ड बिजनेस स्कूल से एडवांस्ड मैनेजमेंट का कोर्स पूरा किया.
रतन टाटा अपनी पढ़ाई खत्म करने के बाद भारत लौटे और खुद को टाटा ग्रुप के लिए समर्पित कर दिया। अपने करियर के शुरुआती दिनों में उन्होंने टाटा स्टील के साथ शॉप फ्लोर पर काम किया. इसके बाद उन्हें राष्ट्रीय रेडियो और इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी NALCO का प्रभारी निदेशक बनाया गया. जेआरडी टाटा के टाटा ग्रुप के चेयरमैन पद छोड़ने के बाद रतन टाटा को टाटा ग्रुप का चेयरमैन बनाया गया. इस दौरान उन्होंने टाटा के सभी ब्रांड्स को रचनात्मक बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। वो रतन टाटा ही थे जिन्होने आम आदमी के लिए भी चार पहिया वाहन की सवारी का सपना देखा और मार्केट में टाटा नैनो को लेकर आए।
रतन टाटा की इनकम चाहे जितनी भी रही हो‚ लेकिन वो हमेशा अपनी पूंजी का लगभग 66 फीसदी हिस्सा दान करते रहे. वर्तमान में टाटा ग्रुप द्वारा कई तरह के चैरिटी और बेस्ट कैंसर अस्पतालों का संचालन किया जा रहा है। इन अस्पतालों में लोगों का निशुल्क इलाज किया जाता है।
कोविड जैसी महामारी के दौरान जब देश में वित्तीय संकट पैदा हो रहा था‚ उस दौरान भी रतन टाटा ने अपनी पूंजी में से 1500 करोड़ रुपये का फंड पीएम केयर्स में दान कर दिया था. आज रतन टाटा अपने पद से रिटायर हो चुके हैं‚ लेकिन वो अभी भी कामकाज में लगे हुए हैं। वो रोज नए नए आईडियाज के साथ कुछ न कुछ करते रहते हैं. आप यूं कह सकते हैं कि रतन टाटा उस बड़े वृक्ष की तरह है‚ जो फल तो देता ही है, उसके साथ छाया और लकड़ियां भी देता है।