Income Tax-Free Sikkim: एक साल में अगर आप 7 लाख रूपए से ज्यादा कमाते हैं तो टैक्स देने वाले लोगों की श्रेणी में आ जाते हैं। 7 लाख से ऊपर आप जितना कमाएंगे हैं‚ उतना ही ज्यादा आपको टैक्स देना पड़ेगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे देश में एक राज्य ऐसा भी है जहां के लोगों को कोई टैक्स नही देना पड़ता है। यहां के लोग कितना भी कमाएं‚ सरकार इनसे कुछ नही ले सकती है।
आपको बता दें कि भारत में सिक्किम राज्य ऐसा है, जहां के नागरिकों को इनकम टैक्स नहीं देना पड़ता है। भारत सरकार ने खुद सिक्किम राज्य के लोगों को यह छूट दी हुई है। सिक्किम के लोगों को इनकम टैक्स में राहत क्यों दी गई है, इसके पीछे भी बड़ी-ही दिलचस्प कहानी है।
दरअसल भारत के पूर्वोतर के सभी राज्यों को संविधान के आर्टिकल 371-एफ के तहत विशेष दर्जा प्राप्त है. इस वहज से यहां बाहरी राज्यों के लोग संपत्ति या जमीन नही खरीद सकते है। सिक्किम राज्य भी इन्ही राज्यों में शामिल है। सिक्किम की स्थापना साल 1642 में हुई है। साल 1950 में भारत सरकार के साथ सिक्किम का समझौता हुआ‚ जिसके बाद साल 1975 में भारत के साथ इसका विलय हो गया। विलय से पहले सिक्किम में तत्कालीन शासक चोग्याल का शासन था। इन्होंने भारत में विलय से पहले साल 1948 में सिक्किम इनकम टैक्स मैनुअल जारी किया था। जिसमें यह बात कही गई थी सिक्किम अगर भारत में विलय होता है तो यहां के लोग अपनी आय पर किसी तरह का टैक्स नही देंगे।
इसी शर्त के साथ सिक्किम का भारत में विलय कर दिया गया। शर्त को ध्यान में रखते हुए भारतीय आयकर अधिनियम की धारा 10 यानि (26एएए) में सिक्किम के मूल निवासियों को आयकर से छूट प्रदान कर दी गई।
हालांकि यह छूट केवल सिक्किम के मूल निवासियों को ही दी गई है। पहले यह छूट सिक्किम सब्जेक्ट सर्टिफिकेट रखने वालों और उनके वंशजों को ही दी जाती थी। हालांकि बाद में एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 26 अप्रैल 1975 तक यानि सिक्किम के भारत में विलय से एक दिन पहले तक सिक्किम में रहने वाले भारतीय मूल के सभी लोगों को सिक्किम का मूल निवासी मान लिया। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद सिक्किम के लगभग 95 फीसदी लोग टैक्स छूट के दायरे में आ गए हैं।