Meerut: पहले कराते थे कार फाइनेंस‚ फिर करते थे चोरी‚ पुलिस ने किया गिरफ्तार

पकड़े गए आरोपी और बरामद गाडियां

मेरठ: ब्रह्मपुरी पुलिस और एसओजी की संयुक्त टीम ने ऐसे गिरोह का भांड़ाफोड़ किया है जो गरीब लोगों के नाम पर फर्जी तरीके से लोन पर गाड़िया निकालता था। हैरान करने वाली बात यह कि यह गिरोह बाद में उस कार को बेच देता था फिर दूसरी चाबी से उसे चोरी भी कर लेता था। कार बेचने के बाद यह गिरोह दूसरी चाबी से कार चुराता और फिर सोतीगंज में कटवा देता था। पुलिस ने गिरोह के दो सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि चार आरोपी फरार हैं। पुलिस ने दो आरसी और चार कार भी बरामद की है।

एएसपी कैंट विवेक यादव ने बताया कि सिविल लाइन साकेत गोल मार्केट निवासी दिलीप कुमार और देवरिया के कांताभ पट्टी बघौचघाट निवासी गौरव मल्ला उर्फ अनुज मल्ला को गिरफ्तार किया गया है. इनके कब्जे से दो अर्टिगा, एक स्विफ्ट व एक अर्बन कार के अलावा दो आरसी बरामद की गई है। उसके साथी कुशीनगर के रामकोला निवासी सचिन यादव, कविनगर निवासी सचिन चौधरी, ताहिर और सोतीगंज निवासी शाहिद उर्फ सईद फरार हैं. उनकी गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं।

यह भी पढ़ें- कांवड़ियों को बीयर बांटने वाला युवक गिरफ्तार, पिता की आत्मा की शांति के लिए बांट रहा था बीयर

आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि वे वाहनों की राशि का 10 फीसदी फाइनेंसरों के पास जमा कराकर गरीब लोगों के नाम पर वाहन खरीदते थे. नए वाहन ग्राहक को तीन से चार लाख में बेच देता था। संदीप चौधरी वित्त और एनओसी कागजात तैयार करवाते हैं। कार खरीदने वालों को कार की सिर्फ एक चाबी दी जाती है। दूसरी चाबी से कार चुरा लेते। इसके बाद आरोपी कार को सोतीगंज के स्क्रैप डीलर ताहिर और शाहिद को दे देता था. स्क्रैप कारों को काटकर फर्जी दस्तावेज तैयार कर दिल्ली व हरियाणा में बेचा जाता था।

यह भी पढ़ें- MOBILE CHARGING: साइंटिस्ट्स ने खोजा तरीका‚ अब पेशाब से चार्ज हो सकेगा मोबाइल

एएसपी कैंट ने बताया कि गरीब लोगों के कागजात को किराए का मकान दिखाया जाता है, ताकि बैंक जांच करे तो वे आकर किराए का मकान देख सकें. जिनकी आईडी का इस्तेमाल किया गया है उन्हें मूल रूप से बाहर के निवासी के रूप में दिखाया गया है। आरोपी डाउन पेमेंट खुद जमा करते थे और बैंक से लोन मंजूर करवाते थे।

पुलिस के खुलासे से साफ हो गया है कि अब भी चोरी के वाहनों को सोतीगंज में हैक किया जा रहा है. इन गाडिय़ों को ताहिर और शाहिद क्षत-विक्षत कर देते थे। माना जा रहा है कि सोतीगंज में ही वाहनों को काटा गया था। इतना ही नहीं जिन कारों की डिमांड ज्यादा थी, उन्हें फर्जी दस्तावेज बनाकर नोएडा, दिल्ली, गुड़गांव, हिमाचल और उत्तराखंड में बेच दिया गया।

Leave a Reply