नई दिल्ली: चंडीगढ़ नगर निगम का मेयर चुनाव चर्चा में है. सुप्रीम कोर्ट ने मेयर चुनने के लिए वोटिंग और नतीजे घोषित करने के तरीके पर सवालिया निशान लगाया था. इसके साथ ही कोर्ट ने निगम की बैठकों पर भी रोक लगा दी थी. साथ ही चुनाव अधिकारी पर भी कई सवाल उठाए. इस मामले में आज सुनवाई होनी है. इससे पहले रविवार को नवनियुक्त मेयर मनोज सोनकर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.
कोर्ट में सुनवाई से पहले रविवार को आम आदमी पार्टी के तीन पार्षद भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए. आप के तीन पार्षद नेहा मुसावत, गुरुचरण काला और पूनम देवी बीजेपी में शामिल हो गए. तीनों पार्षदों ने कहा कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काम से प्रभावित होकर बीजेपी में शामिल हुए हैं. रविवार को बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण सूद ने तीनों पार्षदों को पार्टी की सदस्यता दिलाई.
ये लोकतंत्र की हत्या है- सुप्रीम कोर्ट
इस मामले में पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह स्पष्ट है कि रिटर्निंग ऑफिसर ने मतपत्रों को विकृत कर दिया है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने रिटर्निंग ऑफिसर के बारे में कहा- “क्या वह इस तरह से चुनाव कराते हैं? यह लोकतंत्र का मजाक है। यह लोकतंत्र की हत्या है। हम हैरान हैं। इस आदमी पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए। क्या यह रिटर्निंग ऑफिसर है।” ?क्या यह एक अधिकारी का व्यवहार है?”
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, चंडीगढ़ में हुए मेयर चुनाव में बीजेपी ने जीत हासिल की थी. जिसे लेकर आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया था कि बीजेपी ने बेईमानी से चुनाव जीता है. इस मामले को लेकर काफी हंगामा हुआ और दोनों पक्षों की ओर से बयानबाजी हुई. आम आदमी पार्टी ने नगर निगम कार्यालय के बाहर अनशन भी शुरू किया था.