चमोली. 7 फरवरी दिन रविवार को उत्तराखंड के चमौली में ग्लेशियर टूटने से आई आपदा में अब तक 58 लोगों की मौत हो चुकी है. वही तपोवन सुरंग से शव निकलने का सिलसिला अब भी जारी है. टनल के मलबे में दबकर मरने वाले मजदूरों के शवाें को देखकर उनके परिजनों की चित्कार हर किसी का दिल दहला रही हैं.
तपोवन सुरंग से ही अब तक 11 शव निकाले जा चुके हैं. इस बीच तपोवन सुरंग को लेकर एक और हैरान कर देने वाली खबर सामने आ रही है. मिली जानकारी के अनुसार तपोवन टनल में जमा हुए मलबे में फंसे मजदूर 5 दिनों तक जिंदा रहकर मदद का इंतजार करते रहे थे. इसके बाद ही उन्होने दम तोड़ा. अगर इस बीच उन्हे बचा लिया जाता तो उनकी जान बच सकती थी. सुरंग से निकाले गए 11 में से 6 शवों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से यह बड़ा खुलासा हुआ है.
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आपको बता दे कि ये सभी लोग 12 फरवरी तक टनल में फंसे रहे. 12 फरवरी को बचाव दल ने इन लोगों के शवों को बाहर निकाला. ये लोग सैकड़ों टन मलबे में फंसे होने के बावजूद जिंदगी और मौत से जंग लड़ रहे थे. अनुमान है कि टनल की छत पर 5 दिन तक लटक कर उन्होंने जिंदा रहने की जद्दोजहद की, लेकिन आखिरकार मौत से हार गए. सुरंग से निकाले गए शवों का पोस्टमॉर्टम करने वाले एडिशनल सीएमओ ने इस बात का खुलासा किया है.
दूसरी ओर, ग्लेशियर हादसे के बाद चमोली घाटी और यहां के ग्लेशियरों का अध्ययन शुरू हो गया है. आपदा के बाद वैज्ञानिक ग्लेशियरो को लेकर अलग-अलग तरीके से अध्ययन करने में जुट गए हैं. राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (NIH) के वैज्ञानिकों ने बताया है कि ग्लेशियर के साथ घाटी और क्षेत्र का भी अध्ययन किया जाना चाहिए, ताकि ऐसी आपदाओं से भविष्य में बचा जा सके. इधर, ग्लेशियर के टूटने से होने वाली तबाही और बचाव के लिए डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी ने एक गाइडलाइन भी तैयार की है. इसमें विदेशी एजेंसी की भी मदद ली जा रही है.