मनोज कुमार समाचार संपादक
मेरठ: चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा को लेकर केंद्र सरकार ने जबसे एपिडेमिक डिजीज एक्ट, 1897 में बदलाव बदलाव कर नया कानून बनाया है तब से डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा तीमारदारों के साथ दुर्व्यवहार के मामले अचानक बढ़ गए है।
ताजा मामला मेरठ मेडिकल कॉलेज का है जहां जूनियर डॉक्टरो द्वारा इलाज कराने आये मरीज के तीमारदार से दुर्व्यवहार व मरीजो के साथ बदसलूकी की गई। इस मामले का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो में डॉक्टर इलाज कराने आये मरीज के तीमारदार से दुर्व्यवहार करते नज़र आ रहे हैं।
मरीज को देखने के लिए कहने पर आपा खो बैठे डॉक्टर
मरीज के तीमारदार का आरोप है कि डॉक्टरो से मरीज को देखने को कहने पर डॉक्टरों ने आपा खो दिया और बदसलूकी की। इस मामले में मेडिकल प्रिंसिपल ने जांच कर कार्रवाई की बात कही है।
दरअसल, मेडिकल थाना क्षेत्र के जाग्रति विहार के रहने वाले लक्ष्मीसिंह को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। जिसके बाद उसका पड़ोसी दीपक उसे मेरठ मेडिकल कॉलेज में इलाज के लिए ले गया। इमरजेंसी वार्ड के बाहर जब उसने डॉक्टरो से उसे देखने को कहा तो उसे कोई रेस्पॉन्स नही मिला।
आरोप है कि जब उसने दोबारा कहा तो डॉक्टर आग बबूला हो गए और उसके साथ बदसलूकी की। दीपक ने इसकी शिकायत सीएमओ से की। जिसके बाद मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य में जांच बैठा दी है। साथ ही कहा कि जांच में दोषी पाए जाने पर विभागीय जांच कार्रवाई की जाएगी।
आपको बता दें कि पिछले कुछ दिनों में डॉक्टरों द्वारा तीमारदारों और मरीजों के साथ बदसलूकी के मामलों में अचानक इजाफा हुआ है। जानकारों का मानना है कि जब से डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर केंद्र सरकार ने नया कानून बनाया है तब से डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी इस कानून का नाजायज फायदा उठा रहे है और मरीजों/ तीमारदारों से बदसलूकी कर रहे हैं। जो बेहद चिंता का विषय है।
ध्यान रहे कि इस कानून के तहत मेडिकल स्टाफ पर हमला करने वाले लोगों को 3 माह से 5 साल तक की सजा हो सकती है। इसके अलावा उनपर 50000 रुपये से 2 लाख रुपये तक जुर्माना भी लगाया जा सकता है। नए कानून के मुताबिक, इस तरह के अपराध को गैर-जमानती माना जाएगा।